मध्यप्रदेश। मध्यप्रदेश के इंदौर में ईद (Eid) का पर्व बड़ी ही धूमधाम से मनाया जा रहा है. महामारी कोरोना (COVID-19) के प्रकोप के चलते दो साल तक त्योहार में रौनक नहीं दिखी. इस साल ईद से जुड़ी सांप्रदायिक सद्भाव की एक अनूठी परंपरा भी मंगलवार को बहाल हो गई. स्थानीय लोगों के मुताबिक, 50 साल से ज्यादा पुरानी इस परंपरा के तहत एक हिंदू परिवार हर बार ईद के मौके पर शहर काजी को उनके घर से पूरे सम्मान के साथ बग्घी पर बैठाकर मुख्य ईदगाह ले जाता है और सामूहिक नमाज के बाद वापस छोड़ता है. स्थानीय नागरिक सत्यनारायण सलवाड़िया (56) ने बताया कि महामारी के प्रकोप के कारण उनका परिवार पिछले दो साल से गंगा-जमुनी तहजीब की यह परंपरा नहीं निभा पा रहा था, लेकिन इस साल परंपरा के बहाल होने से वह बेहद खुश हैं.
सलवाड़िया ने बताया कि परंपरा के तहत शहर काजी मोहम्मद इशरत अली को उनके राजमोहल्ला स्थित घर से बग्घी पर बैठाकर सदर बाजार के मुख्य ईदगाह लाया गया और सामूहिक नमाज के बाद वापस छोड़ा गया. उन्होंने बताया कि उनके पिता रामचंद्र सलवाड़िया ने यह परम्परा करीब 50 साल तक निभाई. सलवाड़िया ने यह भी बताया कि साल 2017 में उनके पिता का निधन हो गया. उसके बाद से यह परंपरा वह खुद निभा रहे हैं.
शहर काजी मोहम्मद इशरत अली ने बताया कि मेरे पिता मोहम्मद याकूब अली भी शहर काजी थे. साल 1990 में उनके इंतकाल से पहले, ईद के मौके पर सलवाड़िया परिवार उन्हें भी घर से पूरे सम्मान के साथ बग्घी पर बैठाकर ईदगाह ले जाता और वापस छोड़ता था. शहर काजी ने कहा कि इंदौर के मूल मिजाज में कौमी एकता तथा भाईचारा है. सलवाड़िया परिवार की परंपरा इसकी खूबसूरत बानगी पेश करती है. चश्मदीदों ने बताया कि कांग्रेस के राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह भी मंगलवार को इस परंपरा के गवाह बने और उन्होंने शहर काजी को फूलों का हार पहनाकर उनका स्वागत किया.