श्रीलंका (Sri Lanka) में 9 मई को हुई हिंसा के आरोप में पुलिस ने 1,500 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है. एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सरकार विरोधी और सरकार समर्थित प्रदर्शनकारियों के बीच हुई हिंसा की इस घटना में 10 लोगों की मौत हुई और 200 लोग घायल हुए. आपको बता दें कि श्रीलंका में आर्थिक संकट (Sri Lanka Economic Crisis) की स्थिति के कारण भोजन, ईंधन इत्यादि की भारी कमी है. इसे लेकर 9 मई को महिंदा राजपक्षे (Mahinda Rajapaksa) को हटाने के लिए शांतिपूर्ण तरीके से मांग कर रहे सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों पर उनके समर्थकों ने हमला कर दिया.
श्रीलंका के पुलिस प्रवक्ता एसएसपी निहाल थलदूवा के अनुसार हिंसा के इस मामले में 1,500 लोगों की गिरफ्तारी हुई है. यह खबर अक ऑनलाइन पोर्टल ने रिपोर्ट की है. पुलिस प्रवक्ता ने आगे बताया कि पिछले 24 घंटों में 152 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. शनिवार को क्रिमिनल इंवेस्टीगेशन डिपार्टमेंट ने हिंसा भड़काने में कथित रूप से शामिल होने के लिए पुलिस इंसपेक्टर जनरल चंदना डी विक्रमारत्ने से पूछताछ की. ऑनलाइन पोर्टल कोलंबो गैजेट की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले सप्ताह गल्ले डिस्ट्रिक्ट के एमपी रमेश पथिराना ने पार्लियामेंट को यह बताया कि वेस्टर्न प्रोविंस के वरिष्ठ पुलिस डीआईजी देशबंधू तीनाकून ने राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे को सूचित किया कि विक्रमारत्ने ने यह निर्देश दिया था कि सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों को बाधित करने के लिए गल्ले डिस्ट्रिक्ट की ओर आगे बढ़ रही भीड़ को न रोका जाए. पथिराना ने आगे बताया कि राष्ट्रपति ने स्थिति को संभालने के लिए कार्रवाई करने के आदेश दिए. आदेश के बाद पुलिस ने मौके पर पहुंच कर भीड़ को काबू में करने के लिए आंसू गैस के गोले और वाटर कैनन का इस्तेमाल किया.
गौरलतब है कि सीआईडी ने कुछ वक्त पहले हिंसा में कथित रुप से शामिल होने के लिए सत्तारूढ़ एसएलपीपी पार्लियामेंटरी ग्रुप के तीन सदस्यों से पूछताछ की थी. पहले गिरफ्तार हुए उनके के दो सहयागियों को 25 मई तक कस्टडी में रखा जाएगा. शुक्रवार को पूर्व प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के पुत्र नमल राजपक्षे को भी बुलाकर उनके बयान को रिकार्ड किया गया. वहीं, सत्तारूढ़ गठबंधन के सदस्यों ने विपक्षी पार्टी जनता विमुक्ति पेरामुना पर 9 मई की हिंसा को भड़काने का आरोप लगाया. इस आरोप को विपक्षी पार्टी ने खारिज कर दिया. आपको यह भी बताते चलें कि भीड़ ने कोलंबो के गल्ले फेस में मौजूद टेन्टस और कई अन्य ढ़ाचों को बर्बाद कर दिया. उग्र भीड़ ने प्रदर्शनकारियों पर हमला किया. इसके अलावा, राजनेताओं के घरों के पास आगजनी भी की गई. करीब 78 सरकारी सांसदों की संपत्तियां आगजनी की शिकार हुई.