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नई दिल्ली: अप्रैल में जीएसटी कलेक्शन (Gst Collection) ने सारे रिकॉर्ड तोड़ते हुए अबतक का सबसे ज्यादा GST कलेक्शन हुआ है. लेकिन सरकार की इस उपलब्धि में बड़ा रोल महंगाई (Inflation) का रहा है, जिसने आम आदमी की कमर तोड़ दी है. महंगाई एक तरफ जहां आम लोगों की परेशानी बढ़ा रही है. वहीं दूसरी ओर इससे सरकार का खजाना भर रहा है.
महंगाई के साथ ही टैक्स (Tax) अनुपालन के नियम आसान बनाए जाने के असर से अप्रैल में सरकार को GST से रिकॉर्ड 1.68 लाख करोड़ की कमाई हुई है. आंकड़ों के मुताबिक जिस महीने महंगाई ज्यादा होती है, उसी महीने GST कलेक्शन भी बढ़ जाता है.
महंगाई दर में तेज इजाफा
मार्च में GST कलेक्शन 1.42 लाख करोड़ था और थोक महंगाई दर 14.55 फीसदी और खुदरा महंगाई दर 17 महीने के उच्चतम स्तर 6.95 फीसदी पर थी. यानी महंगाई सरकार के लिए मैजिक कर रही है, जबकि आम जनता इसके बोझ तले रोजी-रोटी के लिए संघर्ष कर रही है.
कारोबारियों का भी मानना है कि GST कलेक्शन में हुई बढ़ोतरी आर्थिक तेजी से ज्यादा महंगाई के असर का संकेत है. खुद कारोबारियों के लिए भी महंगाई के दौर में प्रॉडक्शन करना और दाम को कंट्रोल में रखकर बिक्री बढ़ाना बड़ी चुनौती बन गया है.
पेट्रोल-डीजल ने बिगाड़ा बजट
महंगाई से अप्रैल में पेट्रोल (Petrol) और डीजल (Diesel) और रसोई गैस की बिक्री पर भी असर पड़ा है. अप्रैल में सरकारी तेल कंपनियों ने 25.8 लाख टन पेट्रोल बेचा, जो मार्च के मुकाबले महज 2.1 फीसदी का मामूली इजाफा है. डीजल की बिक्री भी 66.9 लाख टन रही, जो मार्च से केवल 0.3 फीसदी ज्यादा है.
वहीं एलपीजी (LPG) की खपत तो मार्च के मुकाबले 9.1 फीसदी घटकर 22 लाख टन रह गई है. अब जिस तरह से 1 मई को कमर्शियल गैस सिलेंडर के दाम 100 रुपये बढ़ाए गए हैं, उससे बाहर खाने-पीने की चीजें महंगी होने वाली है.