यूपी कैबिनेट: रजनी तिवारी, सतीश शर्मा, दानिश आजाद अंसारी, विजय लक्ष्मी गौतम ने राज्य मंत्री पद की ली शपथ

Update: 2022-03-25 12:24 GMT

यूपी। उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के पहले कार्यकाल में उप मुख्यमंत्री रहे बीजेपी के ब्राह्मण चेहरा दिनेश शर्मा की नई कैबिनेट से छुट्टी हो गई है जबकि केशव प्रसाद मौर्य की कुर्सी को बरकरार रखा गया है. योगी सरकार 2.0 के मंत्रिमंडल में दिनेश शर्मा की जगह ब्रजेश पाठक को उप मुख्यमंत्री बनाया गया है. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर दिनेश शर्मा की जगह ब्रजेश पाठक को क्यों अहमियत दी गई है? साल 2017 में बीजेपी 15 साल के बाद उत्तर प्रदेश की सत्ता में लौटी तो मुख्यमंत्री का ताज योगी आदित्यनाथ के सिर सजा था. लेकिन बीजेपी ने सत्ता का संतुलन बनाने और जातीय समीकरण साधे रखने के लिए ब्राह्मण चेहरे के तौर पर लखनऊ के मेयर रहे डॉ दिनेश शर्मा और ओबीसी समुदाय से आने वाले केशव प्रसाद मौर्य को डिप्टी सीएम की कुर्सी सौंपी थी.

वहीं, 2017 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले बसपा छोड़कर बीजेपी में आए ब्रजेश पाठक को लखनऊ मध्य सीट से विधायक बने थे. इसके बाद योगी सरकार के पहले कार्यकाल में कैबिनेट मंत्री बनाकर उन्हें विधायी, न्याय एवं ग्रामीण अभियंत्रण सेवा का विभाग सौंपा गया था. अब बीजेपी दोबारा से राज्य की सत्ता में लौटी है तो ब्रजेश पाठक का कद बढ़ गया है. उन्हें योगी कैबिनेट 2.0 में उपमुख्यमंत्री के पद से नवाजा गया है.

राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो योगी सरकार के पहले कार्यकाल में जिस तरह से विपक्ष ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की छवि ब्राह्मण विरोधी नेरेटिव गढ़ने की कवायद की. ऐसे में विपक्ष के नेरेटिव को डिप्टीसीएम रहते हुए दिनेश शर्मा बहुत जोरदार तरीके से तोड़ नहीं सके और न ही खुद को ब्राह्मण नेता के तौर अपना प्रभाव जमा सके. ऐसे में बीजेपी को सूबे में ब्राह्मण समाज के दमदार छवि वाले नेता की तलाश थी. बीजेपी शीर्ष नेतृत्व को ब्रजेश पाठक में ब्राह्मण नेता वाली छवि दिखी जिसके बाद यह फैसला लिया गया. ब्रजेश पाठक शुरू से खुद को ब्राह्मण नेता के तौर पर स्थापित करने में जुटे हुए थे. कांग्रेस से लेकर बसपा और बीजेपी में रहते हुए ब्रजेश पाठक ने ब्राह्मणों के मुद्दों पर मुखर रहे हैं.

2017 में योगी सरकार बनने के बाद रायबरेली में ऊंचाहार विधानसभा क्षेत्र के अपटा गांव में पांच ब्राह्मणों को जलाकर मार दिया गया था. इस मुद्दे पर दिनेश शर्मा इतने सक्रिय नहीं दिखे जितना ब्रजेश पाठक थे. उन्होंने इस मुद्दे को जोरदार तरीके से उठाया था, जिसके बाद आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हुई थी.

वहीं, बिकरू कांड के आरोपी माफिया विकास दुबे के एनकाउंटर के बाद तमाम विपक्षी दलों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को ब्राह्मण विरोधी कठघरे में खड़ा करने की कोशिश की थी तो ब्रजेश पाठक खुलकर योगी सरकार के समर्थन में आए थे. इतना ही नहीं, उन्होंने योगी सरकार के बचाव में ब्राह्मणों के बीच तमाम कवायद की थी.

लखीमपुर के तिकुनिया में हुए बवाल में 8 लोगों की मौत से बीजेपी बैकफुट पर थी, क्योंकि इस पूरे घटनाक्रम के केंद्र बिंदु में देश के गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी और उनके बेटे आशीष मिश्रा थे. हालांकि, चार किसानों के साथ-साथ बीजेपी के कार्यकर्ताओं की भी मौत हुई थी. बीजेपी के कार्यकर्ता ब्राह्मण थे, लेकिन कोई भी दल बोलने के लिए तैयार नहीं था. ऐसे में हिंसा में मारे गए भाजपा कार्यकर्ताओं के दसवां संस्कार में ब्रजेश पाठक ने शिरकत कर उनके परिजनों को न सिर्फ सांत्वना दी, बल्कि उन्हें यह भी बताया कि उनके साथ अन्याय नहीं होने दिया जाएगा. इस तरह ब्रजेश पाठक के जाने के बाद बीजेपी के दूसरे नेता पीड़ित परिवारों के पास पहुंचे.


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