नई दिल्ली: तमिलनाडु सरकार के मंत्री उदयनिधि स्टालिन के बयान के खिलाफ सनातन धर्म रक्षा मंच के बैनर तले देश के कई संतों ने सोमवार को नई दिल्ली में तमिलनाडु भवन पर पुतला दहन और विरोध प्रदर्शन कर राज्य के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन से माफी मांगने और सनातन का अपमान करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की।
संत समाज ने यह भी तय किया है कि आने वाले दिनों में वे तमिलनाडु जाकर भी इस मसले को उठाएंगे और तमिलनाडु के राज्यपाल से मुलाकात कर उनसे संवैधानिक दायित्वों को पूरा करने का आग्रह करेंगे। महंत नवल किशोर दास महाराज के नेतृत्व में हुए विरोध प्रदर्शन में महंत सुरेंद्रनाथ अवधूत, महंत स्वामी रामदास, साध्वी विद्यागिरी, संगठन महामंत्री कंचन गिरि, महंत धीरेंद्र पुरी, महंत सोम गिरी, साध्वी विभानंद गिरी और महंत मंगलदास के अलावा कई विहिप नेता और साधू-संत एवं सनातनी शामिल हुए।
सभी संतों ने एक सुर में कहा कि राजनीतिक स्वार्थ के कारण से सनातन का अपमान उन्हें कतई स्वीकार्य नहीं है और सभी को अपने संवैधानिक दायित्वों का निर्वाह करना ही होगा। विरोध प्रदर्शन के दौरान आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी बालकानंद गिरी महाराज एवं स्वामी राघवानन्द महाराज ने उपस्थित संतों एवं सनातनी बन्धुओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि सब राजनीतिक नेता अपने स्वार्थ के लिए किसी भी धर्म के खिलाफ बोलना बंद करें और इसलिए उनका कहना है कि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्वयं इसके लिए माफी मांगें और जो भी इस प्रकार के दोषी व्यक्ति हैं उनको दंड दें।
उन्होंने यह भी मांग की कि अन्य राज्य सरकारों के जो प्रमुख हैं या जो राजनीतिक दलों के प्रमुख हैं, वह सब भी इस प्रकार के अशोभनीय बयान देने वाले नेताओं को अपने-अपने दल से निष्कासित करें। महंत नारायण गिरि महाराज ने कहा कि यह बड़े आश्चर्य का विषय है कि सरकारें अब तक इस पर मौन क्यों है, ऐसे व्यक्ति को अविलंब गिरफ्तार करना चाहिए लेकिन इनकी चुप्पी बड़ी विषादपूर्ण वातावरण को रूप दे रही है। सनातन समाज के साथ सरकार ऐसा सौतेला व्यवहार करने का कारण बताएं।
महंत नारायण गिरी ने बताया कि सनातन विरोधियों की हेट स्पीच के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने भी याचिका पर नोटिस लिया है। वे मानते हैं कि गाली-गलौज की भाषा से लोकतंत्र का अपमान होता है और वे आशा करेंगे कि सुप्रीम कोर्ट इस बारे में पूरा विचार करके इन लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का आदेश देगा।
विश्व हिन्दू परिषद के कार्याध्यक्ष एवं वरिष्ठ अधिवक्ता आलोक कुमार ने कहा कि लोकतंत्र में भाषा की शालीनता जरूरी है। स्टालिन, प्रियांक खड़गे एवं राजा तर्क नहीं दे रहे बल्कि गालियां तक दे रहे हैं। धमकी दे रहे हैं कि वह केवल विरोध नहीं करेंगे, अपितु सनातन को समाप्त करेंगे। यह उनका अभिमान व हताशा है। सनातन को मुगलों का अत्याचार और अंग्रेजों की चतुराई भी नहीं समाप्त कर सकी तो अब यह नेता क्या कर लेंगे।
महंत नवल किशोर दास महाराज ने कहा कि आज जिस तरह पूरी दिल्ली से सनातन को मानने वाले सभी साधु संत बन्धु भगिनी सनातन के लिए हजारों की संख्या में दिल्ली के तमिलनाडु भवन पर एकत्रित हुए हैं, यह दर्शाता है कि सनातन का विरोध करने वालों के दिन अब जाने वाले हैं। सनातन विश्व के प्रत्येक व्यक्ति को अपने परिवार का ही सदस्य मानता है और सबके प्रति दयाभाव रखता है, मगर इसका मतलब यह नहीं कि कोई कुछ भी बोलता रहेगा और सनातन धर्म को मानने वाले चुप बैठे रहेंगे। यह धर्म अपने खिलाफ होने वाले हर प्रकार के षड्यंत्रों का मुंहतोड़ जवाब देना जानते हैं। उन्होंने कहा कि संत समाज इस विषय को तमिलनाडु में भी उठाएंगे, तमिलनाडु के राज्यपाल से भी मिलेंगे और उन्हें संवैधानिक दायित्वों को पूरा करने के लिए भी कहेंगे।