यूपी. राजधानी लखनऊ के केजीएमयू ट्रॉमा सेंटर के बाहर से एक व्यापारी मोहन विश्वकर्मा को असलहे के बल पर अगवा कर लिया गया और फिर उसे बंधक बनाकर रखा गया. अपनी मांगों को पूरा करवाने के लिए आरोपियों ने व्यापारी को तमाम तरह की यातनाएं दीं. करंट लगाया गया, मारपीट की गई. पीड़ित व्यापारी मोहन विश्वकर्मा ने बताया कि विगत दो जुलाई को उसकी भतीजी का एक्सीडेंट हो गया था. वो उसका इलाज कराने के लिए शाम 6 बजे केजीएमयू ट्रामा सेंटर पहुंचा जहां कुछ देर बाद उसकी भतीजी का अस्पताल में निधन हो गया. उसके बाद जब वो ट्रामा सेंटर से बाहर आया तभी संजय सिंह और आलोक तिवारी जोकि उसके व्यापार में साथी थे, वो लगभग 10 अज्ञात व्यक्तियों के साथ ट्रामा सेंटर के बाहर खड़े हुए थे.
ट्रामा सेंटर के बाहर खड़े संजय और आलोक ने अपने साथियों के साथ मिलकर असलहे की नोक पर मोहन को गाड़ी में बैठा लिया और मारते पीटते उसे विभूति खंड स्थित गाड़ी के एक गैराज ले गए. वहां पर पीड़ित के साथ काफी बदसलूकी की गई, उसका एक नग्न वीडियो भी बनाया गया. उसके बाद आरोपी संजय ने मोहन को बिजली के झटके दिए जिस वजह से वो आधे घंटे के लिए बेहोश हो गया. लेकिन जैसे ही फिर होश आया, मारपीट का सिलसिला शुरू हुआ और खूब गाली-गलौज की गई. इसके बाद आरोपियों ने मोहन को इस शर्त पर छोड़ा कि वो अपने घर से 10 लाख रुपये लेकर आएगा. आरोपियों ने उसके पीछे अपने आदमी भी लगा दिए थे और साफ निर्देश दिए गए थे कि अगर कोई चालाकी की गई तो जान से मार दिया जाए.
मोहन के मुताबिक किसी तरह उसने आरोपियों को चकमा दिया और फिर भागते-भागते विभूति खंड पुलिस स्टेशन पहुंच गया. लेकिन वहां पर पुलिस ने शिकायत दर्ज करने से मना कर दिया क्योंकि मामला दूसरे थाने का रहा. फिर पीड़ित हिम्मत करके लखनऊ के चौक पुलिस स्टेशन पहुंचा और वहां पर उसके मामले में शिकायत दर्ज की गई. थाना चौकी प्रभारी प्रशांत कुमार मिश्रा ने बताया कि मामले को गंभीरता से लेते हुए तीन नामजद व्यक्तियों के साथ-साथ 10 अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है जिसमें जीआरपी का सिपाही आलोक तिवारी भी शामिल है. एसएचओ चौक ने जानकारी दी कि धारा 364, 307,323,504,506 और 147 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है.