ट्रेनी डॉक्टरों को मिल रहे सिर्फ इतने रुपये, 340 कार्य बहिष्कार पर
उन्हें एक दैनिक मजदूर से भी कम वेतन दिया जा रहा है.
उत्तराखंड के तीनों मेडिकल कॉलेज के 340 ट्रेनी डॉक्टर इस समय कार्य बहिष्कार पर हैं. डॉक्टरों का कहना है कि लगातार उनकी अनदेखी की जा रही है और उन्हें एक दैनिक मजदूर से भी कम वेतन दिया जा रहा है, ऐसे में कोविड जैसी महामारी में उन्होंने अपने घर परिवार को छोड़कर मरीजों की देखभाल की, लेकिन उन्हें उनका हक और सम्मान नहीं मिल रहा है.
डॉक्टरों का कहना है कि उन्हें 7500 रुपये बतौर वेतन दिया जा रहा है, जो कि एक दैनिक मजदूर की मजदूरी से भी कम है. उनकी मांग है कि उन्हें 23500 वेतन दिया जाए, जो कि भारत सरकार अपने मेडिकल कॉलेज के ट्रेनी डॉक्टरों को देती है. उत्तराखंड सरकार सभी ट्रेनी डॉक्टरों की अनदेखी कर रही है, ना ही वेतन दिया जा रहा है और ना ही उनकी मांगों को देखा जा रहा है.
डॉक्टरों का कहना है कि उनसे मेडिकल कॉलेज के द्वारा कहा गया था कि उन्हें 60 हजार प्रतिमाह कोरोना भत्ते के रूप में मिलेगा, लेकिन वह भी नहीं दिया जा रहा है. डॉक्टरों का कहना है कि हमने एक हफ्ते का समय मेडिकल कॉलेज प्रशासन को दिया है, जिसके बाद कार्य बहिष्कार के साथ-साथ भूख हड़ताल पर भी जाने का फैसला लेंगे.
डॉक्टर का कहना है कि 250 प्रतिदिन के हिसाब से उन्हें वेतन दिया जा रहा है, जो कि काफी कम है, इस समय एक दैनिक मजदूर की भी मजदूरी 400 से 500 रुपये है, ट्रेनी डॉक्टर 250 रुपये में 12 घंटे लगातार काम कर रहे हैं. ट्रेनी डॉक्टरों ने मुख्यमंत्री , हेल्थ डिपार्टमेंट , हेल्थ सेक्रेट्री सभी को पत्र भेजकर अपनी मांगों पर कार्रवाई की मांग की है.
वहीं मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल का कहना है कि हमारी ट्रेनी डॉक्टरों से वार्ता हो गई है और वह काम पर लौट चुके हैं, ट्रेनी डॉक्टरों की मांग पर शासन स्तर पर वार्ता चल रही है, जल्द ही डॉक्टरों की परेशानी को हल कर लिया जाएगा. मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल के दावे से इतर ट्रेनी डॉक्टर अभी भी कार्य बहिष्कार कर रहे हैं.