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Update: 2022-04-30 06:30 GMT

दिल्ली। दिल्ली के विज्ञान भवन में हो रही हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस और सभी मुख्यमंत्रियों की संयुक्त कॉन्फ्रेंस (Conference) को शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) और चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एनवी रमणा (CJI NV Ramana) ने संबोधित किया. सीजेआई एनवी रमणा ने इस दौरान कहा कि न्यायिक निर्देशों के बावजूद सरकारों की ओर से जानबूझकर निष्क्रियता दिखाना लोकतंत्र (Democracy) के स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं है. उन्होंने कहा कि संविधान ने तीनों अंगों को अलग-अलग शक्तियां प्रदान की हैं और इनके बीच सामंजस्य लोकतंत्र को मजबूत करता है.

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सीजेआई एनवी रमणा ने संयुक्त कॉन्फ्रेंस में कानूनी सुधारों को लेकर भी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने इस दौरान कहा, 'हमें 'लक्ष्मण रेखा' का ध्यान रखना चाहिए, अगर यह कानून के अनुसार हो तो न्यायपालिका कभी भी शासन के रास्ते में नहीं आएगी. अपने कर्तव्य का निर्वहन करते समय हमें लक्ष्मण रेखा का ध्यान रखना चाहिए. उन्होंने आगे कहा कि अगर नगरपालिकाएं, ग्राम पंचायतें कर्तव्यों का पालन करती हैं, अगर पुलिस ठीक से जांच करती है और अवैध हिरासत का टॉर्चर खत्म होता है तो लोगों को अदालतों की ओर देखने की जरूरत नहीं पड़ेगी.

सीजेआई ने यह भी कहा कि संबंधित लोगों की जरूरतों और आकांक्षाओं को शामिल करते हुए चर्चा के बाद कानून बनाया जाना चाहिए. अक्सर अधिकारियों के ठीक से काम न करने और विधायिकाओं की निष्क्रियता के कारण मुकदमेबाजी होती है. ये टालने योग्य हैं. सीजेआई एनवी रमण ने यह भी कहा कि जनहित याचिका के पीछे नेक इरादों का दुरुपयोग किया जाता है क्योंकि इसे परियोजनाओं को रोकने और सार्वजनिक प्राधिकरणों को परेशान करने के लिए 'व्यक्तिगत हित याचिका' में बदल दिया गया है.

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