VIDEO: सोनिया गांधी ने कांग्रेस की बैठक बुलाई, अशोक गहलोत, कमलनाथ 10 जनपथ पहुंचे
राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी ने एक बार फिर राहुल गांधी और कांग्रेस पर निशाना साधा है. फेसबुक पर किए अपने पोस्ट के जरिए शिवानंद तिवारी ने सोनिया गांधी को वो दौर याद दिलाया जब उन्होंने प्रधानमंत्री की कुर्सी त्याग दी थी. वह लिखते हैं, 'आपने प्रधानमंत्री की कुर्सी का मोह त्याग कर कांग्रेस को बचाया था. आज उससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण यह है कि पुत्र मोह त्याग कर देश में लोकतंत्र को बचाने के लिए कदम बढ़ाइए.'
नई दिल्ली: कांग्रेस में सक्रिय नेतृत्व और व्यापक संगठनात्मक बदलाव की मांग को लेकर पत्र लिखने वाले 23 नेताओं के समूह में शामिल कुछ नेता शनिवार को पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात करेंगे. सोनिया गांधी अपने आवास 10 जनपथ पर नेताओ से मुलाकात करेंगी. बैठक में कांग्रेस को मजबूत करने व नए राष्ट्रीय अध्यक्ष को लेकर भी बात होगी. बता दें कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव जनवरी के अंत में होना है.
बैठक में डॉ मनमोहन सिंह,एके एंटनी, पी चिदंबरम, गुलाम नबी आजाद, आंनद शर्मा, शशि थरूर, भूपिंदर सिंह हुड्डा, केसी वेणुगोपाल, रणदीप सुरजेवाला, हरीश रावत समेत राहुल गांधी व प्रियंका गांधी भी शामिल होंगे.
सूत्रों ने बताया कि सोनिया गांधी के साथ इन नेताओं की मुलाकात की भूमिका तैयार करने में मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यममंत्री कमलनाथ की अहम भूमिका है और 19 अगस्त की इस प्रस्तावित बैठक में वह भी शामिल होंगे. कमलनाथ ने कुछ दिनों पहले ही सोनिया से मुलाकात की थी. पत्र लिखने वाले नेताओं में शामिल एक नेता ने इसकी पुष्टि की है कि उन्हें सोनिया से मुलाकात के लिए बुलाया गया है.
कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि सोनिया से कुछ ऐसे नेता भी मिल सकते हैं जो लंबे समय से पार्टी से नाराज चल रहे हैं, हालांकि वे पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले नेताओं में शामिल नहीं हैं. सूत्रों का कहना है कि इन नेताओं की सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद सुलह की गुंजाइश बढ़ सकती है.
उल्लेखनीय है कि गत अगस्त महीने में गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा और कपिल सिब्बल समेत कांग्रेस के 23 नेताओं ने सोनिया गांधी को पत्र लिखकर पार्टी के लिए सक्रिय अध्यक्ष होने और व्यापक संगठनात्मक बदलाव करने की मांग की थी. इसे कांग्रेस के कई नेताओं ने पार्टी नेतृत्व और खासकर गांधी परिवार को चुनौती दिए जाने के तौर पर लिया. कई नेताओं ने गुलाम नबी आजाद के खिलाफ कार्रवाई की मांग भी की.
बिहार विधानसभा चुनाव और कुछ प्रदेशों के उप चुनावों में कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन के बाद भी, आजाद और सिब्बल ने पार्टी की कार्यशैली की खुलकर आलोचना की थी और इसमें व्यापक बदलाव की मांग की थी. इसके बाद वे फिर से कांग्रेस कई नेताओं के निशाने पर आ गए.