पटना (आईएएनएस)| बिहार में सत्तारूढ़ महागठबंधन में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल प्रमुख घटक दल जनता दल यूनाइटेड में आंतरिक विवाद अब सार्वजनिक रूप से दिखने लगा है। पार्टी के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष जैसे महत्वपूर्ण पद पर आसीन पूर्व उपेंद्र कुशवाहा अब अपनी ही पार्टी में अकेले पड़ते जा रहे हैं। जदयू के सबसे बड़े नेता मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अब कुशवाहा के विषय में जहां बात तक करना नहीं चाह रहे। वहीं पार्टी के प्रमुख ललन सिंह उनके बयान को हो नकारते नजर आ रहे हैं। इधर, पार्टी के वरिष्ठ नेता के सी त्यागी ने भी अब उन्हे नसीहत दे दी है।
इस बीच हालांकि कुशवाहा का दर्द भी मंगलवार को छलक गया। कुशवाहा ने तो यहां तक कह दिया कि पार्टी में उन्हे नहीं बल्कि नीतीश कुमार को कमजोर करने की साजिश रची जा रही है। उन्होंने कहा कि कुशवाहा को इसलिए हो हटाने का प्रयास किया जा रहा है कि नीतीश कमजोर हो जाएं।
इधर, जब मंगलवार को नीतीश कुमार से कुशवाहा के सम्बन्ध में बात करने की कोशिश की गई तो उन्होंने तल्ख अंदाज में कह दिया कि उन्हें छोड़ दीजिए, जो बोलना चाहें बोलने दीजिए, लेकिन उनकी बात पर हमारी पार्टी का कोई भी व्यक्ति कुछ भी नहीं कहेगा।
उन्होंने कहा कि उपेंद्र कुशवाहा के किसी बात पर हम से कुछ मत पूछिए।
इधर, पार्टी के प्रमुख ललन सिंह ने भी कुशवाहा के जदयू के नेताओं के भाजपा के साथ संपर्क में रहने के बयान का खंडन करते हुए कहा किया कि पार्टी का कोई भी नेता भाजपा के संपर्क में नहीं हैं। उन्होंने कहा कि पार्टी ने उन्हें पूरा सम्मान दिया है।
उन्होंने हालांकि इस दौरान यह भी कहा कि पार्टी उनके साथ मजबूती के साथ है, वे पार्टी के साथ हैं या नहीं, वे ही जानें।
इससे पहले पार्टी के राष्ट्रीय प्रधान महासचिव के सी त्यागी ने सोमवार को कुशवाहा से मुख्यमंत्री से संवाद करने की नसीहत दी थी।
ऐसी स्थिति में अब तय माना जा रहा है कि जिस तरह कुशवाहा अपनी ही पार्टी जदयू में अकेले पड़ गए है, उसमे वे ज्यादा दिनों तक टिक पायेंगे। ऐसे भी पिछले दिनों कुशवाहा जब दिल्ली एम्स में भर्ती थे तो भाजपा के तीन नेता उनसे मिलने वहां पहुंचे थे। अब देखने वाली बात होगी कि कुशवाहा का अलग कदम क्या होता है।
उल्लेखनीय है कि उपेंद्र कुशवाहा ने अपनी पार्टी राष्ट्रीय लोकसमता पार्टी (रालोसपा) का विलय करते हुए जदयू में शामिल हुए थे।