आज महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री की जयंती, जानिए उनके जीवन से जुड़ी कई जरूरी बातें

Update: 2022-10-02 01:46 GMT

सोर्स न्यूज़  - आज तक  

भारत हर साल 02 अक्टूबर को दो महान नेताओं महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री की जयंती मनाता है. इस साल हम भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की 118वीं जयंती (Lal Bahadur Shastri Birth Anniversary) मना रहे हैं. आत्मनिर्भरता और स्वतंत्रता के लिए देश की आकांक्षाओं में उनके योगदान के लिए एक उत्कृष्ट राजनेता के रूप में माना जाता है. वे असाधारण इच्छाशक्ति वाले एक शानदार विचारक थे. जिन्होंने अपने जीवन में कठिनाईयों को बड़ी सरलता से न सिर्फ पार किया है बल्कि सभी के लिए प्रेरणा बने हैं. चाहे बचपन में रोजाना दो बार गंगा को तैरकर पार करना हो या प्रधानमंत्री पद रहते हुए भी पैसे की तंगी. आइए जानते हैं उनके जीवन से जुड़ी कुछ जरूरी बातें.

लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर, 1904 को मुगलसराय (अब उत्तर प्रदेश) में हुआ था. उनके पिता का नाम शारदा प्रसाद श्रीवास्तव और माता का नाम रामदुलारी देवी था. उनका नाम लाल बहादुर श्रीवास्तव था. बचपन में उन्हें प्यार से नन्हे कहकर पुकारते थे. क्योंकि वे जाति व्यवस्था के विरोधी थे, इसलिए उन्होंने अपने नाम से सरनेम हटा लिया था.

लाल बहादुर शास्त्री ने अपनी शुरुआती शिक्षा प्राप्त करने के लिए कई तरह की कठिनाईयों का सामना किया था. महज डेढ़ साल की उम्र में पिता के निधन के बाद उन्हें चाचा के पास भेज दिया गया. जब स्कूल में दाखिला हुआ तो रोजाना मीलों पैदल चलना और गंगा नदी पार करना पड़ता था. कहा जाता है कि वे रोजाना दो बार गंगा नदी तैरकर स्कूल पहुंचते थे. ताकि किताबें गिली न हो जाए इसलिए उन्हें सिर पर बांध लिया करते थे. क्योंकि उनके पास रोज नाव में बैठकर नदी पार करने के लिए पर्याप्त पैसे नहीं होते थे.

1925 में वाराणसी के काशी विद्यापीठ से स्नातक होने के बाद उन्हें "शास्त्री" की उपाधि दी गई थी. 'शास्त्री' शब्द एक 'विद्वान' या एक ऐसे व्यक्ति को संदर्भित करता है जो शास्त्रों का अच्छा जानकार हो.

1946 में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद, शासन में रचनात्मक भूमिका निभाने के लिए योग्य उम्मीदवारों की तलाश की जा रही थी, तब पार्टी ने उन्हें उत्तर प्रदेश राज्य में संसदीय सचिव नियुक्त किया. उन्हें 15 अगस्त, 1947 को पुलिस और परिवहन मंत्री नियुक्त किया गया था. कार्यालय में उनके समय के दौरान, पहली महिला बस कंडक्टरों को काम पर रखा गया था. 1951 में नई दिल्ली में आए और केंद्रीय मंत्रिमंडल में कई विभागों को संभाला जिनमें रेल मंत्री, परिवहन और संचार मंत्री, वाणिज्य और उद्योग मंत्री, गृह मंत्री और फिर भारत के दूसरे प्रधानमंत्री.

ऐसा माना जाता है कि जब लाल बहादुर शास्त्री प्रधानमंत्री थे तब उनके परिवार ने उनसे एक कार खरीदने के लिए कहा. उन्होंने फिएट कार के लिए 12,000 रुपये चाहिए थे लेकिन उस समय भी उनके पास केवल 7000 रुपये थे. कार खरीदने के लिए उन्होंने पंजाब नेशनल बैंक से 5,000 बैंक लोग के लिए आवेदन किया था. उनकी वह कार अब नई दिल्ली के शास्त्री मेमोरियल में रखी गई है.

साल 1965 और 1966 भारत को सूखे का सामना करना पड़ा था. तब शास्त्री जी सभी देशवासियों को सूखे की मार से उबारने के लिए श्वेत क्रांति के जरिए लोगों की खूब मदद की थी. उन्होंने सभी परिवार को घर में चावल और गेंहू उगाने का आग्रह किया था. इस आंदोलन की शुरुआत लाल बहादुर शास्त्री ने खुद चावल और गेंहू उगाकर की थी.

पंडित जवाहर लाल नेहरू के निधन के बाद 09 जून 1964 को लाल बहादुर शास्त्री को भारत के दूसरे प्रधानमंत्री बने थे. उनका कार्यकाल 11 जनवरी 1966 तक रहा. इसी तारीख को उज्बेकिस्तान के ताशकंद में रहस्यमयी तरीके से उनका निधन हो गया था. उस समय शास्त्री जी भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद के हालातों को लेकर समझौता करने ताशकंद में पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान से मिलने गए थे. मुलाकात के कुछ घंटों बाद उनकी मृत्यु हो गई थी. आपको जानकार हैरानी हो सकती है कि संसदीय लाइब्रेरी में भी उनकी मौत की जांच के लिए बैठी राजनारायण कमेटी की कोई रिकॉर्ड नहीं है.


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