दिव्यांग बच्चों के लिए मसीहा बनी ये महिला अधिकारी

Update: 2022-05-10 01:36 GMT

यूपी। मां बनने के लिए सबसे जरूरी दांपत्य जीवन का निर्वहन करना होता है. तब जाकर एक महिला को मां बनने का सुख प्राप्त होता है. लेकिन उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के गाजीपुर में एक महिला, जो दांपत्य जीवन को स्वीकार किए बिना ही सैकड़ों दिव्यांग बच्चों की मां के रुप में पहचानी जा रही हैं. साथ ही उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए भी लगातार प्रयास कर रही हैं. बड़ी बात यह है कि सविता सिंह (Savita Singh Ghazipur) बचपन से ही खुद दिव्यांग हैं. जिसकी वजह से दिव्यांग होने का दर्द महसूस करने के बाद अपनी शिक्षा के बलबूते वह ग्रामीण अभियंत्रण विभाग में लेखा अधिकारी के पद पर नियुक्त हुईं औऱ अब सैकड़ों दिव्यांगों के लिए एक मां के रूप में काम कर रही हैं.

दरअसल सविता सिंह बचपन से दिव्यांग हैं और इसका दर्द क्या होता है, इन्हें बखूबी पता है. इसलिए इन्होंने कुछ ऐसा कर गुजरने की सोची की दिव्यांगों की मदद हो सके. जिसके बाद बगैर किसी सरकारी मदद, अपने वेतन और कुछ सहयोगी के साथ राजेश्वरी विकलांग विद्यालय का संचालन पिछले 10-15 सालों से कर रही हैं. जिसका नतीजा भी अब दिखने भी लगा है. इनके विद्यालय में पढ़े सैकड़ों दिव्यांग आज समाज की मुख्यधारा से जुड़ कर आत्मनिर्भर बन स्वरोजगार कर रहे हैं.

यह विद्यालय गाजीपुर के फतेहुल्लहपुर में स्थित है. टीवी9 की टीम ने यहां का जायजा लिया तो मूक बधिर बच्चों ने अपने पढ़ाई की पूरी जानकारी अपने भाषा में दिया. इस दौरान यह भी देखने को मिला इस विद्यालय में दिव्यांग बच्चों को खेल-खेल में भी पढ़ाने और सिखाने का पूरा प्रबंध किया गया है. इस पूरे मामले पर सविता सिंह ने बताया कि दिव्यांगों का दर्द क्या होता है, वह उनसे बेहतर कौन जान सकता है. क्योंकि इस दर्द से वह बचपन से गुजर चुकी हैं. और अब किसी दिव्यांग को इस दर्द से न गुजरना पड़े इसलिए वह इसका प्रयास कर रही हैं.

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