मंगला गौरी व्रत का आखिरी दिन आज, देवी पार्वती और भगवान शिव की पूजा करते है भक्त

Update: 2022-08-09 02:11 GMT

सावन के महीने में हर मंगलवार को मंगला गौरी व्रत रखा जाता है. ऐसे में आज यानी 9 अगस्त 2022 को सावन का आखिरी मंगला गौरी व्रत है. मंगला गौरी व्रत के दिन माता मंगला गौरी या​नि देवी पार्वती के साथ भगवान शिव की पूजा की जाती है. इस व्रत को श्रावण मास के हर मंगलवार को विवाहित स्त्रियों की ओर से रखा जाता है. इस दिन विवाहित स्त्रियां सुखी वैवाहिक जीवन के लिए माता गौरी का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए इस व्रत को करती हैं. तो आइए जानते हैं आज कैसे करें मंगला गौरी व्रत की पूजा-

इस दिन माता पार्वती का मंगला गौरी के रूप में पूजन किया जाता है. माना जाता है कि इस दिन विधि-विधान से माता मंगला गौरी का व्रत रखने और पूजन करने से उनका खास आशीर्वाद प्राप्त होता है. इस दिन सुबजल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहन लें. इसके बाद हाथ में जल लेकर व्रत का संकल्प करें. इसके बाद मंदिर की सफाई करें और एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर उसमें माता पार्वती, भगवान शिव और गणेश जी की मूर्ति स्थापित करें. मां पार्वती को सिंदूर का तिलक लगाएं और घी का दीपक जलाएं. साथ ही सुहाग का सामान जैसे कि लाल चूड़ियां, लाल बिंदी, लाल चुनरी, मेहंदी आदि अर्पित करें और फिर व्रत की कथा पढें.

पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, धर्मपाल नाम का एक सेठ था. सेठ धर्मपाल के पास धन की कोई कमी नहीं थी, लेकिन उनकी कोई संतान नहीं थी. वह हमेशा सोच में डूबा रहता कि अगर उसकी कोई संतान नहीं हुई तो उसका वारिस कौन होगा? कौन उसके व्यापार की देख-रेख करेगा?

इसके बाद गुरु के परामर्श के अनुसार, सेठ धर्मपाल ने माता पार्वती की श्रद्धा पूर्वक पूजा उपासना की. खुश होकर माता पार्वती ने उसे संतान प्राप्ति का वरदान दिया, लेकिन संतान अल्पायु होगी. कालांतर में धर्मपाल की पत्नी ने एक पुत्र को जन्म दिया.

इसके बाद धर्मपाल ने ज्योतिषी को बुलाकर पुत्र का नामांकरण करवाया और उन्हें माता पार्वती की भविष्यवाणी के बारे में बताया. ज्योतिषी ने धर्मपाल को राय दी कि वह अपने पुत्र की शादी उस कन्या से कराए जो मंगला गौरी व्रत करती हो. मंगला गौरी व्रत के पुण्य प्रताप से आपका पुत्र दीर्घायु होगा.

यह व्रत महिलाएं अपने सुहाग की लंबी उम्र और पुत्र प्राप्ति के लिए करती हैं. सेठ धर्मपाल ने अपने इकलौते पुत्र का विवाह मंगला गौरी व्रत रखने वाली एक कन्या से करवा दिया. कन्या के पुण्य प्रताप से धर्मपाल का पुत्र मृत्यु पाश से मुक्त हो गया. तभी से मां मंगला गौरी के व्रत करने की प्रथा चली आ रही है.


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