यूसीसी केंद्रीय विषय है, राज्य की कार्रवाई 'बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना' जैसी: हरीश रावत
नई दिल्ली: उत्तराखंड की पुष्कर सिंह धामी सरकार यूनिफॉर्म सिविल कोर्ट को लेकर अपनी ओर से पहल कर रही है। इस पहल पर कई वर्गों ने सरकार की प्रशंसा भी की है। हालांकि पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का मानना है कि 'यूनिफॉर्म सिविल कोड' पर राज्य सरकार की स्थिति 'बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना' जैसी है।केवल उत्तराखंड ही नहीं देश के कई अन्य मुद्दों पर हरीश रावत ने अपने विचार रखे। पहाड़ी राज्य में अपने शासकीय अनुभव का हवाला देते हुए रावत ने कहा कि सरकार की नाकामी, मणिपुर हिंसा का एक बड़ा कारण है।
इन सभी विषयों पर उन्होंने आईएएनएस से विशेष बातचीत की। पेश है इस बातचीत के महत्वपूर्ण अंश।
प्रश्न : यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर उत्तराखंड ने कमेटी गठित की, मसौदा तैयार कर लिया। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट के लिए विभिन्न वर्गों, धर्मों व दलों से बात की है। कमेटी को 20 लाख से ज्यादा सुझाव मिले भी हैं। यूसीसी को लेकर राज्य सरकार की तैयारी पर आपका क्या कहना है।
हरीश रावत : देखिए संविधान बहुत साफ तौर से कहता है कि कॉन्करेंट लिस्ट के विषय होंगे तो उसमें सेंट्रल एक्ट आता है। यह एक केंद्रीय विषय है। केंद्रीय कानून के विषय में राज्य सरकार द्वारा की गई एक्सरसाइज कोई मायने नहीं रखती। राज्य सरकार द्वारा उठाए गए जो भी कदम होंगे वह निरर्थक होंगे। ऐसे में उत्तराखंड की राज्य सरकार, यूनिफॉर्म सिविल कोड पर एक व्यर्थ की कोशिश या कार्यवाही कर रही है। इसलिए हमने उनसे कह कि 'बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना।'
प्रश्न : राष्ट्रीय स्तर पर भी यूनिफॉर्म सिविल कोर्ट लाने की बात कही जा रही है। इस तैयारी को आप कैसे देखते हैं?
हरीश रावत : जहां तक राष्ट्रीय स्तर पर एक्सरसाइज की बात है, अब भाजपा ने देख लिया है कि इस तरह के इमोशनल मुद्दे, ऐसे इशू जो समाज को बांटते हैं उसका कितना बड़ा दुष्प्रभाव पड़ता है। यूसीसी पर नार्थ ईस्ट से लेकर आदिवासी, गरीब लोग, यहां तक कि सिख भाइयों अकाल तख्त ने भी कुछ कहा है, और दूसरे वर्गों ने भी कई आशंकाएं जाहिर की है। देश भर की महिलाओं का मानना है कि उन्होंने कुछ अधिकार जो प्राप्त किए हैं, उन अधिकारों पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा। इसका एक व्यापक असर पड़ना है और भारत जैसे एक बहु आयामी देश के अंदर यूनीफार्मिटी के नाम पर आप हर चीज थोप नहीं सकते।
प्रश्न : आप किस प्रकार के दुष्प्रभाव की बात कर रहे हैं?
हरीश रावत : आपने माणिपुर में समाज को बांट कर, वोट बढ़ाने की राजनीति की आज उसी का परिणाम है कि मणिपुर जल रहा है। आप ने मणिपुर को आग में झोंक दिया उसके साथ आपने भारत की आत्मा को आग में झोंक दिया। इनको बहुत सोच समझकर कदम उठाना चाहिए।
प्रश्न : आप एक पहाड़ी राज्य के मुख्यमंत्री और वहां पार्टी के अध्यक्ष रहे हैं। लगातार आप पहाड़ से जुड़े रहे हैं। मणिपुर भी एक पहाड़ी राज्य है, जैसे उत्तराखंड में भांति भांति के लोग रहते हैं, सिख हैं, विभिन्न जातियों के लोग हैं। अभी आप मणिपुर के लिए क्या सोचते हैं वहां कैसे शांति आ सकती है?
हरीश रावत : पूरा हिंदुस्तान मणिपुर के साथ है। मणिपुर के भाई-बहन शांति और सहिष्णुता लाएं, जब उन्हीं से पहल प्रारंभ होगी तो ही स्थितियां सुधरेंगी। पूरा देश वहां के लोगों की भावनाओं के साथ है। भाजपा की आपराधिक लापरवाही के कारण मणिपुर में यह स्थिति पैदा हुई, उन्हें देश दंडित करेगा।
प्रश्न : उत्तराखंड में अभी कई जगहों पर आपदा आई। आपको लगता है कि सरकार राहत पहुंचाने में कामयाब रही है?
हरीश रावत : उत्तराखंड के आपदा प्रभावित क्षेत्रों में सरकार ने कहां राहत पहुंचाई। अभी तक राहत के नाम पर एक नया पैसा नहीं दिया गया है।
प्रश्न : जोशीमठ में आई आपदा के बाद तो राहत पहुंचाई गई है।
उत्तर : जोशीमठ में तो स्थिति और खराब हो गई है। जोशीमठ में आपदा के बाद कुछ किया ही नहीं गया। जोशीमठ जैसे देवस्थान को नजरअंदाज किया गया है। जो जोशीमठ जैसे देवस्थान को नजरअंदाज कर सकते हैं तो कहा जा सकता है कि खाने के दांत कुछ और हैं और दिखाने के कुछ और।
प्रश्न : आपने आपदा के बाद क्या काम किया था?
हरीश रावत : हमने केदारनाथ के अंदर इतना सुंदर पुनर्निर्माण का कार्य किया। जहां जाकर लोग गुफा में तपस्या करते हैं उसका निर्माण भी हम ही करके गए थे। सभी कार्य किए गए और उसकी तुलना में यदि आप देखें तो जोशीमठ में एक पत्थर तक नहीं लगाया गया है।