मोदी सरकार 2.0 के तीन साल, जानें सर्वे में क्या कहा गया?

Update: 2022-05-30 12:45 GMT

नई दिल्ली: पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की अप्रूवल रेटिंग कोरोना काल के बाद से अपने उच्चतम स्तर पर है। हालांकि इस बीच लोगों की जरूरी चीजों की महंगाई और बेरोजगारी को लेकर चिंता भी बढ़ी है। नरेंद्र मोदी सरकार के कामकाज को लेकर ताजा सर्वे में यह बात सामने आई है। लोकल सर्कल्स की ओर से किए गए सर्वे में 67 फीसदी लोगों ने माना है कि मोदी सरकार दूसरे कार्यकाल में उम्मीदों पर खरी उतरी है या उससे ज्यादा काम किया है। इस सर्वे में 64,000 लोगों ने हिस्सा लिया था। बीते साल कोरोना की दूसरी लहर का कहर देखने को मिला था और तब मोदी सरकार के कामकाज से खुद को संतुष्ट बताने वाले लोगों की संख्या 51 फीसदी ही थी।

इस तरह मोदी सरकार की अप्रूवल रेटिंग में यह बड़ा इजाफा है, जब सर्वे में शामिल दो तिहाई लोगों ने उसके कामकाज की सराहना की है। बीते साल कोरोना की दूसरी लहर में बड़ी संख्या में मौतें हुई थीं और अस्पतालों में ऑक्सीन सिलेंडर एवं बेड्स की कमी देखने को मिली थी। दिल्ली, यूपी, महाराष्ट्र समेत कई राज्यों में ऐसे ही हालात बने थे। कोरोना के एकदम शुरुआती दौर में भी मोदी सरकार की अप्रूवल रेटिंग 62 फीसदी ही थी। इस तरह कोरोना काल की शुरुआत से अब तक मोदी सरकार की यह अप्रूवल रेटिंग सबसे ज्यादा है।
सर्वे में शामिल लोगों ने कहा कि सरकार ने कोरोना की तीसरी लहर से निपटने के लिए सही उपाय किए थे और अर्थव्यवस्था को भी संभालने का काम किया। हालांकि बेरोजगारी की दर लगातार 7 फीसदी बने रहने को लेकर लोगों ने चिंता जताई है। सर्वे में शामिल 47 फीसदी लोगों ने माना कि भारत सरकार बेरोजगारी के मुद्दे से निपटने में असफल रही है। हालांकि एक अहम बात यह भी है कि इसी दौर में लोगों का बेरोजगारी से सरकार के निपटने के तरीकों पर भरोसा भी बढ़ा है। सर्वे में 37 फीसदी लोगों ने मोदी सरकार की नीतियों को लेकर कहा कि वह बेरोजगारी से निपटने के प्रयास कर रही है।
इससे पहले ऐसा मानने वाले लोगों की संख्या 2021 में 27 फीसदी थी, जबकि 2020 में यह आंकड़ा 29 फीसदी का था। माना जा रहा है कि कोरोना संकट से निपटने के लिए लागू लॉकडाउन के दौरान मजदूरों का पलायन हुआ था और बड़े पैमाने पर निजी सेक्टर में लोगों की नौकरियां गई थीं। मोदी सरकार की अप्रूवल रेटिंग में यह इजाफा ऐसे वक्त में हुआ है, जब हाल ही में आए रिटेल महंगाई दर के आंकड़ों ने 8 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। इसके बाद मोदी सरकार ने खाद्यान्न की कीमतों पर लगाम कसने के लिए गेहूं और चीनी के एक्सपोर्ट पर ही रोक लगा दी है।
सर्वे में शामिल 73 फीसदी भारतीयों ने माना कि बीते तीन सालों में जरूरी चीजों की कीमतों में कमी नहीं आई है। 2024 में तीसरी बार सत्ता में आने की दावेदारी जता रही भाजपा के लिए यह चिंता की बात हो सकती है। सर्वे में शामिल 73 फीसदी लोगों ने माना कि वे अपना और परिवार का बेहतर भविष्य भारत में देखते हैं। इसके अलावा 44 फीसदी लोगों की राय थी कि देश में एयर पलशून कम करने के लिए सरकार ने जरूरी उपाय नहीं किए हैं। वहीं सामाजिक सद्भाव के मामले में 60 फीसदी लोगों ने सरकार के कामकाज को सही माना, जबकि 33 फीसदी लोगों की राय अलग थी। सर्वे में शामिल 50 पर्सेंट से ज्यादा लोगों ने कहा कि देश में कारोबार करना पहले के मुकाबले आसान हो गया है।
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