डीजीपी और आईजी सम्मेलन में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कही ये बात

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Update: 2023-01-20 15:19 GMT
नई दिल्ली: पुलिस बलों और अर्धसैनिक संगठनों के प्रमुखों का तीन दिवसीय सम्मेलन शुक्रवार से शुरू हो गया है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने देशभर के डीजीपी और आईजी के इस सम्मेलन का उद्घाटन सत्र संबोधित किया. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शनिवार और रविवार को इस कांफ्रेंस में संबोधित करेंगे. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए गृह मंत्री ने कहा कि आज़ादी के बाद से अब तक देश की आंतरिक सुरक्षा को मज़बूत करने और कानून-व्यवस्था बनाए रखने में अपना बलिदान देने वाले सभी जवानों को पूरे देश और सरकार की ओर से श्रद्धांजलि देता हूं.
उन्होंने कहा कि आज़ादी का अमृत महोत्सव चल रहा है और इसके आगे के पड़ाव, यानी 75 से 100 साल का फासला किस प्रकार तय किया जाए, इस लक्ष्य को तय करने का आह्वान देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने किया है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में आज किसी भी क्षेत्र में ना तो भारत को कोई इग्नोर कर सकता है और ना ही आगे बढ़ने से कोई रोक सकता है. 2025 तक भारतीय अर्थव्यवस्था 5 ट्रिलियन डॉलर और वर्ष 2027 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होगी. अगले 25 सालों में देश और दुनिया के सामने आने वाली सभी चुनौतियों का आंकलन करने और इसके आधार पर भारत की आंतरिक सुरक्षा को अभेद्य बनाने के लिए रणनीति सुनिश्चित करने और उसे नीचे तक पहुंचाने के लिए ये सम्मेलन बहुत महत्वपूर्ण है. विकास के रास्ते में हमारे सामने ढेर सारी चुनौतियां आएंगीं और इन सारी चुनौतियों का सामना करने की ज़िम्मेदारी आंतरिक सुरक्षा संभालने वालों की बनती है.
उन्होंने कहा कि भारत जी-20 की अध्यक्षता कर रहा है और मोदी जी ने एक अनूठा प्रयोग किया है कि यह सम्मलेन सिर्फ एक स्थान पर न रह कर देशभर में होगा. देश के 56 शहरों में जी-20 की 200 बैठकें होंगी. ढेर सारी चुनौतियों का हमने सामना भी किया है और सभी थियेटर्स में मोदी जी के नेतृत्व में भारतीय ऐजेंसियों ने अपना मज़बूत वर्चस्व स्थापित करने में सफलता हासिल की है. जम्मू-कश्मीर, नॉर्थ-ईस्ट और वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र, ये आंतरिक सुरक्षा की दृष्टि से देश में लंबे समय से हॉटस्पॉट बने हुए हैं, लेकिन इन क्षेत्रों में हमारी नीतियों की सफलता ये बताती है कि हमारे प्रयास ठीक दिशा में हैं और उनके परिणाम भी मिल रहे हैं. जम्मू-कश्मीर में आंतकवादी घटनाओं, मृत्यु की संख्या और आतंकवादियों के वर्चस्व वाले क्षेत्र, तीनों दृष्टि से बहुत कमी आई है. आज हम कह सकते हैं कि जम्मू-कश्मीर धीरे-धीरे एक सामान्य स्थिति की ओर आगे बढ़ रहा है.
'जम्मू-कश्मीर में पर्यटकों ने सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं'
उन्होंने कहा कि एक समय था जब जम्मू-कश्मीर से बच्चे इंसर्जेंसी के कारण देश के अन्य भागों में पढ़ने जाते थे, लेकिन आज देश के अन्य हिस्सों से 32 हज़ार बच्चे जम्मू-कश्मीर में पढ़ रहे हैं, जितना निवेश पिछले 70 सालों में जम्मू-कश्मीर में आया था, उतना पिछले 4 सालों में आया है. जम्मू-कश्मीर में पर्यटकों ने सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं, 2022 में 1 करोड़ 80 लाख से जयादा टूरिस्ट यहां आए, ये बता है कि देशभर की जनता के मन में ये विश्वास पैदा हुआ है कि जम्मू-कश्मीर में स्थिति सामान्य है, इसके लिए सुरक्षाबलों और सभी ऐजेंसियों को बधाई देता हूं. पूर्वोत्तर में 9 उग्रवादी समूह सरेंडर करके मेनस्ट्रीम में आए हैं, राज्यों के बीच सीमा विवाद आपस में सुलझाए जा रहे हैं. बिना किसी मांग के स्थिति नॉर्मल होने का जायज़ा लेकर पूर्वोत्तर में लगभग 30 प्रतिशत क्षेत्र से अफ्स्पा हटाने का काम हमने किया है, पिछले 3 सालों में हर प्रकार की हिंसा में वहां 42 प्रतिशत की कमी आई है.
