ये शख्स खुद को बताता था स्वास्थ्य मंत्रालय का ज्वाइंट सेक्रेट्री, नकली पहचान पत्र बरामद, कई लोगों से किया ठगी

पुलिस को मिली इसकी सूचना

Update: 2021-01-08 01:08 GMT

दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने एक ऐसे शख्स को गिरफ्तार किया है जो खुद को स्वास्थ्य मंत्रालय का ज्वाइंट सेक्रेट्री और एम्स का असिस्टेंट प्रोफेसर बताता था. गिरफ्तार किए गए शख्स का नाम देवेंद्र मिश्रा है जो लोगों से खुद को सीनियर ब्यूरोक्रेट बताकर ठगी किया करता था.क्राइम ब्रांच ने गिरफ्तार शख्स के पास से नकली पहचान पत्र बरामद किया, जिस पर डॉक्टर लिखा हुआ है और स्वास्थ्य तथा परिवार कल्याण मंत्रालय का जॉइंट सेक्रेटरी पद लिखा है. इसके अलावा पहचान पत्र पर एम्स का असिस्टेंट प्रोफेसर भी लिखा हुआ था.

साथ ही उनके पास से मध्य प्रदेश के मेडिकल कॉलेज का भी एक पहचान पत्र बरामद हुआ है. देवेंद्र मिश्रा की उम्र करीब 44 साल है जो कि मध्यप्रदेश का रहने वाला है. 28 दिसंबर को पुलिस को एक जानकारी मिली थी कि एक शख्स जो खुद को सरकारी अधिकारी और डॉक्टर बता रहा है.
28 दिसंबर को क्राइम ब्रांच के साइबर सेल को सूचना मिली थी कि देवेंद्र कुमार मिश्रा खुद को एमडी, बाल रोग विशेषज्ञ, डीएम कार्डियोलॉजी और एम्स कार्डियोलॉजी में विजिटिंग फैकल्टी के रूप में, आर्मी हॉस्पिटल, दिल्ली कैंट में विजिटिंग फैकल्टी के रूप में तो कभी नीति अयोग में सलाहकार के रूप में बताया करता था.
जानकारी के अनुसार, देवेंद्र कुमार मिश्रा उर्फ गुड्डू भोली-भाली जनता को धोखा देने के लिए नौकरशाह के रूप में बहरूपिया बना हुआ था. पुलिस के मुताबिक यह बहरूपिया लोगों को ठगने की फिराक में था. क्राइम ब्रांच ने अब इस आरोपी को गिरफ्तार किया है.
देवेंद्र के कब्जे से 2 मोबाइल फोन, 3 सिम कार्ड, पेन ड्राइव बरामद हुई है. इसके अलावा स्वास्थ्य मंत्रालय, भारत सरकार और दूसरे विभागों के नकली आईडी कार्ड भी बरामद हुए हैं. क्राइम ब्रांच के मुताबिक देवेंद्र कुमार मिश्रा ने दिल्ली-एनसीआर और दूसरी जगह कई लोगों से ठगी की है.
आरोपी देवेंद्र कुमार मिश्रा उर्फ ​​गुड्डू से लगातार पूछताछ से पता चला है कि आरोपी निम्न मध्यम वर्गीय परिवार से ताल्लुक रखता है. मध्यप्रदेश के रीवा में एक छोटा भाई और तीन बहनें हैं. उसकी शादी 1998 में हुई और उनके दो बच्चे हैं. उसने 12वीं तक की पढ़ाई (1993) में रीवा से की. साथ ही उसने देवी अहिल्या पैरामेडिकल कॉलेज, इंदौर से 1995 में लैब तकनीशियन में डिप्लोमा पूरा किया. 1996 से 2000 तक रीवा में पैथोलॉजी लैब के लिए एक दुकान शुरू किया.
वह 2008 में दिल्ली आ गया और ब्लड कलेक्शन सेंटर की शुरुआत की. दिल्ली के विनोद नगर और लक्ष्मी नगर में वह कई प्रयोगशालाओं के लिए खून के नमूने एकत्र करता था, लेकिन बिजनेस में नुकसान के कारण, उसने अपना ब्लड कलेक्शन सेंटर बंद कर दिया. फिर उसने अपने संपर्कों का उपयोग करके और वरिष्ठ नौकरशाहों के रूप में आसान तरीके से पैसे कमाने के लिए जनता को धोखा देने के लिए प्रतिष्ठित अस्पतालों के डॉक्टर के रूप में लोगों से धोखाधड़ी करना शुरू कर दिया.
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