भारत में वैक्सीन: कोविशील्ड की कीमत, डोज से लेकर आम आदमी के सवालों के जवाब सिर्फ एक क्लिक पर
बेसब्री से कोरोना वैक्सीन का इंतजार कर रहे देशवासियों को नए साल के मौके पर खुशखबरी मिल गई है. एक्सपर्ट कमेटी की बैठक हुई, जिसमें ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन के आपात इस्तेमाल को मंजूरी दे दी गई है. हालांकि सरकार के शीर्ष सूत्रों के मुताबिक सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) की कोविशील्ड को पैनल से मंजूरी के लिए सिफारिश मिल गई है. लेकिन अभी इस पर अंतिम फैसला DCGI द्वारा लिया जाना है.
बता दें कि ब्रिटेन में ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन को मंजूरी मिल गई है. वहीं, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने फाइजर की वैक्सीन को मंजूरी दे दी है. ऐसे में भारत में इसको मंजूरी मिलने की उम्मीद भी बढ़ गई है. ऐसे में कोरोना से सहमे लोगों के दिमाग में वैक्सीन को लेकर तरह-तरह के सवाल उठ रहे हैं. आइए हम आपको कोरोना वैक्सीन से जुड़े आपके सभी सवालों का जवाब देते हैं.
क्या कोरोना वैक्सीन बहुत जल्द आ सकती है?
हां, वैक्सीन विभिन्न स्तर पर ट्रायल के फाइनल स्टेज में है. भारत सरकार जल्द ही वैक्सीन की अनुमति दे सकती है. वैक्सीन से संबंधित ज्यादा जानकारी के लिए www.mohfw.gov.in पर विजिट कर सकते हैं.
क्या कोविड-19 वैक्सीन सभी को एक साथ दी जाएगी?
भारत सरकार ने वैक्सीन की उपलब्धता के मुताबिक प्राथमिकता वाले समूहों का चयन किया है, जो ज्यादा जोखिम उठा रहे हैं. उन्हें ही पहले ये वैक्सीन लगाई जाएगी. पहले समूह में हेल्थकेयर और फ्रंटलाइन वर्कर्स शामिल हैं. दूसरे समूह में 50 साल से ऊपर के लोग और 50 साल से कम उम्र के वैसे लोग शामिल हैं, जो बीमारियों से ग्रसित हैं.
क्या वैक्सीन लेना जरूरी है?
कोविड-19 वैक्सीन लेना स्वैच्छिक है. हालांकि, स्वयं की सुरक्षा के लिए वैक्सीन का पूरा डोज लेने की सलाह दी जाती है ताकि इस बीमारी को अपने परिवार के सदस्यों, दोस्तों, संबंधियों और काम करने वाले सहयोगियों में प्रसार से रोका जा सके.
क्या वैक्सीन सुरक्षित है, क्योंकि इसे कम समय में जांच कर तैयार की गई है?
देश में कोरोना वैक्सीन को मंजूरी नियामक निकायों द्वारा सुरक्षा और सफलता के आधार पर ही मिलती है.
क्या वर्तमान में कोरोना संक्रमित (कन्फर्म या संभावित) शख्स को वैक्सीन दी जाएगी?
कोरोना संक्रमित (कन्फर्म या संभावित) व्यक्ति के टीकाकरण से केंद्र पर कोरोना फैलने का डर रहेगा. इसलिए ऐसे लोगों को 14 दिनों के लिए टीकाकरण से परहेज करना चाहिए.
क्या कोरोना को हराकर ठीक होने वाले हर शख्स के लिए वैक्सीन जरूरी है?
हां, लोगों को कोरोना संक्रमण के पिछले अनुभव को भूलकर वैक्सीन का पूरा डोज लेना चाहिए. यह कोरोना के खिलाफ मजबूत इम्यूनिटी डेवलप करेगा.
कोरोना की कई वैक्सीन में से एक या एक से अधिक वैक्सीन का चयन प्रशासन टीकाकरण के लिए कैसे करेगा?
वैक्सीन को लाइसेंस देने के पहले क्लीनिकल ट्रायल की सुरक्षा और सफलता के आंकड़ों की जांच देश के ड्रग रेग्युलेटर के द्वारा की जाती है. इसलिए वैसे सभी वैक्सीन सुरक्षित और असरदार होगी, जिन्हें लाइसेंस मिलेगा. हालांकि, यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि एक ही तरह की वैक्सीन का पूरा डोज लगाया जाय, क्योंकि अलग-अलग तरह की वैक्सीन का डोज एक दूसरे के पूरक नहीं हैं.
