महिला बीजेपी विधायक का वीडियो वायरल, बोलीं- गल्ला खा गऐ, रुपया खा गऐ, नमक खा गए और...
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नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में तीसरी चरण में समाजावादी पार्टी के गढ़ माने जाने वाले इटावा में वोटिंग होनी है. ऐसे में सभी प्रत्याशियों ने जोर-शोर से चुनाव प्रचार में जुटे हैं. इटावा सीट से बीजेपी प्रत्याशी और मौजूदा विधायक सरिता भदौरिया का चुनाव प्रचार के दौरान का एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें वो कह रही हैं कि आज हम वोट मांगने जा रहे हैं तो मुंह से नहीं बोल रहे हैं. गल्ला खा गऐ, रुपया खा गऐ, नमक खा गए, सब कुछ खा गए. फिर भी ये लोग नहीं कहते हैं कि वोट देंगे?
इटावा बीजेपी प्रत्याशी सरिता भदौरिया कह रही है कि वोट मांगने हम जाते हैं और कहते हैं कि दीदी वोट देना तो मुंह से नहीं बोल रही हैं. गल्ला खा गऐ, रुपया खा गऐ, नमक खा गए, पैसा खा गए और मुंह से नहीं बोल रहे हैं. अब जब हम वोट मांगने जा रहे हैं तो नमस्कार भी स्वीकार नहीं कर रहे हैं. ये कहां का न्याय है. सरीता भदौरिया आगे कहती है कि अगर आपको इतना ही खराब लग रहा था तो पहले कह देती कि हम तुम्हारा गल्ला नहीं खाएंगे और पैसा नहीं लेंगे.
बीजेपी विधायक कहती हैं कि ये ईमानदारी तो नहीं हुई ना कि सबकुछ ले लिया और अब वोट देने के समय मुंह से बात नहीं कर रही. इन्हें गल्ला मिले, रुपये मिले. सुविधाएं मिले, आवास मिले, लेकिन जब वोट देने जाएंगे तो इन्हें न तो गल्ला दिख रहा है और न ही आवास. बीजेपी प्रत्याशी के 21 सेंकेड का यह वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है, जिस पर सपा और कांग्रेस सहित तमाम लोंगे ने जवाबी हमला बोला है.
कांग्रेस के प्रवत्ता सुरेंद्र राजपूत ने वीडियो ट्वीट करते हुए लिखा है, 'ये सरिता भदौरिया बीजेपी विधायक हैं. गल्ला, रुपया ऐसे बता रही है जैसे इनके घर से बांटा गया हो. सरिता जी गल्ला, रुपया सब देश का है. हर देशवासी का अधिकार का है. आपके या भाजपा वालों की ससुराल से नहीं आया है. ये जनता आपको भिखारी बनायेंगी.' सुप्रीम कोर्ट के वकील प्रशांत भूषण ने भी ट्वीट करते हुए विधायक पर तंज कसा है और कहा कि बीजेपी को वोट के लिए, इतना तरसना और इतना हताशा, कभी नहीं देखी थी.
बता दें कि इटावा की बीजेपी विधायक सरिता भदौरिया यह बात चुनाव प्रचार के दौरान जगह-जगह कर रही है. इसस पहले उन्होंने इटावा के निजी बैंकट हॉल में एक कार्यक्रम के दौरान मुस्लिम समुदाय पर जबरदस्त तंज कसते हुए कहा था कि अगर इतनी ही खुद्दारी थी. चुनाव में अगर इतना ही जाति मजहब करना था तो योगी का दिया हुआ गल्ला, नमक और पैसा क्यों खाया?
उन्होंने अखिलेश यादव का नाम लिए बिना कहा था कि यदि जिनकी वकालत करते हैं वो अगर मुख्यमंत्री बनेंगे तो सैफई में नाच होगा, नौजवानों को गुमराह किया जाएगा, बेटियों को छेड़ा जाएगा. संबोधन में यहीं न रुकते हुए उन्होंने कहा कि जो भारत का खाते हैं जो भारत का पीते हैं योजनाओं में सर्वाधिक लाभ उठाते हैं. जब बात आती है तब पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाते हैं. हम लोगों ने किसी भी योजना में धर्म और जाति की बात नहीं कि जब बात जीवन मरण की आई तब सभी को योजनाओं का लाभ दिया. लेकिन चुनाव के समय ये मुंह फेर रहे हैं और बात तक नहीं सुन रहे.
सरिता भदौरिया ने कहा था कि हम लोग हिन्दू हैं और उदार हृदय के हैं हम लोग झुकना जानते हैं तो हम लोग खड़े होना भी जानते हैं. हम अगर दयालु है तो कठोरता भी दिखाना जानते हैं. अगर हम महिला हैं तो हम लोगों का सम्मान करेंगे, लेकिन हमारे बच्चों पर आंच आएगी तो हम उनका खून पीने का भी काम करेंगे.
वह कहती हैं कि हमने लोगों की सेवा की है. 80 करोड़ लोगों को वैक्सीन लगवाई है, घर बनवाए हैं, फ्री में गैस सिलेंडर दिए हैं, शौचालय दिए हैं. रुपया दिया, पेंशन भी दिया है और सम्मान दिया है. आपके समाज में भी सम्मान देने का काम किया है तीन तलाक जैसी कुप्रथा थी उसको समाप्त करके मुस्लिम बहनों को सम्मान दिया है. लेकिन वोट देने के समय मुंह से बात नहीं कर रहे हैं. ये कहां की ईमानदारी है?