विधानसभा चुनावों में राजनीतिक दलों द्वारा अपराधीकरण से मुक्त कराने कल सुप्रीम कोर्ट सुनाएगी फैसला

बिहार विधानसभा चुनावों में अदालत के आदेशों का कथित रूप से पालन नहीं करने के लिए राजनीतिक दलों के खिलाफ अवमानना ​​कार्रवाई की मांग करने वाली याचिकाओं के एक बैच पर सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को फैसला सुनाएगी.

Update: 2021-08-09 17:23 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क :-  बिहार विधानसभा चुनावों में अदालत के आदेशों का कथित रूप से पालन नहीं करने के लिए राजनीतिक दलों के खिलाफ अवमानना ​​कार्रवाई की मांग करने वाली याचिकाओं के एक बैच पर सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को फैसला सुनाएगी. सुप्रीम कोर्ट के फरवरी 2020 के फैसले में स्पष्ट रूप से सभी राजनीतिक दलों को यह बताने के लिए कहा गया था कि आपराधिक मामलों वाले उम्मीदवारों का चयन क्यों किया गया है, उन्हें पार्टी की वेबसाइट पर उम्मीदवारों के खिलाफ मामलों का विवरण, ऐसे उम्मीदवारों के चयन के कारणों का विवरण अपलोड करना होगा.

पिछले महीने 20 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अभी तक कुछ नहीं किया गया है और आगे भी कुछ नहीं होगा और हम भी अपने हाथ खड़े कर रहे हैं. कोर्ट ने ने यह टिप्पणी अपने उन निर्देशों के गैर अनुपालन को लेकर अप्रसन्नता जताते हुए की थी जो उसने राजनीतिक दलों द्वारा राजनीति को अपराधीकरण से मुक्त कराने के लिए दिए थे.
जस्टिस रोहिंटन फली नरीमन की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा था कि राजनीतिक दलों को अपने चयनित उम्मीदवारों के आपराधिक पृष्ठभूमि को उनके चयन के 48 घंटे के भीतर या नामांकन दाखिल करने की पहली तारीख से कम से कम दो सप्ताह पहले, जो भी पहले हो, प्रकाशित करना होगा. चुनाव आयोग की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने शीर्ष अदालत के निर्देशों का पालन न करने की बारीकियों के बारे में विस्तार से बताया था.
उन्होंने कहा था कि बिहार विधानसभा चुनावों में, पहले चरण के लिए नामांकन पत्र दाखिल करना 1 अक्टूबर, 2020 से शुरू हुआ और राजनीतिक दलों ने ज्यादातर अपने उम्मीदवारों के नामों को बहुत देर से अंतिम रूप दिया. इससे उम्मीदवारों द्वारा नामांकन आखिरी दिनों में दाखिल किया गया और इसलिए, नामांकन से दो सप्ताह पहले उम्मीदवारों का फैसला करने और उनके आपराधिक रिकॉर्ड, यदि कोई हो, का खुलासा करने के शीर्ष अदालत के निर्देशों का पालन नहीं किया गया.
बिहार विधानसभा चुनावों में आपराधिक पृष्ठभूमि वाले 469 उतरे
उन्होंने आंकड़ों का भी जिक्र किया था और कहा था कि हाल ही में हुए बिहार विधानसभा चुनावों में 10 राजनीतिक दलों ने आपराधिक पृष्ठभूमि वाले 469 उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था. जब दलील दी जा रही थी तब पीठ ने राजनीति के अपराधीकरण पर अपने निर्देशों का पालन न करने पर नाराजगी व्यक्त की थी. पीठ में जस्टिस बी आर गवई भी शामिल थे. इस पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पीठ से अनुरोध किया था कि उसे चीजों को ठीक करने के लिए विधायिका के कार्यक्षेत्र में दखल देना चाहिए. अदालत को सुझाव दिया गया कि राजनीतिक दलों पर भारी जुर्माना लगाया जाए और नागरिकों को उनके चुनावी अधिकारों के बारे में जागरूक करने के लिए चुनाव आयोग के लिए कोष बनाया जाए


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