राजा अजयपाल और उनके उत्तराधिकारियों ने लगभग तीन सौ साल तक गढ़वाल पर शासन किया था, इस अवधि के दौरान उन्होंने कुमाऊं, मुगल, सिख, रोहिल्ला के कई हमलों का सामना किया था। गढ़वाल के इतिहास में गोरखा आक्रमण एक महत्वपूर्ण घटना थी। यह अत्यधिक क्रूरता के रूप में चिह्नित थी और ‘गोरखायनी’ शब्द नरसंहार और लूटमार सेनाओं का पर्याय बन गया था। दती और कुमाऊं के अधीन होने के बाद, गोरखा ने गढ़वाल पर हमला किया और गढ़वाली सेनाओ द्वारा कठोर प्रतिरोधों के बावजूद लंगूरगढ़ तक पहुंच गए। लेकिन इस बीच, चीनी आक्रमण की खबर आ गयी और गोरखाओं को घेराबंदी करने के लिए मजबूर किया गया। हालांकि 1803 में उन्होंने फिर से एक आक्रमण किया। कुमाऊं को अपने अधीन करने के बाद गढ़वाल में त्रिय(तीन) स्तम्भ आक्रमण किया हैं। पांच हज़ार गढ़वाली सैनिक उनके इस आक्रमण के रोष के सामने टिक नही सके और राजा प्रदीमन शाह अपना बचाव करने के लिए देहरादून भाग गए। लेकिन उनकी सेनाएं की गोरखा सेनाओ के साथ कोई तुलना नही हो सकती थी । गढ़वाली सैनिकों भारी मात्रा में मारे गए और खुद राजा खुडबुडा की लड़ाई में मारे गए । 1804 में गोरखा पूरे गढ़वाल के स्वामी बन गए और बारह साल तक क्षेत्र पर शासन किया।
सन 1815 में गोरखों का शासन गढ़वाल क्षेत्र से समाप्त हुआ, जब अंग्रेजों ने गोरखाओं को उनके कड़े विरोध के बावजूद पश्चिम में काली नदी तक खिसका दिया था। गोरखा सेना की हार के बाद, 21 अप्रैल 1815 को अंग्रेजों ने गढ़वाल क्षेत्र के पूर्वी, गढ़वाल का आधा हिस्सा, जो कि अलकनंदा और मंदाकिनी नदी के पूर्व में स्थित है, जोकि बाद में, ‘ब्रिटिश गढ़वाल’ और देहरादून के दून के रूप में जाना जाता है, पर अपना शासन स्थापित करने का निर्णय लिया । पश्चिम में गढ़वाल के शेष भाग जो राजा सुदर्शन शाह के पास था, उन्होंने टिहरी में अपनी राजधानी स्थापित की । प्रारंभ में कुमाऊं और गढ़वाल के आयुक्त का मुख्यालय नैनीताल में ही था लेकिन बाद में गढ़वाल अलग हो गया और 1840 में सहायक आयुक्त के अंतर्गत पौड़ी जिले के रूप में स्थापित हुआ और उसका मुख्यालय पौड़ी में गठित किया गया।
आजादी के समय, गढ़वाल, अल्मोड़ा और नैनीताल जिलों को कुमाऊं डिवीजन के आयुक्त द्वारा प्रशासित किया जाता था । 1960 के शुरुआती दिनों में, गढ़वाल जिले से चमोली जिले का गठन किया गया । 1969 में गढ़वाल मण्डल पौड़ी मुख्यालय के साथ गठित किया गया । 1998 में रुद्रप्रयाग के नए जिले के निर्माण के लिए जिला पौड़ी गढ़वाल के खिर्सू विकास खंड के 72 गांवों के लेने के बाद जिला पौड़ी गढ़वाल आज अपने वर्तमान रूप में पहुंच गया है।