मध्य प्रदेश नगर निगम चुनाव नतीजों से बीजेपी को तगड़ा झटका लगा है. सूबे की सभी 16 नगर निगम सीटों पर अभी तक काबिज रही बीजेपी के हाथ से 7 नगर निगम निकल गए हैं जबकि कांग्रेस जीरो से बढ़कर 5 पर पहुंच गई है. ज्योतिरादित्य सिंधिया, नरेंद्र सिंह तोमर, बीडी शर्मा, राकेश सिंह जैसे बीजेपी के दिग्गज नेताओं के गढ़ में कमल मुरझा गया जबकि सीएम शिवराज सिंह चौहान अपने क्षेत्र को बचाए रखने में सफल रहे.
निकाय चुनाव में एमपी के तीन बड़े क्षेत्र ग्वालियर-चंबल-महाकौशल क्षेत्र में बीजेपी का पूरी तरह सफाया हो गया है तो विंध्य क्षेत्र में पार्टी का सियासी ग्राफ नीचे गिरा है. वहीं, मालवा-निमाड़ इलाके में ही बीजेपी साख बचाए रखने में सफल रही. इतना ही नहीं शिवराज सरकार के 9 मंत्री और 14 दर्जा प्राप्त मंत्री के इलाके में भी बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा है. सूबे में अगले साल विधानसभा चुनाव होने है. ऐसे में बीजेपी के दिग्गज नेताओं के प्रभाव वाले क्षेत्र में पार्टी की निकाय चुनाव हार से उनके सियासी कद पर भी राजनीतिक असर पड़ सकता है जबकि शिवराज अपना गढ़ बचाकर सियासी 'बाजीगर' साबित हुए हैं.
मोदी सरकार में केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया व केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर दोनों ही मध्य प्रदेश में बीजेपी के दिग्गज नेता माने जाते हैं और ग्वालियर-चंबल से आते हैं. ऐसे में पहले ग्वालियर और अब दूसरे चरण में मुरैना नगर निगम सीट बीजेपी ने गंवा दी है. ग्वालियर सिंधिया का गृह जिला है, जहां बीजेपी प्रत्याशी को मेयर के चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा है. ग्वालियर में 57 साल के बाद बीजेपी मेयर का चुनाव हारी है.
केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के प्रभाव वाले मुरैना नगर निगम पर कांग्रेस का कब्जा जमाया है. मुरैना से ही नरेंद्र सिंह तोमर सांसद हैं. ऐसे में मेयर का चुनाव बीजेपी के हार से तोमर के सियासी कद पर भी असर पड़ सकते हैं. सीएम शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने नरेंद्र तोमर के मुरैना में पूरा जोर लगाया था, लेकिन फिर भी जीत नहीं मिल सकी. सिंधिया, तोमर, नरोत्तम मिश्रा, जयभान सिंह पवैया और प्रभात झा के अलावा शिवराज सरकार के पांच मंत्री ग्वालियर और चंबल इलाके से आते हैं.