इस महीने भीषण गर्मी के आसार, बच्चे और बुजुर्ग को घर से बाहर नहीं निकलने की सलाह
दिल्ली। इस साल मई-जून की गर्मी मार्च-अप्रैल में ही आ गई और यह सभी रिकॉर्ड ध्वस्त कर रही है। आसमान से बरसती आग बदन झुलसा रही है। मौसम विभाग के महानिदेशक डॉ. एम मोहपात्रा ने कहा कि अप्रैल में गर्म हवाओं के कारण देश के मध्य व उत्तर पश्चिमी हिस्सों में दर्ज तापमान पिछले 122 सालों में सबसे अधिक रहा। उत्तर पश्चिम हिस्से में औसत अधिकतम तापमान 35.90 और मध्य में 37.78 डिग्री दर्ज किया गया।
मौसम विभाग के मुताबिक, मार्च और अप्रैल में मध्य हिस्सों में तापमान सामान्य से अधिक रहा। दिल्ली, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, पंजाब, चंडीगढ़, हिमाचल प्रदेश में तापमान सामान्य से चार डिग्री अधिक दर्ज किया गया। इससे पहले मार्च 2022 देश के साथ-साथ उत्तर पश्चिम भारत के लिए 122 वर्षों में सबसे गर्म था।
उत्तर पश्चिमी राज्यों, पश्चिम मध्य तथा उत्तर-पूर्व भारत के ज्यादातर हिस्सों में मई में पारा सामान्य से अधिक जबकि शेष में सामान्य से कम रहने की संभावना है। मौसम विभाग ने शनिवार को यह अनुमान जारी किया है। यूपी, राजस्थान, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, बिहार, झारखंड में अधिकतम के साथ न्यूनतम तापमान भी सामान्य से अधिक रहेगा। यानी रात में भी गर्म हवाओं का प्रकोप रह सकता है। देश के अधिकतर हिस्सों में मई में सामान्य से अधिक बारिश होने के आसार हैं। जबकि उत्तर-पश्चिम और पूर्वोत्तर भारत के कुछ हिस्सों के साथ सुदूर पूर्वी दक्षिण प्रायद्वीप में सामान्य से कम बारिश होने की संभावना है।
वर्ष 1971-2020 के आंकड़ों के अनुसार, मई में देश भर में औसत बारिश का रिकॉर्ड 61.4 मिमी का है। इस बार यह कुछ ज्यादा 109 फीसदी तक हो सकती है। हालांकि, उत्तर-पश्चिमी राज्यों में सामान्य से कम रहेगी।
इस बीच मौसम विभाग ने लू से बचने की सलाह दी है साथ ही कहा है कि बच्चों और बुजुर्गों को धूप में बाहर निकलने से बचना चाहिए। गर्मी से बचने के लिए हल्के रंग के कपड़े पहनने चाहिए। घर से बाहर निकलने से पहले सर को ढंकना चाहिए।
विश्व मौसम विज्ञान संगठन ने कहा कि भारत के कई हिस्सों में भीषण गर्मी से लाखों लोग हो रहे प्रभावित। मिंट लाउंज की रिपोर्ट के मुताबिक, अत्यधिक गर्मी मानसिक स्वास्थ्य, जनजीवन पर असर डालती है। बच्चे-बुजुर्ग, लड़कियां और मानसिक, शारीरिक और चिकित्सा चुनौतियों वाले लोगों में जोखिम ज्यादा होती है। द लैंसेट की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रचंड गर्मी से आत्महत्या दर में भी वृद्धि, बेचैनी-अवसाद का कारण है। रांची में सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ साइकियाट्री ने भी माना, गर्मी से चिड़चिड़ापन और आक्रामकता बढ़ी। पहले से मौजूद मानसिक बीमारी हीटवेव के दौरान मौत के जोखिम को तीन गुना कर सकती है।