नई दिल्ली: यूजीसी ने रिसर्च इंटर्नशिप को लेकर विशेष गाइडलाइंस तैयार की है। यूजीसी की नई गाइडलाइंस बताती है कि रिसर्च इंटर्नशिप के लिए उच्च शिक्षण संस्थाओं को अपने यहां नोडल अधिकारी तैनात करना होगा। यह संस्थान रिसर्च इंटर्नशिप के लिए विभिन्न कंपनियों के साथ समझौते कर सकेंगे।
इतना ही नहीं यूजीसी की गाइडलाइंस बताती है कि उच्च शिक्षा संस्थान प्रत्येक योग्य छात्र के लिए इंटर्नशिप सुपरवाइजर बनाएंगे। यह सुपरवाइजर निर्धारित अवधि के इंटर्नशिप प्रोजेक्ट को पूरा करने में छात्रों के मददगार होंगे। इसके अलावा उच्च शिक्षण संस्थान ग्रुप इंटर्नशिप की संभावनाएं भी तलाश सकते हैं। फिलहाल गाइडलाइंस के इस ड्राफ्ट पर यूजीसी अपने सभी स्टेहोल्डर्स से सुझाव मांगे हैं।
उच्च शिक्षा से जुड़े देश भर के सभी शैक्षणिक संस्थान व अन्य स्टेकहोल्डर 12 नवंबर तक यूजीसी को ईमेल से अपने सुझाव भेज सकते हैं। यूजीसी चेयरमैन प्रोफेसर एम जगदीश कुमार के मुताबिक राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के प्रावधानों के अनुसार यूजीसी ने अंडरग्रैजुएट स्तर पर क्रेडिट फ्रेमवर्क लागू किया है। यूजीसी चेयरमैन का कहना है कि छात्रों की इम्प्लॉएबिलीट बढ़ाने के लिए इंटर्नशिप को अनिवार्य किया गया है। इसी कड़ी में आयोग ने इंटर्नशिप को लेकर गाइडलाइंस तैयार की हैं।
यूजीसी का कहना है कि रिसर्च इंटर्नशिप निर्धारित करने के लिए संबंधित शिक्षण सस्थानों द्वारा लोकल मार्केट की जरूरतों को लेकर सर्वेक्षण किया जाएगा। इसी सर्वे और संचालित किए जा रहे कोर्सेस के आधार पर संस्थान द्वारा इंटर्नशिप प्रोजेक्ट तैयार किए जाएंगे।
यूजीसी का कहना है कि इन इंटर्नशिप प्रोजेक्ट और उनके लिए बनाए गए मेंटॉर्स की जानकारी संस्थानों को अपने पोर्टल पर प्रकाशित करनी होगी। यूजीसी चेयरमैन ने बताया कि उच्च शिक्षण सस्थानों को अपने पोर्टल पर एपीआई इंटीग्रेशन के साथ व्यवस्था करनी होगी कि कंपनियों के एक्सपर्ट्स या एजेंसियां रजिस्ट्रेशन कर सकें। इंटर्नशिप प्रोजेक्ट स्टूडेंट के स्किल डेवेलपमेंट कोर्सेस से लिंक होगा।
यूजीसी चेयरमैन ने कहा है कि उच्च शिक्षा प्रणाली में विभिन्न हितधारक जैसे भावी छात्र, माता-पिता, अनुसंधान विद्वान, पूर्व छात्र और आम लोग विभिन्न विश्वविद्यालयों की वेबसाइटों से कुछ बुनियादी जानकारी प्राप्त करने की इच्छा रखते हैं। हमने पाया है कि कई विश्वविद्यालयों की वेबसाइटों में न केवल उनके विश्वविद्यालय से संबंधित बुनियादी न्यूनतम जानकारी प्रदान करने की कमी है, बल्कि कई बार उनकी वेबसाइटें कार्यात्मक और अद्यतन भी नहीं होती हैं। इससे हितधारकों को काफी असुविधाएं और अनिश्चितता का सामना करना पड़ता है।
प्रोफेसर एम जगदीश कुमार के मुताबिक इस निर्णायक क्षण में जब हम राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तीसरे वर्ष का जश्न मना रहे हैं, तो विश्वविद्यालयों से उनकी वेबसाइट पर बुनियादी न्यूनतम जानकारी और अद्यतन सामग्री प्रदान करने की इच्छा रखना समझदारी होगी। हमने विश्वविद्यालयों द्वारा अपनी वेबसाइटों पर प्रदान की जाने वाली इन सूचनाओं की एक जांच सूची तैयार की है। यह दस्तावेज़ आपको यह विवरण देता है कि संस्थानों की वेबसाइटों पर कौन सी जानकारी प्रकट करने की आवश्यकता है।