नई दिल्ली | भारत में साल 2023 के अंत तक मुस्लिम आबादी 20 करोड़ के पास पहुंच जाएगी। लोकसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी की तरफ से यह जानकारी दी गई है। इस दौरान उन्होंने देश में मुसलमानों की साक्षरता और श्रम से जुड़े आंकड़े भी साझा किए हैं। खास बात है कि ताजा आंकड़े बताते हैं कि भारत ने आबादी के लिहाज से दुनिया में पहले स्थान पर पहुंच गया है।
तृणमूल कांग्रेस सांसद माला रॉय की तरफ से अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय से संसद में तीन सवाल पूछे गए थे। पहला, 'क्या मुस्लिम आबादी को लेकर 30 जुलाई 2023 तक का कोई डेटा है?'। दूसरा, 'क्या सरकार के पास पसमांदा मुसलमानों की आबादी का कोई डेटा है?'। तीसरा, '31 जुलाई 2023 तक पसमांदा मुसलमानों की सामाजिक आर्थिक स्थिति की कोई जानकारी है?'
मंत्री ईरानी ने बताया, '2011 जनगणना के अनुसार, मुस्लिम आबादी 17.22 करोड़ थी, जो देश की आबादी का 14.2 फीसदी थी। टेक्निकल ग्रुप ऑन पॉप्युलेशन प्रोजेक्शन की जुलाई 2020 की रिपोर्ट के अनुसार, 2023 में देश की आबादी 138.82 करोड़ होने का अनुमान लगाया गया था। 2011 सेंसस की तरह उसी अनुपात 14.2 फीसदी को लागू करते हुए 2023 में मुस्लिम आबादी 19.75 करोड़ होने का अनुमान लगाया गया है।'
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि पीरियोडिक लेबर फोर्स सर्वे यानी PLFS की तरफ से 2021-22 में किए गए सर्वे के हवाले से मुस्लिम आबादी की शिक्षा की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि 7 साल और उससे ज्यादा आयु के मुसलमानों में साक्षरता दर 77.7 प्रतिशत है। वहीं, हर आयु का लेबर फोर्स पार्टिसिपेशन रेट 35.1 फीसदी पर है। वर्ल्ड बैंक के अनुसार, लेबर फोर्स पार्टिसिपेशन रेट का मतलब उस 15 वर्ष और इससे ज्यादा आयु की उस आबादी से है, जो आर्थिक तौर पर सक्रिय है और काम करती है।