JNU से चोरी हुआ ट्रैक्टर, और फिर चोरी की ऐसी दास्तान बताई जिससे पुलिस भी पड़ गई हैरत में

Update: 2021-07-06 03:12 GMT

एक नाबालिग बच्चे को ट्रैक्टर (Tractor) से ऐसी दीवानगी लगी की उसने ना केवल इसे चुराया, बल्कि लगातार 52 घंटे चलाकर 700 किलोमीटर का रास्ता भी तय किया. जून के महीने में एडमिन ब्लॉक के पास से एक टैक्टर चोरी हुआ था. जिसकी चोरी की FIR वसंत कुंज नॉर्थ थाने में दर्ज कराई गई थी. जिसके बाद वसंत कुंज नॉर्थ थाने की पुलिस कार्रवाई में लग गई.

कार्रवाई में सबसे पहले पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज खंगाला और साथ ही साथ मौजूदा वक्त में एडमिन ब्लॉक और जेएनयू (JNU) के मेन गेट से निकलने वाले नंबरों को सर्विलांस पर लगाया. उसमें एक नंबर निकला इस नाबालिग का जिसने ट्रैक्टर चोरी की थी.
नंबर को सर्विलांस पर लगाने के बाद वसंत कुंज नॉर्थ थाने के एसएचओ राजकुमार के नेतृत्व में एक टीम का गठन किया गया. जिसमें एसआई हेमंत, एसआई शिव कुमार, हेड कांस्टेबल रामबीर जो की केस के आईओ हैं, हेड कांस्टेबल जग प्रवेश और कांस्टेबल रवि कुमार को शामिल किया गया. टीम ने इस पर काम किया और सर्विलांस के आधार पर दिल्ली पुलिस के जवान पहुंच गए, मध्य प्रदेश के चित्रकूट.
यहां पर पुलिस ने देखा कि जेएनयू से चोरी हुआ ट्रैक्टर, खेतों में चल रहा है. उसके बाद ट्रैक्टर चलाने वाले नाबालिग तक पुलिस पहुंची और पुलिस ने जब उससे पूछताछ की तो उसने इस ट्रैक्टर चोरी की ऐसी दास्तान बताई, जिसे जानने के बाद पुलिस भी हैरत में है.
नाबालिग चोर ने बताया की ट्रैक्टर चोरी करने का उसका कोई मकसद नहीं था. दरअसल उसके रिश्तेदारों में और उसके आसपास के सभी लोगों के पास ट्रैक्टर है. लेकिन उसके घर में एक भी ट्रैक्टर नहीं है. उसकी तमन्ना थी कि वह भी अपने घर पर ट्रैक्टर लाए. लेकिन उसके पास इतने पैसे नहीं थे. तब उसने अपने घर वालों से यह कहा कि दिल्ली में ट्रैक्टर की नीलामी होती है और दिल्ली से ट्रैक्टर खरीद के लाएगा. घर वालों ने ट्रैक्टर खरीदने के लिए उसको ₹15000 दिए.
उसने कुछ पैसे अपने रिश्तेदारों से भी लिया और यह कहकर रवाना हुआ कि वह दिल्ली से ट्रैक्टर लाएगा. वह चित्रकूट से दिल्ली आया जहां पर उसने जेएनयू कैंपस के अंदर से इस ट्रैक्टर को चोरी किया.
आपके जेहन में यह सवाल आता होगा कि आखिरकार देश की सबसे बड़ी यूनिवर्सिटी जेएनयू केंपस से ट्रैक्टर कैसे चोरी हो गया? तो उसके पीछे की भी एक कहानी है. दरअसल नाबालिग के पिता यहां पर कुछ दिनों पहले तक सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी किया करते थे. इससे नाबालिक लड़के को आवाजाही में जेएनयू कैंपस के अंदर कभी भी कोई दिक्कत नहीं होती थी. 
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