बाइक पर लालबत्ती लगाकर घूमते थे ये विधायक...जानें इनके बारे में

Update: 2020-10-07 14:49 GMT

नगर पालिका के चतुर्थवर्गीय कर्मी ने बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ा और एमएलए बन गए. चार पहिया गाड़ी खरीदने के पैसे नहीं थे तो राजदूत बाइक खरीदी और उस पर लाल बत्ती लगा ली. 1990 की यह कहानी पांच बार बीजेपी एमएलएल रह चुके जवाहर प्रसाद की है. जवाहर प्रसाद आज भी सादगी से रहते हैं. पुराने दिनों को याद करते हुए कहते हैं कि वे 1989 में संघ में सक्रिय हुए थे. अगले साल जब चुनाव हुआ तो बीजेपी ने सासाराम से उम्मीदवार बनाया और वे चुनाव जीत कर एमएलए बन गए.

बीजेपी ने जवाहर प्रसाद को सासाराम से बनाया उम्मीदवार

जवाहर प्रसाद बताते हैं कि घर की स्थिति ऐसी नहीं थी की चार पहिया गाड़ी खरीदें. उन्होंने किसी तरह राजदूत खरीदी और उसी पर लाल बत्ती लगा ली. लाल बत्ती लगी राजदूत को उन्होंने ने 10 साल तक चलाया. वे राजदूत से विधानसभा के सत्र में भाग लेने पटना भी चले जाते थे.बाइक पर लाल बत्‍ती लगाने वाले विधायक जवाहर प्रसाद खुद ही बाइक चलाते थे और उनका बॉडीगार्ड पीछे बैठता था. रास्ते में बुजुर्ग या बीमार के दिख जाने पर उसे अस्पताल तक ले जाते थे. इस दौरान वे बाइक से बॉडीगार्ड को उतार देते थे. जवाहर प्रसाद वीआईपी बत्ती पर रोक के समर्थक हैं. कहते हैं कि इससे आम और खास का भेद मिटा है.

जवाहर प्रसाद खुद ही बाइक चलाते थे

पुराने दिनों को याद करते हुए जवाहर प्रसाद बताते हैं कि वर्षों तक नगर परिषद में अधिकारियों का सेवक था. कभी-कभी अधिकारियों की गाड़ी भी चलानी पड़ती थी. तब अधिकारियों की गाड़ी में लगी लाल-पीली बत्ती काफी आकर्षित करती थी. क्लास वन अधिकारी की गाड़ी में वीआईपी लाइट बीच में लगती थी. जबकि, बीडीओ-सीओ की जीप में साइड में लाइट लगाई जाती थी. तब अधिकारी यह जताने से नहीं चूकते कि कर्मी व अधिकारियों के बीच कितना बड़ा फासला होता है. 


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