IAS अफसर का तबादला स्थगित नहीं करने पर दी आत्मदाह की चेतावनी, जानिए पूरा माजरा

Update: 2021-07-30 10:58 GMT

अक्सर सुनने में आता है कि अधिकारियों के रवैये से नाराज जनता उन्हें हटाने की मांग करती है. लेकिन, बिहार के एक आईएएस ऐसे हैं जो लाखों दिलों पर राज करते हैं. ये हम नहीं कह रहे हैं बल्कि आईएएस अधिकारी डॉ रणजीत कुमार सिंह (IAS Officer Dr. Ranjit Kumar Singh) के तबादले के बाद कुछ ऐसा ही प्रतीत हो रहा है. प्राथमिक शिक्षा निदेशक डॉ रणजीत कुमार सिंह (Director of Primary Education Dr. Ranjit Kumar Singh) का चार दिनों पहले तबादला हुआ है उसके बाद सोशल मीडिया (Social Media) से लेकर हर जगह तबादले स्थगित करने की मांग की जा रही है. कोई तबादला स्थगित नहीं करने पर आत्मदाह की चेतावनी दे रहा है, कोई सरकार को घेरने की बात कर रहा है तो किसी की आंखों से आंसुओं का सैलाब निकल रहा है.

तेजतर्रार आईएएस अधिकारी डॉ रणजीत सिंह के साथ जनता का प्यार पहली बार देखने को नहीं मिला है. डेढ़ साल पहले भी जब सीतामढ़ी के जिलाधिकारी पद से इनका तबादला हुआ था तो वहां की जनता कुछ इसी प्रकार आंदोलन पर उतारू हो गई थी. विगत डेढ़ साल से प्राथमिक शिक्षा निदेशक के पद पर रहते हुए रणजीत सिंह ने ठप पड़ी 94000 पदों पर शिक्षक बहाली प्रक्रिया को खुलवाने और पारदर्शी तरीके से बहाली को अंतिम प्रक्रिया तक पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी.

डॉ रणजीत सिंह सोशल मीडिया पर भी ये खुद भी एक्टिव रहते थे और अभ्यर्थियों से ना सिर्फ हर जानकारी शेयर करते थे बल्कि यू ट्यूब पर आकर अभ्यर्थियों को सम्बोधित भी करते थे. शिक्षक बहाली प्रक्रिया को पहली बार ऑनलाइन करने का श्रेय भी रणजीत सिंह को ही जाता है. अपने इसी अंदाज से लाखों अभ्यर्थियों के दिलों में इन्होंने अपनी ऐसी छाप छोड़ी है कि तबादले का आदेश जारी होते ही सोशल मीडिया पर मुहिम शुरू हो गए. डॉ. सिंह को पंचायती राज निदेशक बनाया गया है. इनकी वापसी के लिए लड़के हों या लड़कियां हर कोई ट्विटर पर फेसबुक और इंस्टाग्राम पर चल रही मुहिम को समर्थन दे रहा है.

आलम यह है कि अबतक 3.20 लाख से अधिक लोगों ने डॉ. रणजीत सिंह की वापसी के लिए अब तक ट्वीट कर दिया है. डॉ. रणजीत सिंह के टि्वटर हैंडल पर #We_Want_RanjitKrIAS_ComeBack का स्लोगन देकर अभ्यर्थी मुहिम चला रहे हैं. बता दें कि कुल 94000 में से करीब 16000 पदों के लिए काउंसिलिंग हो चुकी है और 2 अगस्त से दूसरे राउंड की काउंसिलिंग भी शुरू होनेवाली है. ऐसे में अभ्यर्थियों को डर इस बात का है कि इनके जाने से नियोजन में धांधली होगी और अभ्यर्थियों की कोई नहीं सुनेगा.