शाह ने कहा कि 2010 में 96 ज़िले वामपंथी उग्रवाद प्रभावित थे, अब 46 रह गए हैं, सिक्योरिटी वैक्यूम को 72 प्रतिशत भर लिया गया है, मुझे विश्वास है 2024 तक हम इसे 100 प्रतिशत कर देंगे, वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में मृत्यु दर कम हो रही है और आत्मसमर्पण बढ़ रहे हैं. आतंकवाद के खिलाफ ज़ीरो टॉलरेंस की प्रधानमंत्र नरेन्द्र मोदी जी की नीति के तहत काउंटर-टेरर कानूनों को हमने मज़बूत किया है, जिनकी वजह से आतंकी घटनाओं में कमी आई है और कन्विक्शन रेट बढ़ा है. 6 वर्ष से अधिक सज़ा वाले अपराधों में फॉरेंसिक जांच को अनिवार्य कर दिया गया है, दिल्ली पुलिस ने इस पर अमल शुरू कर दिया है, आशा है कि अन्य राज्यों की पुलिस भी इस पर अमल करेगी.
'पुलिस हाउसिंग सेटिस्फेक्शन रेश्यो सुधारने के अधिक प्रयास करने चाहिए'
उन्होंने कहा कि पीएफआई को बैन करने और इसके एक्टिविस्टों को पकड़ने में सभी राज्यों के पुलिस बलों ने एक साथ आकर सफलता हासिल करने संघीय ढांचे की ट्रू स्पिरिट और डेमोक्रेसी की maturity को दर्शाता है . आज यहां सभी राज्यों के DGPs/IGPs से मैं कहना चाहता हूं कि सभी राज्यों को पुलिस हाउसिंग सेटिस्फेक्शन रेश्यो को सुधारने के और अधिक प्रयास करने चाहिए. पहले हमारी समस्य़ाएं जियोग्राफिकल थीं, जैसे, आतंकवाद, वामपंथी उग्रवाद लेकिन अब हमारी समस्याएं थीमेटिक होती जा रही हैं, जैसे, साइबर अपराध, डेटा संबंधी अपराध, इसके लिए हमें अपनी रणनीति और अप्रोच में आमूलचूल परिवर्तन लाना होगा. पहले हमारे सामने सिंगल डायमेंशनल समस्याएं थीं, लेकिन अब समस्याएं मल्टी-डायमेंशनल हैं, इनसे निपटने के लिए हमें गुनाह करने वालों से दो कदम आगे रहना होगा.
उन्होंने कहा कि हमें अर्बन पुलिसिंग की पद्धति को तेज़ी से बदलना होगा, पुलिस के कैपैसिटी बिल्डिंग पर भी बहुत ध्यान देना होगा. पुलिस टेक्नोलॉजी मिशन के विचार को ज़मीन पर उतारने और क्रिटिकल इन्फ्रास्ट्रक्चर सिक्योरिटी के बारे में भी हमें सोचना होगा. आंतरिक सुरक्षा की चुनौतियों का सामना करने की हमारी अप्रोच को हमें वैश्विक अप्रोच बनाना होगा. आंतरिक सुरक्षा की सरहदें और चुनौतियां, दोनों बहुत विस्तृत हो चुकी हैं और इनसे निपटने के लिए पूरे देश की पुलिस को इसके लिए तैयार होना पड़ेगा. नार्कोटिक्स, हवाला और आर्थिक अपराधों की वैश्विक समस्याएं हमारे सामने आ रही हैं, इनसे निपटने के लिए हमें हमारी आंतरिक सुरक्षा की रणनीति की अप्रोच को भी बदलना होगा.
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