सुप्रीम कोर्ट में इसे लेकर सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से ये कहा गया कि कानून बनाने का मामला इतना आसान नहीं है. सरकार की ओर से कहा गया कि कुछ विपक्षी पार्टियां मुफ्त की घोषणाएं करने को संविधान की ओर से मिली अभिव्यक्ति के अधिकार का अंग मानती हैं. इस मामले में आम आदमी पार्टी भी सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई थी और खुद को भी पार्टी बनाने की मांग की थी. अब, जबकि सुनवाई पूरी हो चुकी है और आज सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने वाला है. सबकी निगाहें सुप्रीम कोर्ट पर टिकी हैं कि चीफ जस्टिस की अगुआई वाली पीठ इस समस्या से निपटने का क्या नायाब और सटीक रास्ता सुझाती है. गौरतलब है कि चीफ जस्टिस एनवी रमना के कार्यकाल का आज अंतिम दिन भी है. ऐसे में माना जा रहा है कि चीफ जस्टिस एनवी रमना अपने कार्यकाल के अंतिम दिन मील का पत्थर साबित होने वाला फैसला सुना सकते हैं.
चीफ जस्टिस एनवी रमना की पीठ यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ साल 2007 के भड़काऊ भाषण संबंधी मामले में भी अपना फैसला सुनाएगी. यूपी सरकार की तरफ से सीएम योगी के खिलाफ मुकदमा चलाने की इजाजत नहीं दी गई थी जिसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर हुई है. इस याचिका पर भी सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला सुनाएगा.
मुफ्त की घोषणाओं और गोरखपुर दंगों से जुड़े सीएम योगी के केस के अलावा बैंकरप्सी से जुड़े मामले और कर्नाटक माइनिंग बैन केस के साथ ही राजस्थान में माइनिंग से जुड़े केस में भी आज सुप्रीम कोर्ट का फैसला आना है. CJI एनवी रमना के कार्यकाल का आज अंतिम दिन है और कार्यकाल के अंतिम दिन CJI की पीठ कुल पांच मामलों में अपना फैसला सुनाएगी.