दिल्ली। शनिवार को केंद्र सरकार की तरफ से बड़ी राहत देते हुए पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी घटा दी गई. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ये ऐलान किया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे जनता के हित वाला फैसला बताया. वित्त मंत्री ने बताया कि सरकार के इस कदम से पेट्रोल की कीमत में 9.5 रुपये प्रति लीटर और डीजल की कीमत में 7 रुपये प्रति लीटर की कमी आएगी. लेकिन इस फैसले के बाद अब गेंद राज्यों के पाले में आ गई है. उन पर पेट्रोल-डीजल पर वैट घटाने का दबाव बढ़ गया है.
उस दबाव को देखते हुए केंद्र सरकार के फैसले के तुरंत बाद केरल और राजस्थान ने पेट्रोल-डीजल पर वैट घटा दिया. केरल सरकार ने पेट्रोल पर 2.41 रुपए प्रति लीटर वैट कटौती की तो वहीं डीजल पर 1.36 रुपए प्रति लीटर वैट कम किया. ऐसे में वहां पर पेट्रोल 11.91 रुपए प्रति लीटर सस्ता हो गया. इसी तरह राजस्थान सरकार ने भी केंद्र के फैसले के बाद जनता को डबल राहत देने का काम किया.
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी ट्वीट कर अपने फैसले के बारे में बताया. उन्होंने लिखा कि केन्द्र सरकार द्वारा पेट्रोल-डीजल की कीमतों में की गई एक्साइज कटौती से राज्य सरकार का पेट्रोल पर 2.48 रुपये प्रति लीटर एवं डीजल पर 1.16 रुपये प्रति लीटर वैट भी कम होगा. इससे प्रदेश में पेट्रोल 10.48 रुपये एवं डीजल 7.16 रुपये प्रति लीटर सस्ता होगा. इससे राज्य को करीब 1200 करोड़ रुपये प्रति वर्ष की राजस्व हानि होगी एवं आमजन को इसका लाभ मिल सकेगा. पूर्व में दो बार की गई वैट की कमी से राज्य को 6300 करोड़ रुपये की राजस्व हानि हुई थी. आज की कटौती को जोड़कर राज्य को करीब 7500 करोड़ रुपये प्रतिवर्ष की राजस्व हानि होगी.
ऐसे में लेफ्ट और कांग्रेस शासित राज्य ने वैट कटौती कर बड़ा दांव चल दिया है. लेकिन अभी तक किसी भी बीजेपी शासित राज्य ने वैट कटौती का ऐलान नहीं किया. उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की तरफ से ये जरूर कहा गया कि उनकी सरकार ने पहले ही वैट कम कर दिया था, लेकिन इस बार जनता को ज्यादा राहत नहीं दी जा रही.
वैसे उत्तराखंड को अगर छोड़ भी दिया जाए तो कई ऐसे भी राज्य हैं जहां पर कुछ ही महीनों बाद चुनाव होने जा रहे हैं. सबसे बड़ा राज्य तो गुजरात ही है जहां पर बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर है. गुजरात के अलावा हिमाचल प्रदेश में भी चुनाव नजदीक हैं. वहां तो महंगाई की वजह से पहले ही बीजेपी उपचुनाव हार चुकी है. ऐसे में अब पेट्रोल-डीजल के बढ़े दाम भी नई चुनौती पेश कर सकते हैं.
दक्षिण में चले जाएं तो कर्नाटक में भी विधानसभा चुनाव आने वाले हैं. मुख्यमंत्री बदलकर वहां पर बीजेपी हाईकमान पहले ही बड़ा संकेत दे चुकी है. लेकिन लगातार जारी अंदरूनी कलह की वजह से जमीन पर स्थिति असहज चल रही है. ऐसे में महंगाई जैसे मुद्दे ने वहां पर राज्य सरकार की मुसीबत को और ज्यादा बढ़ाने का काम किया है.
मध्य प्रदेश पर आएं तो वहां भी अगले साल चुनाव की तैयारी है. पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस न राज्य में अपनी सरकार बनाई थी. बाद में बीजेपी ने बागी विधायकों के दम पर दोबारा सत्ता जरूर पाई, लेकिन कई मुद्दों की वजह से शिवराज सिंह चौहान के सामने चुनौतियां लगातार खड़ी रहीं. ऐसी ही समस्या पेट्रोल-डीजल के दाम हैं जो एमपी के अलग-अलग शहरों में इस समय 100 पार चल रहे हैं. इसके बावजूद भी सीएम शिवराज की तरफ से सिर्फ केंद्र के फैसले का स्वागत हुआ है, वैट कटौती के कोई संकेत नहीं दिए गए