TRP: फिर शुरू होगी न्यूज चैनलों की टीआरपी...
सूचना प्रसारण मंत्रालय ने बार्क को रेटिंग जारी करने को कहा.
हेराफेरी के बाद अक्टूबर 2020 से बंद है टीआरपी
नई दिल्ली: न्यूज चैनलों की टीआरपी एक बारफिर शुरू होगी। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने पिछले दिनों टीआरपी एजेंसी ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रीसर्च काउंसिल (बार्क) को न्यूज चैनलों की रेरिंग जारी करने को कहा है। मंत्रालय ने इसे तत्काल प्रभाव से जारी करने के निर्देश के साथ तीन महीनों का डेटा भी जारी करने को कहा है। उल्लेखनीय है टीआरपी में हेराफेरी के बाद अक्टूबर 2020 से टीआरपी को बंद कर दिया गया था। चूंकि ज्यादातर न्यूज चैनल फ्री-टू एयर होते हैं और उनके लिए सरकारी विज्ञापन अर्निंग का मुख्य जरिया होता है ऐसे में टीआरपी को फिर से शुरू करने की मांग की जा रही थी। अब पुन: टीआरपी होने से व्यूवर्स की संख्या के आधार पर ही न्यूज चैनलों को विज्ञापन जारी होंगे। हेराफेरी के मामलों के बाद ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रीसर्च काउंसिल (बार्क) ने टीआरपी प्रणाली में संशोधन किया है। अब समाचार और विशिष्ट शैलियों की रिपोर्टिंग चार हफ्ते की रोलिंग एवरेज कांसेप्ट पर होगी। बार्क ने अपनी प्रक्रियाओं, प्रोटोकाल व निरीक्षण तंत्र में भी संशोधन किया है। साथ ही शासन संरचना में भी बदलाव किया है। एक स्थायी निरीक्षण कमेटी का भी गठन किया है। डेटा के एक्सेस प्रोटोकाल को नया रूप दिया गया है।
टीआरपी यानी टेलीविजऩ रेटिंग प्वाइंट्स एक ख़ास टूल
टीआरपी यानी टेलीविजऩ रेटिंग प्वाइंट्स एक ख़ास टूल है जिससे इस बात का आकलन लगाया जाता है कि कौन से कार्यक्रम या चैनल टीवी पर सबसे अधिक देखे जाते हैं. ये लोगों की पसंद को दर्शाता है और इसका सीधा नाता टीवी पर दिखाए जाने वाले कार्यक्रम से है। इस रेटिंग का फायदा कंपनियां और विज्ञापन देने वाली एजेंसियां लेती है क्योंकि इसके ज़रिए उन्हें ये तय करने में मदद मिलती है कि उनके विज्ञापन किस कार्यक्रम के दौरान अधिक देखे जा सकते हैं। मतलब ये कि जो कार्यक्रम या टीवी चैनल टीआरपी रेटिंग में सबसे आगे उसे अधिक विज्ञापन मिलेगा, यानी अधिक पैसा मिलेगा
हालांकि साल 2008 में ट्राई ने टेलिविजऩ ऑडियंस मेजऱमेन्ट से संबंधित जो सिफारिशें दी थी उसके अनुसार विज्ञापन देने वाले को अपने धन पर पूरा लाभ मिले इस कारण रेटिंग्स की व्यवस्था बनाई गई थी, लेकिन ये टेलिविजऩ और चैनल के कार्यक्रमों में प्राथमिकताएं तय करने का बेंचमार्क बन गया है, जैसे कि सीमित संख्या में जो देखा जा रहा है वही बड़े पैमाने पर लोगों को भी पसंद होगा।
कौन देता है टेलिविजऩ रेटिंग्स?
