संयुक्त किसान मोर्चा का ऐलान- 30 जनवरी को गांधीजी के शहादत दिवस पर शांति और अहिंसा के लिए रखेंगे उपवास

संयुक्त किसान मोर्चा ने 26 जनवरी की घटना को लेकर बड़ा बयान दिया है. संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने कहा है कि पिछले 7 महीनों से चल रहे शांतिपूर्ण आंदोलन (Peaceful Movement) को बदनाम करने की साजिश अब जनता के सामने उजागर हो चुकी है.

Update: 2021-01-27 18:11 GMT

जनता से रिश्ता वेब डेस्क। नई दिल्ली. Sanyukta Kisan Morcha: संयुक्त किसान मोर्चा ने 26 जनवरी (26 January) की घटना को लेकर बड़ा बयान दिया है. संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने कहा है कि पिछले 7 महीनों से चल रहे शांतिपूर्ण आंदोलन (Peaceful Movement) को बदनाम करने की साजिश अब जनता के सामने उजागर हो चुकी है. एसकेएम नेताओं ने एक प्रेस रिलीज जारी कर कहा, 'कुछ व्यक्तियों और संगठनों (मुख्य तौर पर दीप सिधु और सतनाम सिंह पन्नू की अगुवाई में किसान मजदूर संघर्ष कमेटी) के सहारे सरकार ने इस आंदोलन को हिंसक बनाया. हम फिर से स्पष्ट करते हैं कि हमारा लाल किले और दिल्ली के अन्य हिस्सों में हुई हिंसक कार्रवाइयों से कोई संबंध नहीं है. जो कुछ जनता द्वारा देखा गया, वह पूरी तरह से सुनियोजित था. हमलोग कल के कुछ अफसोसजनक घटनाओं के लिए नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए एक फरवरी के लिए निर्धारित संसद मार्च को स्थगित करने का फैसला लिया है. साथ ही 30 जनवरी को गांधीजी के शहादत दिवस पर शांति और अहिंसा पर जोर देने के लिए पूरे देश में एक दिन का उपवास रखेंगे.'

राष्ट्रीय प्रतीकों के अपमान की कड़ी निंदा

एसकेएम ने कहा, 'किसानों की परेड मुख्य रूप से शांतिपूर्ण और एक निर्धारित मार्ग पर होनी थी. हम राष्ट्रीय प्रतीकों के अपमान की कड़ी निंदा करते हैं, लेकिन किसानों के आंदोलन को 'हिंसक' के रूप में चित्रित नहीं किया जा सकता, क्योंकि हिंसा कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा की गई थी, जो हमारे साथ जुड़े नहीं हैं. सभी सीमाओं पर किसान कल तक शांतिपूर्ण तरीके से अपनी-अपनी परेड पूरी करके अपने मूल स्थान पर पहुंच गए थे.


पुलिस की बर्बरता की भी कड़ी निंदा करते हैं

संयुक्त किसान नेताओं ने कहा, 'हम प्रदर्शनकारियों पर पुलिस की बर्बरता की भी कड़ी निंदा करते हैं. पुलिस और अन्य एजेंसियों का उपयोग करके इस आंदोलन को खत्म के लिए सरकार द्वारा किए गए प्रयास अब उजागर हो गए हैं. हम कल गिरफ्तार किए गए सभी शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों को तुरंत रिहा करने की मांग करते हैं. हम परेड में ट्रैक्टर और अन्य वाहनों को नुकसान पहुंचाने के प्रयासों की भी निंदा करते हैं.'

राष्ट्रीय प्रतीकों को नुकसान पहुंचाने वालों के खिलाफ कार्रवाई हो

किसान नेताओं ने कहा, 'हम उन लोगों के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की मांग करते हैं, जिन्होंने राष्ट्रीय प्रतीकों को नुकसान पहुंचाया है. किसान सबसे बड़े राष्ट्रवादी हैं और वे राष्ट्र की अच्छी छवि के रक्षक हैं. हम जनता से दीप सिद्धू जैसे तत्वों का सामाजिक बहिष्कार करने की अपील करते हैं.

संयुक्त किसान मोर्च ने कहा कि हम दिल्ली में ही नहीं किसान गणतंत्र परेड कई राज्यों में की गई थी. बिहार में भी किसानों ने पटना सहित कई स्थानों पर गणतंत्र दिवस मनाया. मध्य प्रदेश में भी किसानों ने पूरे उत्साह के साथ इस शानदार दिन को मनाया. 26 जनवरी को दिल्ली में एनएपीएम के कार्यकर्ता किसान परेड में शामिल हुए, जो 12 जनवरी से पुणे से पैदल चले थे. मुंबई के आजाद मैदान में भी एक विशाल रैली का आयोजन किया गया. बैंगलुरू में हजारों किसानों ने किसान परेड में भाग लिया और यह पूरी तरह से शांतिपूर्ण था. किसान गणतंत्र परेड में तमिलनाडु, केरल, हैदराबाद, ओडिशा, बिहार, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश के किसानों ने भाग लिया. हम स्पष्ट करना चाहते हैं कि हमारा आंदोलन शांतिपूर्ण रहेगा. किसान आश्वस्त हैं और शांति से इस सरकार से अपनी असहमति दिखा रहे हैं. कल की परेड में दिल्ली के नागरिकों के प्यार को देखकर हम उनका हार्दिक आभार व्यक्त करते हैं.


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