अनोखा पशु प्रेम, पशुपालक ने भैंस की मौत के मृत्युभोज का किया आयोजन, शामिल हुए रिश्तेदार

Update: 2022-03-14 10:51 GMT
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नई दिल्ली: भारत में कृषि के बाद खेती-किसानी के अलावा किसानों के लिए आय का सबसे बड़ा स्रोत पशुपालन है. गांवों में कई परिवार ऐसे होते हैं जिनके पास कृषि योग्य भूमि नहीं होती हैं लेकिन वह पशुपालन से अपना जीवनयापन बेहतर ढ़ंग से करते नजर आते हैं. ऐसे में कई बार किसानों का अनोखा पशु प्रेम भी सामने आता है.

बता दें कि हरियाणा में बड़े स्तर पर गाय और भैंस पालन को प्राथमिकता दी जाती हैं. अब कैथल के बुढ़ाखेड़ा से पशुपालन को लेकर एक अनोखी खबर सामने आ रही हैं. यहां के गांव गढ़ी में रामकरण नाम के एक किसान ने अपनी भैंस मूर्ति की मृत्यु होने के बाद उसके सम्मान में मृत्युभोज रखा. रामकरण ने सभी रिश्तेदारों व सगे संबंधियों को मूर्ति के मृत्युभोज में न्योता दिया. बिल्कुल सम्मान के साथ भोज रखा गया जिसमें मिठाई ओर तरह तरह के पकवान बनवाए गए और सभी सगे-सम्बन्धी पहुंचे.
रामकरण के मुताबिक उनकी भैंस मूर्ति 18 साल तक उनके परिवार का हिस्सा बनी रही. इस दौरान उसने 18 बच्चे दिए. इस दौरान उनके आय का स्रोत काफी हद तक ये भैंस बनी रही. ऐसे में मैंने सोचा कि जिस भैंस ने उनके परिवार के लिए इतना किया, उसका सम्मान को बनता है.
रामकरण बताते हैं कि जिस तरह से एक इंसान की मृत्यु होती है तो संस्कार स्वरूप जितने भी क्रियाकर्म होते हैं वो सभी मूर्ति के संस्कार में भी किये जाते हैं वही नियम भैंस मूर्ति के सम्मान में भी किया गया. इस दौरान आसपास के गांवों के कई किसान मृत्युभोज के कार्यक्रम में पहुंचे.

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