Uttarakhand : पुष्कर सिंह धामी का बीजेपी में क्षेत्रीय और जाति प्रतिनिधित्व संतुलित करने के लिए हुआ चयन

पुष्कर सिंह धामी का बीजेपी में क्षेत्रीय और जाति प्रतिनिधित्व संतुलित करने के लिए हुआ चयन

Update: 2021-07-03 17:08 GMT

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के रूप में कुमाऊं क्षेत्र से पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) के रूप में बीजेपी ने एक युवा ठाकुर चेहरे को चुना है. इससे पहले उसने गढ़वाल से अंतिम दो सीएम दिए थे. न्यूज18 ने 2 जुलाई को खबर दी थी कि तीरथ सिंह रावत (Tirath Singh Rawat) के इस्तीफा देने के बाद धामी इस पद के लिए एक आश्चर्यजनक विकल्प हो सकते हैं. खटीमा विधानसभा सीट से दो बार विधायक रहे धामी न तो त्रिवेंद्र सिंह रावत (Trivendra Singh Rawat) और न ही तीरथ सिंह रावत सरकार में मंत्री रहे. धामी का चयन उत्तराखंड में पार्टी के अंदर क्षेत्रीय और जाति प्रतिनिधित्व को संतुलित करता है क्योंकि गढ़वाल से ब्राह्मण नेता मदन कौशिक (Madan Kaushik) पार्टी प्रमुख हैं.

धामी ने खुद को बताया सैनिक के बेटे और साधारण पार्टी कार्यकर्ता
अपने नाम की घोषणा के बाद धामी ने अपनी पहली टिप्पणी में जोर देकर कहा कि वह पार्टी के एक साधारण कार्यकर्ता, एक सैनिक के बेटे हैं और पिथौरागढ़ के सीमावर्ती क्षेत्र में पैदा हुए थे. उत्तराखंड एक सीमावर्ती राज्य है जो युवाओं को सशस्त्र बलों में भेजने के लिए जाना जाता है. वह रविवार यानी कल शाम 5 बजे सीएम पद की शपथ लेंगे. भाजपा ने 45 वर्षीय धामी पर यह विश्वास करते हुए अपना दांव लगाया है कि वे युवा मतदाताओं से अपील कर सकते हैं क्योंकि वे राज्य में भाजपा युवा मोर्चा के प्रमुख के रूप में काम कर चुके हैं.
सबसे युवा मुख्यमंत्री
2017 के विधानसभा चुनावों में भाजपा ने राज्य की 70 में से 57 सीटों पर जीत हासिल की थी. पार्टी ने कुमाऊं की 29 में से 23 सीटें जीती थीं. यह वह क्षेत्र है जहां से राज्य के वरिष्ठ कांग्रेस नेता आते हैं, जिनमें पूर्व सीएम हरीश सिंह रावत भी शामिल हैं, जिनके खिलाफ भाजपा राज्य के अब तक के सबसे युवा मुख्यमंत्री के रूप में धामी को खड़ा कर रही है. कुमाऊं से एक और शीर्ष कांग्रेस नेता थीं इंदिरा हृदयेश, पिछले महीने जिनका निधन हो गया.
चुनाव को अवसर के रूप में देखते हैं धामी
धामी उत्तराखंड के पूर्व सीएम भगत सिंह कोश्यारी के आश्रित हैं. कोश्यारी भी कुमाऊं के बागेश्वर से हैं और इन दोनों के आरएसएस के साथ घनिष्ठ संबंध हैं. कोश्यारी फिलहाल में महाराष्ट्र के राज्यपाल हैं. उत्तराखंड में भाजपा को फिलहाल एक कठिन चुनौती का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि पिछले चार साल में उसके तीसरे मुख्यमंत्री 2022 के विधानसभा चुनाव की अगुवाई करेंगे. धामी के मुताबिक, वे इस चुनाव को एक अवसर के रूप में देखते हैं कि पार्टी को फिर सत्ता दिलाई जा सके.


Tags:    

Similar News