सेक्स करने की सहमति के लिए मौजूदा उम्र में नहीं होगा बदलाव, कोर्ट ने दिया अजीबो-गरीब निर्णय

जानिए क्या है वजह

Update: 2023-09-29 13:21 GMT
नई दिल्ली। विधि आयोग ने सरकार को सलाह दी है कि यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के तहत यौन संबंधों के लिए सहमति की मौजूदा उम्र में बदलाव नहीं किया जाए और 16 से 18 वर्ष की आयु के किशोरों की मौन स्वीकृति से संबंधित पॉक्सो मामलों में सजा के विषय में निर्देशित न्यायिक विवेक लागू करने का सुझाव दिया।
विधि आयोग ने पॉक्सो कानून के तहत यौन संबंधों के लिए सहमति की उम्र पर अपनी रिपोर्ट कानून मंत्रालय को सौंपी है, जिसमें इसने सुझाव दिया है कि 16 से 18 वर्ष की आयु के किशोरों की ओर से मौन स्वीकृति से जुड़े मामलों में स्थिति को सुधारने के लिए संशोधनों की आवश्यकता है। देश में, सहमति की उम्र अभी 18 वर्ष है। आयोग ने कहा कि सहमति की उम्र घटाने का सीधा और नकारात्मक असर बाल विवाह एवं बाल तस्करी के खिलाफ लड़ाई पर पड़ेगा। आयोग ने अदालतों को उन मामलों में सतर्कता बरतने की सलाह दी, जहां यह पाया जाए कि किशोरावस्था के प्रेम को नियंत्रित नहीं किया जा सकता और इसका आपराधिक इरादा नहीं रहा होगा।
विधि आयोग ने चरणबद्ध तरीके से ई-एफआईआर का पंजीकरण शुरू करने की सिफारिश की है। आयोग ने अपनी सिफारिश में कहा है कि इसकी शुरुआत तीन साल तक की जेल की सजा वाले अपराधों से की जा सकती है। इस सप्ताह की शुरुआत में सरकार को सौंपी गई और शुक्रवार को सार्वजनिक की गई एक रिपोर्ट में, विधि आयोग ने ई-एफआईआर के पंजीकरण की सुविधा के लिए एक केंद्रीकृत राष्ट्रीय पोर्टल बनाने का भी प्रस्ताव दिया। रिपोर्ट में कहा गया है कि ई-एफआईआर से प्राथमिकी के पंजीकरण में देरी की लंबे समय से चली आ रही समस्या से निपटा जा सकेगा और नागरिक वास्तविक समय में अपराध की सूचना दे सकेंगे। कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल को लिखे अपने पत्र में विधि आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति ऋतुराज अवस्थी ने कहा, ‘‘प्रौद्योगिकी के विकास के कारण संचार के साधनों में बहुत प्रगति हुई है। ऐसी स्थिति में, प्राथमिकी दर्ज करने की पुरानी प्रणाली पर ही टिके रहना आपराधिक सुधारों के लिए अच्छा संकेत नहीं है।''
विधि आयोग ने सरकार को सलाह दी है कि यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम के तहत यौन संबंधों के लिए सहमति की मौजूदा उम्र में बदलाव नहीं किया जाए और 16 से 18 वर्ष की आयु के किशोरों की मौन स्वीकृति से संबंधित पॉक्सो मामलों में सजा के विषय में निर्देशित न्यायिक विवेक लागू करने का सुझाव दिया। विधि आयोग ने पॉक्सो कानून के तहत यौन संबंधों के लिए सहमति की उम्र पर अपनी रिपोर्ट कानून मंत्रालय को सौंपी है जिसमें इसने सुझाव दिया है कि 16 से 18 वर्ष की आयु के किशोरों की ओर से मौन स्वीकृति से जुड़े मामलों में स्थिति को सुधारने के लिए संशोधनों की आवश्यकता है। देश में सहमति की उम्र अभी 18 वर्ष है। आयोग ने कहा कि सहमति की उम्र घटाने का सीधा और नकारात्मक असर बाल विवाह एवं बाल तस्करी के खिलाफ लड़ाई पर पड़ेगा। आयोग ने अदालतों को उन मामलों में सतर्कता बरतने की सलाह दी, जहां यह पाया जाए कि किशोरावस्था के प्रेम को नियंत्रित नहीं किया जा सकता और इसका आपराधिक इरादा नहीं रहा होगा।
Tags:    

Similar News

-->