दिल्ली: आम बजट 2023-24 पर सभी की निगाहें हैं। 1 फरवरी को बजट पेश किया जाएगा। इससे एक दिन पहले यानी 31 जनवरी को आर्थिक सर्वेक्षण पेश होगा। बजट से पहले इस आर्थिक सर्वे का अपना महत्व होता है। इसे पेश करने का सरकार का उद्देश्य जनता को यह बताना होता है देश की अर्थव्यवस्था किस तरफ जा रही है।
इसके माध्यम से पता चलता है कि आखिर महंगाई, विकास दर से अर्थव्यवस्था किस तरफ जा रही है। आर्थिक सर्वेक्षण में मुख्यतः अगले दिन पेश होने वाले बजट की झलक मिलती है। आर्थिक सर्वेक्षण को वित्त मंत्रालय प्रकाशित करता है। यह सरकार के एक साल का रिपोर्ट कार्ड पेश करता है। इसमें बताया जाता है कि सरकार ने एक साल में क्या विकास कार्य किए।
आर्थिक सर्वेक्षण के बारे में जाने यह बातें
आर्थिक सर्वेक्षण कृषि और औद्योगिक उत्पादन, बुनियादी ढांचे, रोजगार, धन की आपूर्ति, कीमतों, आयात, निर्यात, विदेशी मुद्रा भंडार और अन्य प्रासंगिक आर्थिक कारकों के रुझानों का विश्लेषण करता है जिनका बजट पर असर पड़ता है।
यह आगामी वर्ष के लिए बजट के पहले संसद में प्रस्तुत किया जाता है।
वित्त मंत्रालय का प्रमुख दस्तावेज आर्थिक सर्वेक्षण अर्थव्यवस्था के सभी पहलुओं को कवर करते हुए विस्तृत सांख्यिकीय डेटा प्रदान करता है।
अर्थव्यवस्था के अन्य क्षेत्रों पर सरकारी आय और व्यय के प्रभाव की बेहतर सराहना के लिए, उन्हें कुछ आर्थिक परिमाणों के संदर्भ में वर्गीकृत करना आवश्यक है, उदाहरण के लिए, पूंजी निर्माण के लिए कितना बचाकर रखा है, सरकार द्वारा कितना सीधे खर्च किया जाता है। सरकार द्वारा अर्थव्यवस्था के अन्य क्षेत्रों में कितना अनुदान, ऋण आदि के माध्यम से स्थानांतरित किया जाता है। यह विश्लेषण केंद्र सरकार के बजट के आर्थिक और कार्यात्मक वर्गीकरण में निहित है जिसे अलग से लाया जाता है।
आर्थिक सर्वेक्षण आम तौर पर केंद्रीय बजट के लिए नीतिगत दृष्टिकोण प्रदान करता है।