ATS पर कसा शिकंजा, ED ने उठाया ये कदम

ईडी द्वारा जमीन आवंटन से लेकर बकाये तक के बारे में जानकारी मांगी है।

Update: 2024-06-23 02:37 GMT
नोएडा: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने नोएडा प्राधिकरण से एटीएस ग्रुप या उससे जुड़े 63 प्रोजेक्ट्स के बारे में छह बिंदुओं पर जानकारी मांगी है। इनमें खुद एटीएस के नाम से 26 कंपनियां हैं। ईडी द्वारा जमीन आवंटन से लेकर बकाये तक के बारे में जानकारी मांगी है।
प्राधिकरण के सीईओ को भेजे पत्र में 28 जून तक जानकारी देने के लिए कहा है। आशंका है कि ईडी को एटीएस ग्रुप और अन्य कंपनियों के बीच लेन-देन में गड़बड़ी को लेकर शिकायत मिली है, इसके चलते जानकारी मांगी गई है। ईडी के लखनऊ स्थित जोनल मुख्यालय के उपनिदेशक ज्वलिन तेजपाल की ओर से नोएडा प्राधिकरण के सीईओ को परियोजनाओं से संबंधित जानकारी देने के लिए पत्र भेजा गया है। पत्र में 63 प्रोजेक्ट्स के नाम हैं। सचूना मांगने का आधार मनी लॉन्ड्रिंग बताया गया है।
ईडी के इस पत्र के बारे में नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों का कहना है कि अभी यह पत्र सामने नहीं आया है। हो सकता है कि ऑफिस में डाक के जरिये आया हो। पत्र में, जो जानकारी मांगी गई है, उसको तय समय में उपलब्ध करा दिया जाएगा। इस बारे में एटीएस के निदेशक गीतांबर आनंद के मोबाइल पर कॉल और मैसेज कर जानकारी मांगी गई, लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।
ईडी नोएडा से जुड़े अन्य बिल्डरों की परियोजनाओं को लेकर भी जांच कर रहा है। आम्रपाली, सुपरटेक, यूनिटेक के अलावा थ्रीसी बिल्डर की परियोजनाएं जांच के दायरे में हैं। पिछले महीने ही ईडी ने थ्रीसी की लोटस 300 और लोटस बुलेवर्ड को लेकर जानकारी मांगी थी।
शहर में करीब 70-80 हजार खरीदार फ्लैट पाने और 30 हजार से अधिक खरीदार रजिस्ट्री के इंतजार में हैं। समय पर परियोजनाएं पूरी न करने और रजिस्ट्री रुकी होने को लेकर खरीदार आए दिन प्रदर्शन कर रहे हैं। खरीदार लगातार आरोप लगा रहे हैं कि बिल्डरों ने उनसे लिए धन को दूसरी परियोजनाओं या अन्य व्यवसाय में लगा दिया। बिल्डर ने पैसों की हेराफेरी कर उनके साथ धोखा किया है।
खरीदारों को फ्लैट पर कब्जा दिलवाने और रजिस्ट्री कराने के लिए शासन ने अमिताभकांत समिति की सिफारिशों को लागू कर रखा है। इसमें बिल्डरों को कोरोना काल के समय का दो साल का जीरो पीरियड का फायदा दिया जा रहा है। इसके बावजूद बड़े बिल्डर सहमति देकर बकाया जमा करने को आगे नही आ रहे हैं। इससे फ्लैट खरीदारों को इसका अधिक फायदा नही मिल पा रहा है।

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