नई दिल्ली: देश में कोरोना वायरस के खिलाफ टीकाकरण अभियान चल रहा है। इस साल के अंत तक सभी लोगों का टीकाकरण करने का लक्ष्य है, इसके लिए भारी मात्रा में वैक्सीन की जरूरत है। इसे पूरा करने के लिए सरकार युद्धस्तर पर वैक्सीन का उत्पादन बढ़ाने में जुटी हुई है। इसी कड़ी में वैक्सीन की गुणवत्ता की जांच और उसे बाजार में जारी करने की मंजूरी देने के लिए दो और सेंट्रल ड्रग लैबोरेटरी यानी केंद्रीय औषधि प्रयोगशालाओं की स्थापना की गई है।
केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने रविवार को कहा कि पुणे स्थित स्वायत्त शोध संस्थान नेशनल सेंटर फार सेल साइंस (एनसीसीएस) और हैदराबाद स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट आफ एनिमल बायोटेक्नोलाजी (एनआइएबी) में सेंट्रल ड्रग लैबोरेटरी (सीडीएल) की स्थापना की गई है। यहां पर कोरोना रोधी वैक्सीन के बैच और उसकी गुणवत्ता की जांच की जाएगी।
अभी देश में सिर्फ एक कसौली में सेंट्रल ड्रग लैबोरेटरी है। यह एक नेशनल कंट्रोल लैबोरेटरी है, जहां मनुष्य में इस्तेमाल किए जाने वाले टीके और एंटीसेरा की जारी करने से पहले जांच की जाती है और टीकाकरण के लिए उसे प्रमाण दिया जाता है।
मंत्रालय ने कहा कि पीएम-केयर्स फंड द्वारा वित्तीय मदद से इन दोनों केंद्रीय औषधि प्रयोगशालाओं को स्थापित किया गया है। पुणे स्थित प्रयोगशाला को सीडीएल के रूप में वैक्सीन की जांच और उसके लाट को जारी करने के लिए अधिसूचित कर दिया गया है। हैदराबाद स्थित लैबोरेटरी के लिए भी जरूरी अधिसूचना जल्द जारी की जाएगी। इन दोनों प्रयोगशालाओं में प्रतिमाह वैक्सीन की करीब 60 बैच की जांच किए जाने की उम्मीद है। इससे टीकाकरण के लिए कम समय में ज्यादा से ज्यादा वैक्सीन मिलेंगी।