तुषार मेहता करेंगे जाकिर नाइक के संगठन आइआरएफ पर प्रतिबंध की पैरवी टीम का नेतृत्व

केंद्र ने इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन (आइआरएफ) को गैरकानूनी संघ घोषित करने के अपने फैसले का बचाव करने के लिए सालिसिटर जनरल तुषार मेहता के नेतृत्व में सात सदस्यीय वकीलों की टीम का गठन किया है।

Update: 2021-12-18 15:33 GMT

नई दिल्ली,  केंद्र ने इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन (आइआरएफ) को गैरकानूनी संघ घोषित करने के अपने फैसले का बचाव करने के लिए सालिसिटर जनरल तुषार मेहता के नेतृत्व में सात सदस्यीय वकीलों की टीम का गठन किया है। गृह मंत्रालय ने हाल ही में इस्लामिक उपदेशक जाकिर नाइक के नेतृत्व वाले एनजीओ इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन (आइआरएफ) पर लगाए गए प्रतिबंध को पांच साल के लिए और बढ़ा दिया है। जाकिर नाइक का संगठन पीस टीवी और पीस टीवी उर्दू नाम के दो धार्मिक टीवी चैनल चलाता है जो भारत समेत कई देशों में प्रतिबंधित हैं। मतांतरण के लिए कुख्यात जाकिर के खिलाफ 2016 में एनआइए की जांच शुरू होने के बाद वह मलेशिया भाग गया था। तब से वह विदेश में है। उसकी गतिविधियों के कारण कई देशों ने उसे अपने यहां प्रतिबंधित कर रखा है।

सरकार ने 15 नवंबर, 2021 की अधिसूचना के माध्यम से इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन (आइआरएफ) को गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम, 1967 की धारा 3(1) के प्रविधानों के तहत एक गैरकानूनी संघ घोषित किया है। इस संबंध में 13 दिसंबर को प्रतिबंध बढ़ाने की अधिसूचना जारी हुई है। सरकार के इस फैसले को सही ठहराने के लिए केंद्र ने जो कानूनी टीम गठित की है उसमें मेहता के अलावा, वरिष्ठ अधिवक्ता सचिन दत्ता, अमित महाजन, रजत नायर, कानू अग्रवाल, जय प्रकाश और ध्रुव पाण्डेय शामिल हैं।
सरकार की ओर से वकीलों की टीम न्यायाधिकरण के समक्ष हो सकती है पेश
सरकार ने एक अधिसूचना में कहा कि गृह मंत्रालय द्वारा यह निर्णय लिया गया है कि भारत सरकार की ओर से वकीलों की एक टीम इस मामले में गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) न्यायाधिकरण के समक्ष पेश हो सकती है। गृह मंत्रालय ने आइआरएफ प्रतिबंध पर फैसला सुनाने के लिए गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डी एन पटेल की अध्यक्षता में एक न्यायाधिकरण का पहले ही गठन कर चुकी है।


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