यही नहीं गुजरात में भारतीय ट्राइबल पार्टी के नेता छोटूभाई वसावा ने भी द्रौपदी मुर्मू को ही वोट किया है। उन्होंने कहा कि मैंने ऐसी नेता को वोट दिया है, जिसने गरीबों को आगे बढ़ाने के लिए काम किया है। अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी को भी राष्ट्रपति चुनाव में फूट का सामना करना पड़ा है। एक तरफ अखिलेश यादव के चाचा और प्रसपा प्रमुख शिवपाल यादव ने खुलेआम द्रौपदी मुर्मू को वोट दिया है तो वहीं सपा के अपने ही विधायक शहजील इस्लाम ने भी द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में मतदान किया है। बरेली के भोजीपुरा से पार्टी विधायक शहजील इस्लाम बीते कुछ वक्त से पार्टी से नाराज बताए जा रहे थे।
शिवपाल यादव ने तो पहले ही साफ कर दिया था कि वह ऐसे शख्स को वोट नहीं करेंगे, जिसने एक दौर में मुलायम सिंह यादव को आईएसआई एजेंट करार दिया था। कांग्रेस भी राष्ट्रपति चुनाव में क्रॉस वोटिंग रोकने में फेल रही है। ओडिशा से पार्टी के विधायक मोहम्मद मुकीम ने भी एनडीए की राष्ट्रपति उम्मीदवार को वोट दिया है। ओडिशा कांग्रेस के सूत्रों का कहना है कि मुकीम को खुद को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने के लिए दावेदारी कर रहे थे। लेकिन ऐसा नहीं होने से वह पार्टी से नाराज थे। झारखंड में भी कांग्रेस के विधायकों की ओर से क्रॉस वोटिंग करने की आशंका है।
हरियाणा में भी कांग्रेस को क्रॉस वोटिंग का सामना करना पड़ा है। पार्टी के विधायक कुलदीप बिश्नोई ने द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में वोटिंग की है। वोट डालने के बाद उन्होंने कहा कि मैंने अपनी अंतरात्मा की आवाज को सुनते हुए मतदान किया है। इससे पहले राज्यसभा चुनाव में भी उन्होंने कांग्रेस की बजाय भाजपा समर्थित कैंडिडेट को वोट दिया था।
नियम के मुताबिक राष्ट्रपति चुनाव में कोई भी पार्टी मतदान के लिए व्हिप नहीं जारी कर सकती। सभी विधायकों और सांसदों को अपनी मर्जी के मुताबिक किसी भी कैंडिडेट को वोट देने का अधिकार होता है। हालांकि परंपरागत तौर पर लोग अपनी पार्टी लाइन के आधार पर ही मतदान करते हैं। ऐसे में क्रॉस वोटिंग किसी भी पार्टी के लिए एक झटके के तौर पर ही देखी जाती है। बता दें कि राष्ट्रपति चुनाव में यूपी सबसे बड़ा फैक्टर है। सूबे के 403 विधायक हैं और सभी के वोट का मूल्य 208 है, जो देश के किसी अन्य राज्य के मुकाबले ज्यादा है।