नैनीताल: झीलों के शहर नैनीताल के टिफिन टॉप नाम के पर्यटन स्थल पर एक अमेरिकी मशरूम मिला है. इसे खोजा है नैनीताल में रहने वाले नेचर फोटोग्राफर और पद्मश्री से सम्मानित डॉ. अनूप शाह ने. अनूप ट्रैकिंग के दौरान टिफिन टॉप पर गए थे. तभी उन्होंने वहां पर लाल रंग का यह मशरूम देखा. उसकी तस्वीरें लीं. यह ऊपर से नीचे तक पूरी तरह से लाल था. जबकि आमतौर पर मशरूम ऐसे नहीं होते.
आजतक की खबर के मुताबिक अनूप का दावा है कि यह अमेरिकी मशरूम बोलेटस रुब्रोफ्लैमियस (Boletus rubroflammeus) है. यह आमतौर पर पूर्वी अमेरिका के जंगलों में मिलता है. मशरूम के बारे में पुष्टि करने के लिए अनूप ने इसकी तस्वीरें अपने मित्र और मशरूम पर स्टडी करने वाले डॉ. निर्मल एसके हर्ष को भेजी. डॉ. हर्ष फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट से रिटायर्ड हैं. डॉ. हर्ष ने इसकी पहचान बोलेटस रुब्रोफ्लैमियस के रूप में की.
यह मशरूम बांज (Oak) जैसी कठोर लकड़ियों से विशेष संबंध बनाकर रखता है. बांज के पेड़ की जड़े मशरूम को सभी पोषक तत्व देती हैं. इसके बदले में मशरूम का माइसीलियम (Mycelium) मिट्टी को पोषक तत्व देता है. यानी दोनों ही एक दूसरे को सहारा देते हैं. इससे स्थानीय पारिस्थितिक तंत्र को मजबूती मिलती है.
डॉ. निर्मल एसके हर्ष ने 2021 में देश भर के मशरूम पर भारत के स्थूल कवक की लाल सूची (Red List of Micro Fungi of India) प्रकाशित की. इसमें भारत से रिपोर्ट की गई मशरूम आदि का डेटाबेस है. लेकिन अभी तक देश में बोलेटस रुब्रोफ्लैमियस नहीं मिला था. यह पहली बार है जब ये मशरूम भारत में मिला है. डॉ. हर्ष के मुताबिक पारिस्थितिक तंत्र में इसकी उल्लेखनीय भूमिका है. उधर डॉ. अनूप शाह ने बताया कि उन्होंने इसे 13 जुलाई 2022 को खोजा था.
कुमाऊं विश्वविद्यालय के वनस्पति विभाग के प्रोफेसर ललित तिवारी ने कहा कि यह मशरूम सबसे पहले 1971 में अमेरिका के मिशिगन में खोजा गया था. यह गहरे लाल रंग का होता है. मशरूम में घाव होने पर इसका रंग नीला हो जाता है.