दुखद खबर: नदी में डूब रहे तीन बच्चों की बहादुर लड़की ने बचाई जान, चौथी को बचाने के चक्कर में खुद की गई जान, ऐसे हुई पूरी घटना

घटना में ख़ास बात यह रही कि सबसे बड़ी बच्ची अनुष्का ने तीन बच्चों को जीवनदान दिया लेकिन अंत में अपनी छोटी चचेरी बहन छवि को बचाने के चक्कर में खुद पानी में समा गई.

Update: 2021-08-25 08:39 GMT

राजस्थान में धौलपुर जिले में छोटे-छोट पांच बच्चे 23 अगस्त 2021 को पार्वती नदी में फुलरिया विसर्जन करने गए थी जिनमें से दो बच्चि‍यां गहरे पानी में डूब गईं और उनकी मौत हो गई. यह दुखद घटनाद मनियां थाना इलाके की ग्राम पंचायत विनती पुरा के गांव खूबी का पुरा की है. सरपंच राजेश सिकरवार ने ग्रामीणों की मदद से निजी स्तर पर रेस्क्यू शुरू कर दोनों बच्चियों के शव को नदी से बाहर निकाला. उसके बाद घटना की सूचना मनियां थाना पुलिस को दी गई.

पुलिस ने दोनों बच्च‍ियों के शव लेकर मनियां के सरकारी अस्पताल की मॉर्चुरी में रखवा दिए और रात को ही परिजनों की मौजूदगी में पोस्टमॉर्टम करा कर दोनों का शव सुपुर्द कर दिए गए. घटना में ख़ास बात यह रही कि सबसे बड़ी बच्ची अनुष्का ने तीन बच्चों को जीवनदान दिया लेकिन अंत में अपनी छोटी चचेरी बहन छवि को बचाने के चक्कर में खुद पानी में समा गई.
जानकारी के मुताबिक, खूबी का पुरा गांव की रहने वाली 13 वर्षीय अनुष्का, 7 वर्षीय छवि, 12 वर्षीय खुशबू, 10 वर्षीय पंकज और 10 वर्षीय गोविंदा रक्षाबंधन के त्यौहार के दूसरे दिन होने वाले कार्यक्रम फुलरिया को विसर्जन करने के लिए गांव की अन्य बच्चों के साथ पार्वती नदी पर गए हुए थे.
विसर्जन के दौरान छवि, खुशबू, पंकज और गोविंदा चार बच्चे नदी की तेज बहाव में डूबने लगे. तभी बड़ी बच्ची अनुष्का ने नदी में छलांग लगा दी और तीन बच्चों को नदी से बाहर निकाल लिया लेकिन अंत में छोटी बच्ची छवि को जब वह बचाने लगी तो छवि ने अनुष्का को पकड़ लिया और दोनों की डूबने से मौत हो गई. अनुष्का और छवि दो सगे भाइयों की इकलौती बेटियां थीं.
घटना के बाद मौके पर पहुंचे सरपंच राजेश सिकरवार ने ग्रामीणों की मदद से रेस्क्यू चला कर दोनों बच्च‍ियों के शवों को बहार निकाल लिया. जिन्हें देखकर परिजनों का बुरा हाल है. देर रात पुलिस ने बच्च‍ियों के शव के पोस्टमॉर्टम करा कर परिजनों को सुपुर्द कर दिए. इस घटना से गांव में सन्नाटा पसर गया है. बच्च‍ियों के घर में रो-रो कर परिजनों का बुरा हाल बना हुआ है.
आपको बता दें कि रक्षाबंधन के बाद जिले में फुलरिया का स्थानीय त्योहार मनाया जाता है जिसमें सावन माह में बच्चियां अपने-अपने घर पर गेहूं से फुलरिया उपजाती हैं और रक्षा बंधन के दूसरे दिन उनका नदी तालाब पोखर में विसर्जन कर अपने भाई और बुजुर्गो को उपजी हुई फुलरियों को देती हैं.

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