अनोखा मामला: कोर्ट ने दिए पत्नी का गुजारा भत्ता पति को देने का आदेश...जानिए क्या है पूरा मामला
पढ़े पूरी खबर
उत्तर प्रदेश के जनपद मुज़फ्फरनगर में मंगलवार को फैमिली कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाते हुए पत्नी का गुजारा भत्ता पति को देने के आदेश जारी किए हैं. यह अपने आप में अनोखा मामला है.दरअसल, खतौली तहसील क्षेत्र के रहने वाले किशोरी लाल सोहंकार का 30 साल पहले कानपुर की रहने वाली मुन्नी देवी के साथ विवाह हुआ था. शादी के कुछ समय बाद ही दोनों में विवाद हो गया था. उसके बाद लगभग 10 साल से किशोरी लाल और मुन्नी देवी अलग-अलग रह रहे थे.
उस समय मुन्नी देवी कानपुर में इंडियन आर्मी के विभाग में चतुर्थ श्रेणी की कर्मचारी थी. कुछ समय पूर्व पत्नी मुन्नी देवी रिटायर्ड हो गईं जिसके बाद वे अपनी 12 हज़ार की पेंशन में अपनी गुजर बसर करती आ रही हैंं. किशोरी लाल भी खतौली में रहकर चाय बेचने का काम करता है लेकिन किशोरी लाल ने अपनी दयनीय हालत के चलते 7 साल पूर्व मुज़फ्फरनगर की फैमिली कोर्ट में गुजारे भत्ता के लिए एक केस दायर किया था जिसमें मंगलवार को फैमिली कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए पत्नी मुन्नी देवी को पति किशोरी लाल सोहंकार को 2 हज़ार रुपये गुजारा भत्ता देने के आदेश जारी किए हैं.
बहरहाल, कोर्ट के इस फैसले से किशोरी लाल सोहंकार पूरी तरह संतुष्ट नहीं हैं. किशोरी लाल कहते हैं, 'मैं कोर्ट के फैसले से संतुष्ट नहीं. लगभग 9 साल बाद कोर्ट का फैसला आया, लोगों से कर्ज लेकर केस लड़ा है. लॉकडाउन में भी इधर उधर से मांग कर अपना इलाज कराया है. कभी-कभी जब स्वस्थ रहता हूं तो चाय की दुकान कर लेता हूं लेकिन अब मैं दुकान करने के काबिल नहीं हूं.'
उन्होंने कहा कि लगभग 20 साल से विवाद चल रहा है. 2013 से मामला कोर्ट में है अब इसमें 2000 प्रतिमाह गुजारा भत्ता आदेशित हुआ है जबकि 9 साल से जो मैं केस लड़ रहा हूं उसका कोई जिक्र नहीं है. कायदा यह है कि 1/3 गुजारा भत्ता मिलना चाहिए था जबकि मुझे 2000 प्रतिमाह मिला है. उसकी पेंशन 12,000 प्रतिमाह से अधिक है. आने वाले समय में मेरी स्थिति और खराब हो जाएगी. मैं अपना इलाज भी नहीं करा सकता.
वहीं, किशोरी लाल सोहंकार के अधिवक्ता बालेश कुमार तायल ने इस मामले में जानकारी देते हुए बताया कि यह मामला फैमिली कोर्ट में पेंडिंग था. यह लीक से हटकर इसलिए है कि इसमें केस का दायर होना जरूरी है. किशोरीलाल ने सेक्शन 9 में प्रेस्टीज ऑफ कंज्यूमर राइट्स का मुकदमा दायर किया. उसके बाद भी उसने कोर्ट को कंप्लेंट नहीं की और वह उसके पास आकर नहीं रही. सबसे पहले सेक्शन 25 हिंदू एक्ट में हमने सूट फाइल किया. यह लगभग 7 से 8 साल पहले फाइल किया था. पहला मुकदमा तय होने के बाद इसमें जो फैसला आया है इसमें 2000 रुपये महीना गुजारा भत्ता तय हुआ है. दोनों का तलाक नहीं हुआ है जबकि इसमें कोर्ट पहले ही दोनों को साथ रहने का आदेश कर चुकी है.