भारत में नहीं मिली है 12 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए टीकाकरण की मंजूरी
मामले की जानकारी रखने वाले एक व्यक्ति ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, 'सुरक्षा डेटा सबसे महत्वपूर्ण है और नियामक को इसे लेकर पूर्ण रूप से आश्वस्त होना चाहिए.'
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। भारत के ड्रग रेगुलेटर यानी औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई), कुछ शर्तों के साथ 12 साल से अधिक उम्र के बच्चों के लिए भारत बायोटेक के कोविड-19 रोधी टीके कोवैक्सीन को आपातकालीन उपयोग के लिए पहले ही मंजूरी दे चुका है, लेकिन 12 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए इसकी इजाजत नहीं दी गई है. दरअसल, डीसीजीआई टीके की सुरक्षा से संबंधित अन्य कई पहलुओं के बारे में पूरी तरह से सुनिश्चित होना चाहता है, यही कारण है कि अभी 12 साल से कम आयु के बच्चों के लिए टीके को मंजूरी नहीं दी गई है. कुल मिलाकर 12 साल से कम उम्र के बच्चों को वैक्सीनेशन के लिए अभी और इंतजार करना होगा.
मामले की जानकारी रखने वाले एक व्यक्ति ने नाम न छापने की शर्त पर हिन्दुस्तान टाइम्स से कहा, 'सुरक्षा डेटा सबसे महत्वपूर्ण है और नियामक को डेटा के बारे में आश्वस्त होना चाहिए.' उन्होंने बताया कि नियामक को 12 वर्ष से ज्यादा की आयु के बच्चों में सुरक्षा और अन्य संबंधित डेटा मिला था जिसके बाद उस आयु वर्ग के बच्चों के लिए टीकाकरण को मंजूरी दी गई.'
उन्होंने कहा, 'इस विशेष आयु वर्ग (12 वर्ष से कम उम्र के बच्चे) में अंग विकसित हो रहे होते हैं और उस पर टीके के प्रभाव पर विचार किया जाना चाहिए. नियामक की तरफ से वयस्कों की तुलना में बच्चों के लिए सुरक्षा डेटा लंबी अवधि के लिए लिया गया था.'
11 अक्टूबर को की गई थी सिफारिश
केंद्रीय औषध मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) की कोविड-19 पर विषय विशेषज्ञ समिति (एसईसी) ने 11 अक्टूबर को भारत बायोटेक के आपात इस्तेमाल के लिए आवेदन पर विचार करने के बाद कुछ शर्तों के साथ 2-18 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों-किशोरों के लिए कोवैक्सीन को आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी देने की सिफारिश की थी.
एसईसी की सिफारिशों का मूल्यांकन एक अन्य विशेषज्ञ समिति द्वारा किया गया था, जिसके बाद डीसीजीआई ने टीका निर्माता कंपनी से अतिरिक्त डेटा मांगा था. इसके 10 सप्ताह बाद डीसीजीआई ने 25 दिसंबर को अपनी मंजूरी दे दी. बता दें कि पैनल का काम सीडीएससीओ को सिफारिशें करना है, लेकिन अंतिम फैसला डीसीजीआई द्वारा किया जाता है.
अत्यधिक सावधानी बरत रहा नियामक
मामले की जानकारी रखने वाले व्यक्ति ने बताया कि बच्चों और गर्भवती महिलाओं में, दवा नियामक अत्यधिक सावधानी बरत रहा है, जिसका अर्थ यह नहीं है कि अन्य लोगों के लिए मंजूरी देने से पहले सावधानी नहीं बरती गई है. दरअसल, बात यह है कि जब बच्चों की बात आती है, तो उन्हें (नियामक को) और भी अधिक सावधानी से आगे बढ़ना होता है.
सरकार द्वारा 15 से 18 आयु वर्ग के बच्चों के लिए Covaxin के उपयोग की मंजूरी मिलने के कुछ ही दिनों बाद, Covaxin के निर्माता भारत बायोटेक ने एक बयान में कहा कि कोवैक्सीन को इस तरह तैयार किया गया है ताकि वयस्कों और बच्चों को समान खुराक दी जा सके. कोवैक्सीन ने कोविड-19 के मूल स्वरूप और बाद के स्वरूपों के लिए वयस्कों में सुरक्षा और असर के लिए एक सिद्ध रिकॉर्ड दिखाया है. हमने बच्चों में उत्कृष्ट सुरक्षा और प्रतिरक्षा डेटा का दस्तावेजीकरण किया है. हम कोवैक्सीन के जरिए वयस्कों और बच्चों के लिए समान स्तर की सुरक्षा प्रदान करने को लेकर आशान्वित हैं. उन्होंने कहा कि दूसरे-तीसरे चरण के परीक्षणों में बच्चों के उस आयु वर्ग के लिए अनुकूल पाया गया है.
हैदराबाद स्थित इस फर्म ने कहा कि बच्चों में न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडी औसतन वयस्कों की तुलना में 1.7 गुना अधिक पाई गई. इसमें कहा गया है कि क्लिनिकल परीक्षण के दौरान कोई गंभीर प्रतिकूल घटना सामने नहीं आई. जानकारी के मुताबिक दूसरे-तीसरे चरण की टेस्टिंग के दौरान 374 बच्चों पर इसका उपयोग किया गया जिसका असर व्यस्कों से बेहतर दिखा. ये परीक्षण पिछले साल जून और सितंबर के बीच आयोजित किए गए थे.