क्या भारत के पास 2 डिग्री से 8 डिग्री सेल्सियस के बीच वैक्सीन को रखने और जरूरी तापमान पर एक जगह से दूसरी जगह ले जाने की क्षमता है?
भारत दुनिया में सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान चलाने वाल देशों में से एक है. यह 26 मिलियन नवजात और 29 मिलियन गर्भवती महिलाओं के लिए अभिायान चलता है. अभियान की सफलता के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले तंत्र को और मजबूत किया जा रहा है.
क्या भारत में मंजूरी मिलने वाली वैक्सीन दूसरे देशों की वैक्सीन जैसी प्रभावशाली होगी?
हां, भारत की वैक्सीन भी उतनी ही प्रभावशाली होगी, जितनी दूसरे देशों में बनाई गई वैक्सीन. वैक्सीन की सुरक्षा और सफलता के लिए कई चरण के ट्रायल किए गए हैं.
यह कैसे पता चलेगा कि हम वैक्सीन के लिए योग्य हैं?
पहले चरण में COVID-19 वैक्सीन प्राथमिकता वाले हेल्थकेयर और फ्रंटलाइन वर्कर्स को दी जाएगी. उसके बाद उपलब्धता के आधार पर 50 साल से अधिक उम्र वाले लोगों को वैक्सीन उपलब्ध कराई जाएगी. वैक्सीन के लिए योग्य लोगों को उनके रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर के जरिए इसकी सूचना दी जाएगी. उन्हें बताया जाएगा की वैक्सीन कहां दी जाएगी और उसका टाइम शेड्यूल भी बताया जाएगा.
वैक्सीन को अंतिम रूप कैसे दिया जाता है?
जब वैक्सीन बन जाती है, तो उसे एक छोटी बोतल में फिल किया जाता है. जिसके बाद पैकेजिंग होती है, अंत में चेक किया जाता है कि बोतल में वैक्सीन के अलावा कुछ और ना जाए.
सीरम इंस्टीट्यूट से देश में कैसे जाएगी वैक्सीन?
वैक्सीन के डोज को अंतिम रूप देने के बाद सभी डोज को पैक किया जाएगा. जिसे बॉक्स में बंद करके ड्राइ आइस किया जाएगा, फ्रिजर वाले ट्रक से इन्हें देश के अलग-अलग हिस्सों में भेजा जाएगा. वैक्सीन को सरकारी कोल्ड स्टोरेज में रखा जाएगा.
वैक्सीन की एक बोतल से कितने लोगों को वैक्सीन मिलेगी?
सीरम इंस्टीट्यूट में जो वैक्सीन की बोतल बन रही है, उसमें 10 डोज दी जा सकती हैं. जिसे एक बार खोलने के बाद 4-5 घंटे के भीतर इस्तेमाल की जा सकती है. यानी अगर एक डॉक्टर के पास वैक्सीन की एक बोतल है तो उसमें 10 डोज मौजूद होंगी जिन्हें वो पांच लोगों को दे सकता है.
कितनी सेफ है सीरम की वैक्सीन?
वैक्सीन बनाने में 9 महीने का वक्त गया है, सेफ्टी की सभी शर्तों को पूरा किया जा रहा है. हर वैक्सीन में कुछ ना कुछ साइड इफेक्ट होते हैं, लेकिन कोरोना की वैक्सीन में अभी तक जान का खतरा कोई सामने नहीं आया है. एक बार वैक्सीन लग जाए तो शुरू के सात दिन में इफेक्ट दिखना शुरू हो जाते हैं, अभी तक के सारे ट्रायल में कोई दिक्कत नहीं आई है.
ट्रायल के दौरान कैसे साइड इफेक्ट मिले?
जिन लोगों को ट्रायल के दौरान वैक्सीन दी गई, उनमें से कुछ ने सिर दर्द और हल्का बुखार होने की बात कही. जो सामान्य दवाई से कुछ दिन में ही ठीक हो गया, ऐसे में कोई बड़ा साइड इफेक्ट नहीं हुआ है.
कितने तापमान में रखी जा रही है वैक्सीन?
सीरम इंस्टीट्यूट का दावा है कि उनकी वैक्सीन से 2 से 8 डिग्री के तापमान में रखा जा सकता है. ये किसी आम फ्रिज में भी रखी जा सकती है. अगर फ्रिज के बाहर वैक्सीन को रखा गया तो 10 दिन तक कुछ खराबी नहीं होगी, लेकिन फिर भी इसे 2 से 8 डिग्री तक में ही रखा जाना चाहिए.