अभ्यर्थी साफ कहते हैं कि 2017 में हुए टीईटी परीक्षा के बाद 2019 में शुरू हुई इस बहाली प्रक्रिया को डॉ. रणजीत सिंह नहीं होते तो अबतक प्रक्रिया इस स्टेज तक नहीं पहुंच पाती. बिहार में इससे पहले शिक्षक नियोजन में जमकर धांधली होती रही और पहली बार ऐसा हुआ है कि अभ्यर्थी खुद कह रहे हैं कि डॉ. रणजीत सिंह की वजह से नियोजन पारदर्शी तरीके से हो रहा है और जहां भी धांधली की एक शिकायत मिलती है तुरंत कार्रवाई रणजीत सिंह करते थे.

अभ्यर्थी मुन्नी शुक्ला कहती हैं कि ऐसे अधिकारी शायद शिक्षा विभाग को अब नहीं मिले क्योंकि अभ्यर्थियों की हर शिकायत को ये खुद सुनते थे, जो कार्यालय पहुंचता था उससे मुलाकात कर समस्याओं का निराकरण भी करते थे, लेकिन तबादला होने से हमलोग टूट चुके हैं. डॉ. रणजीत खुद काउंसिलिंग के समय पूरे दिन नियंत्रण कक्ष में लाइव रहकर हजारों काउंसिलिंग सेंटर पर नजर रखते थे और वहां हो रही अभ्यर्थियों की समस्या का तुरंत समाधान भी करते थे. तबादले के तुरंत बाद ना सिर्फ अभ्यर्थियों को झटका लगा बल्कि आईएएस रणजीत सिंह भी मायूस थे और उन्होंने तुरंत फेसबुक पर पोस्ट भी किया कि- 'दुनिया में झूठे लोगों को बड़े हुनर आते हैं, सच्चे लोग तो इलजाम से ही मर जाते हैं'. इसके बाद अभ्यर्थियों ने रो-रोकर इनकी वापसी को लेकर पोस्ट करना शुरू कर दिया. ब्यूरोक्रेट्स में शायद बिरले ही होते हैं जिन्हें आजके समय में लोगों का इतना प्यार और सम्मान मिलता है लेकिन रणजीत सिंह अपनी कार्यशैली से पहचान बना ली है.

गुजरात कैडर के आईएएस अफसर डॉ. रणजीत सिंह वैशाली जिले के देसरी प्रखंड के चकसिकंदर के मूल निवासी हैं और बचपन से ही आईएएस बनने का इनका सपना था. इनके बारे में कहा जाता है कि जब ये 8वीं में पढ़ाई करते थे तभी 10वीं का सिलेबस भी पूरा करते थे यानि 2 क्लास ज्यादा हमेशा ये फॉलो करते रहे हैं. पटना कॉलेज से स्नातक के बाद ये पीजी कर यूपीएससी क्वालीफाई किए और फिर पी.एचडी भी. रणजीत सिंह नौकरी के अलावे सुर्खियों में इसीलिए भी रहते हैं क्योंकि रणजीत सिंह युवाओं को यूपीएससी और बीपीएससी परीक्षा की तैयारी भी मुफ्त में करवाते हैं. इनके MISSION 50 नामक संस्था ने 2017 से अबतक सैकड़ों अधिकारियों को गढ़ा है और आज MISSION 50 के कई ऐसे छात्र हैं जो यूपीएससी और बीपीएससी की परीक्षा पास कर सरकारी सेवा में उच्च पदों पर काबिज हैं.

गुजरात में पोस्टिंग के बाद ये जब बिहार के सीतामढ़ी में बतौर जिलाधिकारी ज्वाइन किए थे तो इन्होंने सीतामढ़ी को भी बिहार का पहला खुले में शौच मुक्त जिला बना दिया था. आज तबादले के बाद शिक्षक अभ्यर्थी लिख रहे हैं नीतीश जी जवाब दीजिए क्या ईमानदार होना गुनाह है? क्यों ऐसे ईमानदार अधिकारी का तबादला हुआ? अभ्यर्थी अमित कुमार पोस्ट करते हैं सर अगर रणजीत सिंह का तबादला स्थगित नहीं हुआ तो समझूंगा बिहार में ईमानदार अधिकारी नहीं चाहिए, बल्कि शिक्षा विभाग ने अपनी नाकामी छुपाने के लिए रणजीत सिंह को पंचायती राज निदेशक बनाया है.


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