'जबतक मौत नहीं लिखी, कोई मरने वाला नहीं'...टाइम नहीं है...वैक्सीन लगवाने वालों की भी मौत क्यों हो रही है?...यहां लोग बना रहे ऐसे बहाने

Update: 2021-05-27 08:22 GMT

देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर के बीच वैक्सीनेशन का काम भी चल रहा है. हर रोज़ करीब 20 लाख वैक्सीन लगाई जा रही है, इतने बड़े देश में वैक्सीनेशन की ये रफ्तार काफी सुस्त है. लेकिन इस सुस्ती से अलग एक और संकट भी है, वो है लोगों में वैक्सीन को लेकर फैली अलग-अलग भ्रांतियां. उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में कई लोग वैक्सीन लगवाने से इनकार कर रहे हैं, इसके पीछे अलग-अलग तर्क भी दिए जा रहे हैं.

अलीगढ़ में वैक्सीन को लेकर भ्रम का हाल ये है कि मुक्तिधाम में काम करने वाले लोग भी टीका लगवाने से इनकार कर रहे हैं, जबकि इस वक्त कोरोना का खतरा उनपर भी काफी ज्यादा है. लकड़ी का काम करने वाले देवेंद्र कुमार यूं तो वैक्सीन को फायदेमंद बता रहे हैं, लेकिन उनका कहना वैक्सीन लगवाने के बाद आधे घंटे इंतजार करना पड़ता है.
देवेंद्र का कहना है कि अगर उस वक्त कुछ साइडइफेक्ट हुआ तो इलाज कौन करेगा. अभी तक उन्हें कोई दिक्कत नहीं हुई है. ऐसे में देवेंद्र का कहना है कि ना तो वो वैक्सीन लगना रहे हैं, ना ही अपने परिवार को लगवा रहे हैं.
अलीगढ़ की ही एक श्मशान में लकड़ी का काम करने वाले अवधेश का कहना है कि जबतक ऊपर वाले ने मौत नहीं लिखी है, तो कोई मरने वाला नहीं है. हम समाज सेवा में लगे हैं, वैक्सीन लगवाने का टाइम नहीं है.
पूरे शहर में ऐसी ही बेतुकी दलीलों की वजह से लोग वैक्सीन लगवाने से इनकार कर रहे हैं. उनके लिए करोड़ों लोगों का सुरक्षित रहना मायने नहीं रखा. बस एक ही दलील को लेकर बैठे हैं कि वैक्सीन लगवाने वालों की भी मौत क्यों हो रही है? स्थानीय सब्जी विक्रेता का कहना है कि वैक्सीन लगवाने का क्या फायदा, उसके बाद भी तो लोग मर रहे हैं.
वैक्सीन ही एकमात्र उपाय
कोवैक्सीन और कोविशील्ड वैक्सीन के मामले में दर्ज ब्रेकथ्रू केस की बात करें तो कोवैक्सीन का 0.04 फीसदी यानी एक हजार लोगों में 4 को जबकि कोविशील्ड के केस में 0.03 फीसदी यानी 1 हजार लोगों में 3 को फिर से कोरोना होने का खतरा रहता है.
वैक्सीन लगवाने के बाद भी कोरोना के मामले सिर्फ हिंदुस्तान में सामने नहीं आए हैं. दुनिया के कई देशों में ब्रेकथ्रू केस दर्ज किए गए हैं. उनमें से एक अमेरिका भी है जो अब अपनी आधी से ज्यादा आबादी को वैक्सीन लगाकर मास्क से छूट दे रहा है. हालांकि, तमाम तर्कों के बीच कई स्टडी में साफ हुआ है कि कोरोना के महासंकट के बीच वैक्सीन ही एक मात्र रामबाण उपाय है.
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