अभी वैक्सीन की कितनी डोज तैयार हैं?
सीरम इंस्टीट्यूट के पास 50 मिलियन डोज तैयार हैं. जो कि कुल 25 मिलियन लोगों को दी जा सकती हैं.
वैक्सीन की पहली और दूसरी डोज के बीच कितना अंतर जरूरी?
भारत में सीरम इंस्टीट्यूट पूरी डोज के लिए अप्लाई कर रहा है. लेकिन लोगों से अपील की जा रही है कि वो पहली डोज और दूसरी डोज के बीच कुछ अंतर रखें. अगर दो महीने के बाद दूसरी डोज ली जाती है, तो काफी अच्छा सफलता मिलेगी.
अगर पहली डोज ले ली गई है, तो उसके बाद लोगों को सावधानी बरतनी होगी. हालांकि, वैक्सीन से भी आपको काफी मदद मिलेगी लेकिन खुद भी सतर्क रहना होगा. ताकि दो महीने बाद दूसरी डोज ले सकें?
अगर सिर्फ एक ही डोज लगवाई तो क्या होगा?
सीरम इंस्टीट्यूट का कहना है कि लोगों को ध्यान रखना होगा कि उन्हें दो डोज लेनी हैं. सिर्फ एक डोज से वैसी प्रोटेक्शन नहीं मिलेगी, जैसा पूरा डोज मिलने से मिलेगी. ऐसे में अगर वैक्सीन का फायदा लंबे वक्त तक लेना है, तो लोगों को दोनों ही डोज लेनी होंगी.
कोरोना के नए स्ट्रेन पर वैक्सीन काम करेगी?
सीरम इंस्टीट्यूट का कहना है कि ऐसी कोई वजह नहीं है कि वैक्सीन नए स्ट्रेन पर काम नहीं करेगी. वैज्ञानिकों का कहना है कि वायरस में हल्का ही बदलाव हुआ है, ऐसे में वैक्सीन इसपर काम कर सकेगी. हालांकि, अगले कुछ दिनों में ये साफ हो जाएगा कि वैक्सीन नए स्ट्रेन पर कितना कारगर है.
सीरम की वैक्सीन की कितनी कीमत होगी?
इंस्टीट्यूट भारत सरकार को एक डोज 200 रुपये में देगी यानी दो डोज की वैक्सीन 400 रुपये में दी जाएगी. लेकिन ये दाम सिर्फ सरकार के लिए है, क्योंकि सरकार सीरम से करोड़ों डोज खरीद रही है. अगर कोई प्राइवेट कंपनी वैक्सीन की डोज खरीदती है तो 1 हजार रुपये एक डोज के लिए देने होंगे. यानी किसी प्राइवेट जगह से वैक्सीन लेने का खर्च 2 हजार रुपये होगा.
क्या मेडिकल स्टोर से मिल जाएगी कोरोना वैक्सीन?
मार्च या अप्रैल तक प्राइवेट रूप से वैक्सीन मिलना शुरू हो जाएगी. लेकिन ये वैक्सीन आपको किसी डॉक्टर के पास ही मिलेगी, जो उसकी सलाह अनुसार ही दी जाएगी. लेकिन मुख्य रूप से शुरुआत में वैक्सीन सरकार कैसी व्यवस्था करती है उस हिसाब से मिलेगी.
भारत सरकार ने अबतक कितने डोज खरीदे?
सरकार ने जुलाई 2021 तक 20 से 30 करोड़ डोज लेने की बात कही है, लेकिन लिखित कॉन्ट्रैक्ट नहीं हुआ है. सरकार अभी वैक्सीनेशन की तैयारी में लगी हुई है. सरकार किन वैक्सीन को मंजूरी देती है, उसपर लोगों को ध्यान देना चाहिए. हर वैक्सीन में कुछ अंतर हो सकता है, लेकिन जो सरकार से पास हो उसी का इस्तेमाल करना चाहिए.
कोरोना वैक्सीन की कालाबाजारी कैसे रुकेगी?
सीरम की ओर से शुरुआत में सारी वैक्सीन सरकार को ही जाएगी. ऐसे में सरकार किसे वैक्सीन देती है, ये उनपर निर्भर है. हम उसके तीन-चार महीने में प्राइवेट लोगों को वैक्सीन दे सकेंगे. शुरुआत में कुछ भीड़ जैसी स्थिति हो सकती है, लेकिन आगे इंतजार करना होगा.