साल 2008 में टैम मीडिया रीसर्च (टैम) और ऑडियंस मेजऱमेन्ट एंड एनालिटिक्स लिमिटेड (एएमएपी) तक टीआरपी व्यवसायिक आधार पर टीआरपी रेटिंग्स दिया करते थे। भारतीय दूरसंचार नियामक (ट्राई) के अनुसार इन दोनों एजेंसियों का काम न केवल कुछ बड़े शहरों तक सीमित था बल्कि ऑडियंस मेजऱमेन्ट के लिए पैनल साइज़ भी सीमित ही था। इसी साल ट्राई ने इसके लिए सूचना प्रसारण मंत्रालय से इंडस्ट्री के प्रतिनिधियों के नेतृत्व में स्व-नियमन के लिए ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रीसर्च काउंसिल (बार्क) की सिफारिश की। इसके बाद जुलाई 2010 में बार्क अस्तित्व में आया. हालांकि इसके बाद भी टेलिविजऩ रेटिंग देने का काम टैम ने ही जारी रखा जबकि एएमएपी ने ये काम बंद कर दिया। इस बीच इस मुद्दे पर चर्चाओं का दौर जारी रहा। जनवरी 2014 में सरकार ने टेलिविजऩ रेटिंग एजेंसीज़ के लिए पॉलिसी गाइडलान्स जारी की और इसके तहत जुलाई 2015 में बार्क को भारत में टेलिविजऩ रेटिंग देने की मान्यता दे दी। चूंकि टैम ने संचार मंत्रालय में इसके लिए रजिस्टर नहीं किया था, उसने ये काम बंद कर दिया. इसके साथ भारत में बार्क वो अकेली एजेंसी बन गई जो टेलिविजऩ रेटिंग्स मुहैय्या कराती है। बार्क में इंडस्ट्री के प्रतिनिधि के तौर पर इंडियन ब्रॉडकास्टिंग फाउंडेशन, इंडियन सोसायटी ऑफ़ एडवर्टाइज़र्स और एडवर्टाइजि़ंग एजेंसी एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया शामिल हैं।
कैसे की जाती है रेटिंग?
रेटिंग करने के लिए बार्क दो स्तर पर काम करता है-पहला, घरों में टेलिविजऩ में क्या देखा जा रहा है इसे लेकर बड़े पैमाने पर सर्वे कराया जाता है. इसके लिए टीवी पर ख़ास तरह का मीटर लगाया जाता है जो टेलिविजऩ पर जो चैनल देखा जा रहा है उसका हिसाब रखता है। दूसरा, लोग क्या अधिक देखना पसंद करते हैं ये जानने के लिए रेस्त्रां और खाने की दुकानों पर लगे टीवी सेट्स पर कौन सा चैनन और कौन सा कार्यक्रम चलाया गया है, इसका डेटा भी इक_ा किया जाता है। जानकारी के अनुसार बार्क लगभग 50 हजार घरों से टीवी कार्यक्रमों का डेटा इकट्ठा करता है। एकत्र किए हुए डेटा से जो हिसाब लगाया जाता है उसे हर सप्ताह जारी किया जाता है।
रेटिंग का विज्ञापन से नाता
सरकारी आंकड़ों के अनुसार भारत 1.3 अरब लोगों का देश है जहां घरों में 19.5 करोड़ से अधिक टेलीविजऩ सेट हैं। जानकारों के अनुसार ये एक बड़ा बाज़ार है और इस कारण लोगों तक पहुंचने के लिए विज्ञापन बेहद अहम है। एफ़आईससीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार जहां साल 2016 में भारतीय टेलिविजऩ को विज्ञापन से 243 अरब की आमदनी हुई वहीं सब्सक्रिप्शन से 90 अरब मिले. ये आंकड़ा साल 2020 तक बढ़ कर विज्ञापन से 368 अरब और सब्सक्रिप्शन से 125 अरब तक हो चुका है।
टीआरपी ही विज्ञापन का आधार
निजी टी.वी./रेडियो चैनलों पर केंद्र सरकार के प्रचार संबंधी सभी विज्ञापन और दृश्य प्रचार निदेशालय (वि.दृ.प्र.नि.) के माध्यम से ही जारी किए जाते हैं। हालांकि मंत्रालय/विभाग (अर्ध-सरकारी, स्वायत्त निकाय, सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम इत्यादि भी शामिल हैं) अपने श्रव्य दृश्य विज्ञापन एन एफ डी सी के माध्यम से विदृप्रनि के साथ सूचीबद्ध चैनलों को विदृप्रनि द्वारा अनुमोदित दरों पर देने के लिए स्वतंत्र हैं। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के आई.डी. संखया 1/50/2006-एम यू सी, दिनांक 24.03.2008 के द्वारा वि.दृ.प्र.नि. सरकार द्वारा अनुमोदित कोस्ट पर रेटिंग पाइंट (सी पी आर पी) के आधार पर सूचीबद्ध चैनलों का रेट निर्धारित करता है।