UP: लखीमपुर खीरी जिले के कई परिवारों को लव जिहाद का बनाया शिकार, धर्मांतरण को लेकर बना दबाव

उत्‍तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले के एक गांव के कई परिवारों को लव जिहाद का शिकार बनाया गया. यहां रहने वाले थारू आदिवासी लगातार धर्मांतरण और लव जिहाद का शिकार बनाए जा रहे हैं.

Update: 2021-08-20 17:41 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क :-  उत्‍तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले के एक गांव के कई परिवारों को लव जिहाद का शिकार बनाया गया. यहां रहने वाले थारू आदिवासी लगातार धर्मांतरण और लव जिहाद का शिकार बनाए जा रहे हैं. पिछले कुछ वर्षों में इस क्षेत्र में करीब 1000 नए वोटर्स बढ़ गए हैं, जो सभी एक ही समुदाय से हैं. इन आरोपों की सच्‍चाई जानने टीवी9 भारतवर्ष की टीम काफी मशक्‍कत करके लखीमपुर खीरी के नेपाल बॉर्डर से सटे सुरमा गांव पहुंची.

सुरमा गांव में सामने आए लव जिहाद के केस
सुरमा गांव पहुंचने पर टीवी 9 की टीम की पहली मुलाकात हरिश्चंद्र से हुई. ऐसा आरोप है कि इनकी 18 वर्ष की बेटी के साथ लव जिहाद हुआ है. यानी बेटी ने जिस लड़के को हिंदू समझकर शादी की, बाद में पता चला कि वो मुसलमान है. रहस्य तब खुला, जब बेटी विवाह के बाद पति के घर पहुंची. हरिश्चंद्र का कहना है कि पहचान का धोखा हो गया. लेकिन अब करें तो क्या?
एक और परिवार के साथ यही घटना हुई है. बच्ची नाबालिग है, आरोप है कि गांव में फेरी लगाने वाले एक शख्स ने उसे बहलाया. अपने साथ ले गया और शादी कर ली. शादी के बाद जब लड़की को पता चला कि लड़के ने उससे अपना नाम और धर्म छिपाया है, तो उसने विरोध किया. जिसके बाद लड़की के साथ मारपीट भी की गई. गांव में एक और महिला मिलीं जिनका नाम है कलावती. इनकी बेटी के साथ भी ऐसा ही हुआ. बेटी के साथ हुए धोखे के बाद मां सदमे में है. हालांकि इन लोगों ने पुलिस में शिकायत नहीं की.
गोबरौला गांव से भी लव जिहाद के मामले
इसके बाद टीवी9 की टीम गोबरौला गांव में पहुंची. यहां भी एक परिवार का आरोप है कि उनकी बेटी के साथ लव जिहाद हुआ है. मां कुछ बोलने की स्थिति में नहीं है. हमने भाई से पूछा कि पुलिस में शिकायत क्यों नहीं की? तो भाई ने कहा कि ये तो हम किसी से बात भी नहीं सकते. जिसकी मर्जी है उसे तो जाना ही है.
पड़ोस के बुद्ध पुरवा गांव में भी ऐसे ही कुछ केस मिले. जिसमें पहचान छिपाकर शादी करने का आरोप है. बलराम का आरोप है कि बेटी को लालच दिया गया. वह लालच के मारे गई है. पैसे के लालच में, हम तैयार नहीं थे. बेटी ने कहा कि मैं शादी करूंगी बहुत समझाया लेकिन बेटी नहीं मानी. थारू आदिवासियों की बेटियां पढ़ाई के लिए गांव से बाहर भी जाती हैं. आस-पास की घटनाओं को देखते हुए इनके मन में फ़िक्र है.


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