इस चाय की दुकान का टर्नओवर 100 करोड़, कलेक्टर की जगह बना चाय बेचने वाला, ऐसे शुरू हुई कहानी

Update: 2021-08-05 02:42 GMT

ऐसा अक्सर कहा जाता है कि जो किस्मत में लिखा है वो ही होगा. कुछ ऐसा ही हुआ मध्य प्रदेश के दो युवाओं के साथ इनके माता-पिता भी चाहते थे कि उनके बेटे पढ़-लिखकर आईएएस ऑफिसर बनें या कहीं अच्छी नौकरी करें. पर दोनों बन गए चाय बेचने वाले. अब कमा रहे हैं करोड़ों रुपये.

भारत में आमतौर पर हर घर में चाय पी जाती है और लोगों को इसकी लत भी होती है. अनुभव और आनंद ने चाय की इस लत को अपने बिजनेस आईडिया में बदला और करने लगे करोड़ों की कमाई.
अनुभव दुबे के माता-पिता ने उसे गांव से आगे की पढ़ाई के लिए इंदौर भेजा था. यहां पर उसकी दोस्ती आनंद नायक नाम के युवक से हुई. दोनों साथ में पढ़ाई करते थे पर कुछ दिनों बाद आनंद पढ़ाई छोड़कर अपने किसी रिश्तेदार के साथ बिजनेस करने लगा. अनुभव को उसके माता-पिता ने UPSC की तैयारी के लिए दिल्ली भेज दिया. वो चाहते थे कि उनका एक आईएएस अफसर बने. समय बीतता गया और दोनों दोस्त अपनी अपनी मंजिल को तलाशने में जुट गए.
कुछ समय बाद अचानक आनंद नायक का फोन अनुभव के पास आया और दोनों में काफी देर तक बातचीत हुई. इसी दौरान आनंद ने उदास मन से बताया कि उसका बिजनेस अच्छा नहीं चल रहा है, हम दोनों को मिलकर कुछ नया काम करना चाहिए. अनुभव के मन में भी कहीं न कहीं बिजनेस का ख्याल पल रहा था और उसने हां बोल दिया और दोनों मिलकर बिजनेस की प्लानिंग करने लगे.
बिजनेस की प्लानिंग के दौरान दोनों के मन में ख्याल आया है देश में पानी के बाद सबसे ज्यादा चाय पी जाती है. इसकी हर जगह पर खूब डिमांड रहती है और इसे शुरू करने में ज्यादा पैसों की भी जरूरत नहीं पड़ेगी. फिर दोनों ने तय किया कि एक चाय शॉप खोलेंगे. जिसका मॉडल और टेस्ट दोनों यूनीक होगा जो यूथ को टारगेट करेगा.
2016 में तीन लाख की लागत से इन दोस्तों ने इंदौर में चाय की पहली दुकान खोली. आनंद ने अपने पहले बिजनेस की बचत से कुछ पैसे लगाए. अनुभव ने बताया कि उन्होंने गर्ल्स होस्टल के साथ में किराए पर एक रूम लिया. कुछ सेकेंड हैंड फर्नीचर खरीदे थोड़े पैसे दोस्तों से उधार लेकर आउटलेट डिजाइन किया. इस दौरान पैसे खत्म हो गए और इनके पास बैनर तक लगाने के लिए पैसे नहीं थे. फिर एक नॉर्मल लकड़ी के बोर्ड पर हाथ से ही चाय की दुकान का नाम लिख दिया 'चाय सुट्टा बार'.
दोनों दोस्तों के लिए यह सब इतना आसान नहीं था अनुभव और आनंद को शुरुआत में काफी परेशानी झेलनी पड़ी. अनुभव ने बताया कि लोग ताने भी मारते थे और माता- पिता को कहते थे कि आप चाहते थे कि बेटा UPSC की तैयारी करे पर ये तो चाय बेचने लगा. अनुभव के पिता भी नहीं चाहते थे कि वो दोनों इस काम को करें. धीरे-धीरे ग्राहक बढ़ने लगे और उन्हें अच्छी आमदनी होने लगी.
चाय सुट्टा बार नाम धीरे धीर फेमस हो गया और मीडिया में खबरें चलने लगीं. फिर परिजनों से दोनों को सपोर्ट भी मिलने लगा. वे बताते हैं कि आज हमारा सालाना टर्नओवर 100 करोड़ रुपये से ज्यादा का है और देशभर में इनके 165 आउटलेट्स हैं, जो 15 राज्यों में फैले हैं. साथ ही दोनों ने एक रजिस्टर बनाया हुआ जिसमें उन लोगों के नाम लिखे हैं जो हमें इस काम को करने से मना करते थे.
आनंद और अनुभव का कहना है कि जब वो अपने नए आउटलेट की ओपिंग करते हैं वो लोग सब को मुफ्त में चाय और कॉफी पिलाते हैं. यह एक तरह की बिजनेस स्ट्रैटजी भी है. इस बहाने से लोगों को हमारे बिजनेस के बारे में भी पता चलता है और चाय पसंद आने के बाद वे हमारे कस्टमर भी बन जाते हैं. देशभर में हमारे 165 आउटलेट्स और विदेशों में 5 आउटलेट्स हैं.
आनंद और अनुभव ने बताया कि उनके इस बिजनेस ने 250 कुम्हारों को भी रोजगार दिया है. कुम्हार इनके लिए कुल्हड़ बनाने का काम करते हैं. देशभर के आउटलेट्स में हर दिन 18 लाख कस्टमर्स आते हैं. वो 9 अलग अलग तरह के स्वाद की चाय बेचते हैं. जिसमें अदरक, इलायची, पान, केसर, तुलसी, नींबू और मसाला चाय है.
चाय सुट्टा बार के मैन्यू में 10 रुपये से लेकर 150 रुपये तक की चाय है. जल्द ही वो लोग अपने आउटलेट्स की संख्या बढ़ाने वाले हैं. उनकी कोशिश है कि देशभर में हर छोटे शहर में भी चाय का एक ऐसा मॉडल हो जिससे गरीबों को भी रोजगार मिल सके.
ये लोग फ्रेंचाइजी मॉडल पर काम करते हैं. चाय का फॉर्मूला फ्रेंचाइजी चलाने वाले के पास भेज दिया जाता है. उसके बाद हम कुछ कमीशन चार्ज करते हैं और बाकी का बिजनेस आउटलेट चलाने वाले के हिस्से में चला जाता है. जल्दी जल्दी नए आउटलेट्स खुल रहे हैं. इसकी डिमांड काफी बढ़ गई है फ्रेंचाइजी मॉडल लेने वाले से 2 से 6 लाख रुपये लिए जाते हैं.
Tags:    

Similar News

-->