बंगाल। समान नागरिक संहिता को लेकर भाजपा सांसद और पश्चिम बंगाल के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने सोमवार को न्यूज एजेंसी आईएएनएस से बात की। उन्होंने कहा, "देश में समान नागरिक संहिता लागू होनी चाहिए, जैसा कि हमारे पूर्वजों ने सपना देखा था। हमारे संविधान में भी लिखा है कि यह देश लोगों में पंथ, जाति और धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं करता है।"
हालांकि, अभी देश में यूसीसी लागू नहीं है, लेकिन आज उत्तराखंड इतिहास रचने वाला है। दरअसल, उत्तराखंड देश का पहला ऐसा राज्य बनने जा रहा है जहां यूसीसी लागू किया जाएगा। आज प्रदेश में यूसीसी लागू किया जाएगा। इसे लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किया। पोस्ट में उन्होंने लिखा, "संविधान निर्माताओं की अपेक्षाओं के अनुरूप राज्य में समानता, न्याय और एकता को सुनिश्चित करने के लिए हम पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं। इसी प्रतिबद्धता को सुनिश्चित करते हुए हम प्रधानमंत्री मोदी के कुशल नेतृत्व में राज्य के सभी नागरिकों को बिना किसी भेदभाव के समान अधिकार और अवसर प्रदान करने के लिए समान नागरिक संहिता कानून लागू करने जा रहे हैं।"
समान नागरिक संहिता न केवल पूरे राज्य में लागू होगी, बल्कि यह राज्य से बाहर रहने वाले उत्तराखंड के लोगों पर भी लागू होगी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी यूसीसी पोर्टल का अनावरण करेंगे। यूसीसी बेटों और बेटियों दोनों के लिए संपत्ति में समान अधिकार सुनिश्चित करता है। यूसीसी के तहत बहुविवाह पर प्रतिबंध लगेगा तथा इस ऐतिहासिक कानून के तहत एकविवाह को आदर्श माना जाएगा। यूसीसी के अनुसार विवाह के लिए लड़कों की न्यूनतम उम्र 21 वर्ष और लड़कियों की उम्र 18 वर्ष निर्धारित की गई है। विवाह दंपती धार्मिक रीति-रिवाजों के अनुसार संपन्न होगा और विवाह का पंजीकरण अनिवार्य होगा। किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद, कानून उसके जीवनसाथी और बच्चों को समान संपत्ति अधिकार प्रदान करेगा। इसके अतिरिक्त, मृत व्यक्ति के माता-पिता को भी समान अधिकार दिए जाएंगे।