ओमिक्रॉन वेरिएंट का नया स्वरूप उसके मूल स्वरूप से काफी तेजी से फैल रहा है. इस बात की जानकारी एक अध्ययन से मिली है. इस अध्ययन ने लोगों की परेशानी बढ़ा दी है. इसमें कहा गया है कि कोरोना के ओमिक्रॉन वेरिएंट का उपस्वरूप ज्यादा संक्रामक है. डेनमार्क में स्टेटेंस सीरम इंस्टीट्यूट (SSI) के शोधकर्ताओं ने 8541 घरों के 17945 लोगों पर यह अध्ययन किया है, जिसमें ओमिक्रॉन वेरिएंट के मूल स्वरूप (BA1) और उपस्वरूप (BA2) के प्रसार की जानकारी एकत्रित की गई है. इस स्टडी में स्टैटिस्टिक्स डेनमार्क, यूनिवर्सिटी ऑफ कोपनहेगन और टेक्निकल यूनिवर्सिटी ऑफ डेनमार्क के मेंबर शामिल थे. डेनमार्क में हुई स्टडी में पाया गया कि ओमिक्रॉन के उपस्वरूप की मारक क्षमता 39 प्रतिशत है जबकि ओमिक्रॉन का मूल स्वरूप के मामले में यह 29 प्रतिशत है.
आसान शब्दों में इसे समझें तो ओमिक्रॉन के मूल स्वरूप से संक्रमित 100 लोगों में से 29 लोगों से ही कोरोना का ये स्वरूप दूसरों तक पहुंच रहा है. वहीं. ओमिक्रॉन के उपस्वरूप से संक्रमित 100 लोगों में से 39 लोग अपने आस-पास मौजूद दूसरे लोगों को संक्रमित करते हैं. ज्यादा तेजी से अटैक करने की क्षमता के कारण भी यह तेजी से फैल रहा है.
वैक्सीन न लेने वालों के लिए ज्यादा खतरा
स्टडी में शामिल शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि जिन लोगों को वैक्सीने के दोनों डोज नहीं लगे हैं उनमें ओमिक्रॉन के फैलने का खतरा ज्यादा रहता है. यही कारण है कि शोधकर्ताओं ने वैक्सीनेशन पर जोर दिया. यहां समस्या ये है कि अगर किसी पर ओमिक्रॉन का अटैक पहले हो रहा है तो उसमें बीमारी से लड़ने के लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता भी ज्यादा नहीं होगी. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के महानिदेशक ने मंगलवार को कहा कि 10 सप्ताह पहले कोरोना वायरस के ओमिक्रॉन स्वरूप के सामने आने के बाद से अब तक संक्रमण के 9 करोड़ से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं, जो कि वर्ष 2020 में सामने आए कुल मामलों से ज्यादा है. गौरतलब है कि वर्ष 2020 में कोविड-19 महामारी की शुरुआत हुई थी.
डब्ल्यूएचो के महानिदेशक टेड्रोस अधानोम घेबरेसस ने आगाह किया कि हालांकि ओमिक्रॉन, वायरस के अन्य स्वरूपों जितना घातक नहीं है फिर भी इससे बचकर रहने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि दुनियाभर के ज्यादातर क्षेत्रों से मौतों की संख्या में वृद्धि की बेहद डराने वाली खबरें आ रही हैं.