चोरी का ये मामला आपको हैरान करके रख देगा!

50 साल पहले चोरी हुई मूर्तियों की पुलिस के पास न तो फोटो थी और न ही कोई सबूत था, उसके बाद भी मूर्ति विंग ने इस प्रतिमा को अमेरिका में ढूंढ़ लिया है.

Update: 2022-11-09 08:28 GMT

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नई दिल्ली: तमिलनाडु पुलिस ने कुंभकोणम में एक मंदिर से चुराई गईं 7वीं सदी की देवी पार्वती की प्रतिमा को खोज निकाला है. 50 साल पहले चोरी हुई मूर्तियों की पुलिस के पास न तो फोटो थी और न ही कोई सबूत था, उसके बाद भी मूर्ति विंग ने इस प्रतिमा को अमेरिका में ढूंढ़ लिया है.
तमिलनाडु के तंजौर जिले में कुंभकोणम के पास एक मंदिर से 7वीं सदी की देवी पार्वती की प्रतिमा समेत 5 पुरानी मूर्तियां चोरी हुईं थीं. इसको लेकर 21 मई 1971 को एक एफआईआर दर्ज की गई थी. 5 दशक के बाद पुलिस ने इस केस को सॉल्व कर लिया है.
इस केस में पुलिस के पास न तो चोरी की गई मूर्तियों की कोई फोटो थी, केवल कुछ सबूतों के सहारे ही पुलिस ने मामला सुलझा लिया. बीते महीने पुलिस टीम ने आखिरकार अमेरिका में एक नीलामी घर में पार्वती की मूर्ति का पता लगा लिया. मूर्ति की बरामदगी चोरी के 60 मामलों में से एक है, जिसे तमिल पुलिस मूर्ति विंग ने पिछले 10 महीनों में सॉल्व किया है. पुलिस अब यूएस, यूके और ऑस्ट्रेलिया से मूर्तियों की भारत वापसी का इंतजार कर रही है.
इस सफलता से उत्साहित मूर्ति विंग अब दूसरे देशों में संग्रहालयों और नीलामी घरों से अधिक से अधिक मूर्तियों को प्राप्त करने के अभियान पर है. चोरी की गई अधिकांश मूर्तियां मध्य तमिलनाडु से हैं, जो एक ऐसा क्षेत्र है जहां चोल काल के मध्यकालीन भारत के कुछ सबसे परिष्कृत मंदिर वास्तुकला हैं और जिनके मंदिरों में स्वतंत्रता से पहले और बाद में डकैती दर्ज की गई है. नादानपुरेश्वर मंदिर चोरी की पुलिस जांच जुलाई 2022 में शुरू हुई थी.
इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए आइडल विंग की डायरेक्टर जनरल के जयंत मुरली ने कहा कि जब उन्होंने चोरी की जांच शुरू की तो यह 1971 के बाद से एक लंबा समय हो चुका था और चोरी की गई मूर्तियों के फोटोग्राफ भी नहीं थे. उन्होंने बताया कि उस समय हमारी आइडल विंग नहीं बनी थी. साल 2019 में मंदिर के एक ट्रस्टी ने हमसे संपर्क किया, लेकिन हम उनकी कोई मदद नहीं कर पाए क्योंकि कोई दस्तावेज मौजूद नहीं था.
इंस्पेक्टर इंदिरा, जिन्होंने इस साल की शुरुआत में इस मामले को अपने हाथ में लिया, उन्होंने फिर से गायब मूर्तियों की तलाश शुरू की. चोरी के अवशेषों के किसी भी निशान के लिए पुस्तकालयों और अभिलेखागारों को खंगालने से शुरू होता है. मूर्तियों की पहचान करना एक चुनौती है क्योंकि सत्यापन के लिए हर छोटी सी लीड को विशेषज्ञों के पास ले जाना पड़ता है. उन्होंने कहा कि कई मामलों में तस्करों ने मूल प्रतिमाओं को दूसरी मूर्तियों से बदल दिया होगा.
मूर्ति की खोज करते हुए इंदिरा पुडुचेरी के फ्रेंच इंस्टीट्यूट पहुंचीं, जहां पार्वती और अन्य लापता मूर्तियों की 1957 में मंदिर से ली गई ब्लैक एंड व्हाइट तस्वीरें थीं. इंस्पेक्टर इंदिरा और उनकी 10 सदस्यीय टीम ने साइबर जांच की शुरुआत की. उन्होंने म्यूजियम और नीलामी घरों की वेबसाइट और कैटलोग खंगाले और प्रमुख संग्राहकों के साथ-साथ यूरोपीय मूर्ति तस्करों के ऑनलाइन पेज चेक किए.
टीम ने आखिरकार पार्वती की मूर्ति को अमेरिका में ललित कला और संग्रहणीय वस्तुओं, मोटर कारों और आभूषणों के एक प्रमुख नीलामीकर्ता के डिजिटल कैटलॉग में खोजा. गैलरी से फोटो एएसआई के विशेषज्ञों को भेजी गई, जिन्होंने फोटोग्रामेट्री का उपयोग करके पुष्टि की कि नीलामी वेबसाइटों पर छवि उसी पार्वती की मूर्ति की थी जो चोरी हो गई थी. 
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